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37 साल तक गलती से दी ज्यादा सैलरी, रिटायरमेंट के बाद थमा दिया वसूली का नोटिस

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Chhattisgarh Salary Scam: छत्तीसगढ़ में घोटाले और फर्जीवाड़े की खबरें आए दिन सामने आती है।

लेकिन इस बार तो गलती खुद संस्था ने की और नोटिस बेचारे कर्मचारी को थमा दिया।

दरअसल, यहां एक स्वास्थ्य विभाग के हेड क्लर्क को 37 साल तक गलती से ज्यादा वेतन दिया गया।

क्लर्क के रिटायरमेंट के बाद जब ये गलती सामने आई तो विभाग ने उन्हें सैलरी रिकवरी का नोटिस थमा दिया।

इसे लेकर पीड़ित ने बिलासपुर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

आइए जानते हैं क्या है ये पूरा मामला…

37 साल तक गलती से दी ज्यादा सैलरी

दरअसल, कोरबा निवासी 63 वर्षीय अहमद हुसैन स्वास्थ्य विभाग में हेड क्लर्क के पद से रिटायर हुए हैं।

1 जून 2023 को उन्हें एक लेटर मिला। जिसमें लिखा था कि 1 जनवरी 1986 से 28 फरवरी 2023 तक उन्हें गलती से अधिक वेतन दिया गया, जिसकी वसूली की जाएगी।

डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेज और कोरबा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) ने मिलकर यह वसूली का आदेश जारी किया था।

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पीड़ित ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

इसके बाद पीड़ित अहमद हुसैन ने बिलासपुर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुनवाई के दौरान अहमद हुसैन के वकील डॉ. सुदीप अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह वसूली सुप्रीम कोर्ट के 2015 के रफीक मसीह फैसले के खिलाफ है।

हुसैन क्लास-तीन कर्मचारी हैं और उन्हें इस अतिरिक्त राशि के भुगतान की जानकारी नहीं थी।

यह वसूली उनके लिए वित्तीय संकट और मानसिक पीड़ा का कारण बन सकती है।

राज्य की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि विभाग ने जब त्रुटिपूर्ण भुगतान की पहचान की, तो नियम अनुसार वसूली का आदेश दिया।

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कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

बिलासपुर हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए वसूली आदेश को रद्द कर दिया है।

हाईकोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले में रिटायर्ड कर्मचारी से की जा रही वेतन की वसूली को गैरकानूनी करार देते हुए विभागीय आदेश को रद्द कर दिया है।

यह फैसला न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने सुनाया।

कोर्ट ने कहा कि अहमद हुसैन क्लास-तीन कर्मचारी हैं और रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने जानबूझकर कोई धोखाधड़ी नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट ने रफीक मसीह और जोगेश्वर साहू जैसे मामलों में ऐसे वसूली आदेशों को असंवेदनशील और अनुचित ठहराया है।

कोर्ट ने कहा कि यह वसूली न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि कर्मचारी की गरिमा व सम्मान के खिलाफ भी।

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