Daughters Adoption In MP: मध्य प्रदेश में गोद लेने वाले पैरेंट्स को अब बेटों की नहीं बल्कि बेटियों की चाह है। इसका खुलासा बाल आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
एक दौर था जब हर माता-पिता अपने घर में बेटा चाहता था। अगर बेटी हो भी गई तब भी बेटे की चाहत होती थी।
यहां तक कि गोद लेने वाले पैरेंट्स को भी बेटों की चाह होती थी।
लेकिन वक्त बदला और इसी के साथ लोगों की पसंद भी बदल गई। अब ज्यादा से ज्यादा लोग बेटियां पैदा करना चाहते हैं।
बच्चे गोद लेने वाले पैरेंट्स को भी बेटियों की चाह है। खासकर मध्य प्रदेश में।
इस बात का खुलासा महिला एवं बाल विकास और बाल आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
एक साल में 119 बेटियों को गोद लिया गया
मध्य प्रदेश में 2024- 25 में 191 बच्चों को गोद लिया गया, इनमें 119 बेटियां शामिल है।
ऐसे में ये साफ है कि गोद लेने के लिए बेटा नहीं, बल्कि बेटी पहली और आखिरी पसंद बनती जा रही है।

क्या कहते हैं 5 साल के आंकड़े
पिछले पांच सालों में बच्चे गोद लेने के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे भी इस बात को आसानी से समझा जा सकता है।
- 2020-21 में कुल आवेदन 890, लड़कों के लिए 401 और लड़कियों के लिए 361
- 2021-22 में कुल आवेदन 1100, लड़कों के लिए 372 और लड़कियों के लिए 509 आवेदन
- 2022-23 में कुल आवेदन 1452, लड़कों के लिए 305 और लड़कियों के लिए 836
- 2023-24 में कुल आवेदन 2345 लड़कों के लिए 717 और लड़कियों के लिए 1036 आवेदन
- 2024-25 में कुल आवेदन 3795, लड़कों के लिए 1022 और लड़कियों के लिए 2057 आवेदन
बदल रही है लोगों की मानसिकता
इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि समाज की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
बीते 5 वर्षों में बदलती मानसिकता पिछले 5 वर्षों में बच्चा गोद लेने की प्रवृत्ति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
पहले जहां बेटों को अधिक प्राथमिकता दी जाती थी, अब बेटियों को गोद लेने के आवेदन अधिक आ रहे हैं।

कैसे आया बदलाव
1. पहले के समय में बेटे को ही परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला माना जाता था, लेकिन अब लोग बेटियों को भी समान अवसर दे रहे हैं।
2. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही सरकारी योजनाओं, जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना ने समाज की सोच पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
3. आज के दौर में बेटियां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं। शिक्षा, खेल, विज्ञान और व्यापार में लड़कियों की उपलब्धियां भी माता-पिता को प्रेरित कर रही हैं कि वे बेटियों को अपनाएं।
4. गोद लेने वाले कपल अब यह मानने लगे हैं कि बेटियां भी उतनी ही सक्षम और जिम्मेदार हो सकती हैं जितना कि बेटे।