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…तो क्या जेल में बंद देशद्रोह का आरोपी भी बैठेगा देश की ससंद में?

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Prashant Sharma
Prashant Sharma
प्रशांत शर्मा, 15 सालों से पत्रकारिता में हैं। शुरुआत साधना न्यूज एमपी-सीजी से हुई। इसके बाद प्रदेश टुडे के फाउंडर मेंबर रहे। प्रदेश टुडे के बाद न्यूज एक्सप्रेस एमपी-सीजी चैनल की लॉन्चिंग टीम के साथ बतौर क्राइम रिपोटर जुड़े रहे। इसके बाद लंबी पारी नेशनल और रीजनल चैनल इंडिया न्यूज में रही। कुछ दिन न्यूज वर्ल्ड चैनल में दमदार रिपोर्टिंग करने के बाद मृदुभाषी अखबार में संपादक की भमिका में रहे। फिलहाल चौथा खंभा टीम के साथ मिलकर दमदारी से पत्रकारिता कर रहे हैं।

खालिस्तान का समर्थन करने वाले, अपने ही देश को नीचा दिखाने वाले और कुख्यात अपराधी कहें तो वह भी कम है, लेकिन यह सच है कि ऐसे इंसान भी देश की संसद में बैठकर अब देश के लिए कायदे कानून बनाएंगे।

हम बात कर रहे हैं देशद्रोह के आरोप और एनएसए समेत 16 मामलों में जेल की हवा खा रहे अमृतपाल सिंह की।

अमृतपाल को पंजाब पुलिस ने 2023 अप्रैल में बड़ी मशक्क्त के बाद भिंडरावाले के गांव रोडे से गिरफ्तार किया था।

इसी अमृतपाल ने लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब सीट से जेल में रहकर चुनाव लड़ा। कहा जाता है कि इस सीट पर बड़ा वोट परसेंट सिखों का है।

अमृतपाल वारिस पंजाब दे का चीफ है। अमृतपाल को सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी शिरोमणि अकाली दल का समर्थन मिल चुका है।

बड़ी बात तो यह कि अमृतपाल जेल में बंद है, लेकिन उसके समर्थकों ने चुनाव में कड़ी मेहनत कर उसे लगभग दो लाख से जीत हासिल करवाई है।

दरअसल यहां पर अमृतपाल का मुकाबला कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा से हुआ था। चुनाव में इसने मुख्य मद्दा पंजाब को नशे से मुक्त करवाना बनाया था।

जानिए कौन है अमृतपाल सिंह –

अमृतपाल का जन्म 17 जनवरी 1993 को अमृतसर में हुआ था और इसका पूरा नाम अमृतपाल सिंह संधू है। यह साल 2022 में सुर्खियों में तब आया था जब वारिस पंजाब दे सगंठन के मुखिया दीप संधू के मौत के बाद संगठन के नए मुखिया के तौर पर इसका नाम सामने आया।

कट्टर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल 23 फरवरी 2023 को अपने समर्थकों के साथ अजनाला थाने पहुंचा था। इस दौरान पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन अमृतपाल ने भीड़ को उकसाया और उसे उग्र कर दिया।

इस दौरान इसके समर्थकों ने तलवारों और बंदूकों से थाने पर हमला कर दिया था जिसमें एसपी सहित छह पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गये थे।

बाद में अमृतपाल मौके से फरार हो गया। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को पकड़ने के लिए कोशिश की, लेकिन वह पुलिस को चकमा देता रहा है।

हालांकि, एक दिन ऐसा आया कि वह भिंडरावाले के गांव रोडे से पुलिस के हत्थे चढ गया। तभी से वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

अमृतपाल का संगठन वारिस पंजाब दे का मुखिया पहले दीप सिद्धू हुआ करता था जो किसान आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आया था। दीप सिद्धू पर किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर हिंसा फैलाने का आरोप लगा था।

खबरों में कहा गया था कि पंजाब में चर्चित अभिनेता रहे दीप सिद्धू ने ही किसानों को भड़काने का काम किया था।

आंदोलन के कुछ दिनों के बाद ही इसकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसके बाद अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का मुखिया बन बैठा।

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