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श्रद्धांजलि देने Ladakh पहुंचे PM
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में हर साल 26 जुलाई को Kargil Vijay Diwas मनाया जाता है। इस साल Kargil War के 25 साल पूरे हुए। इस उपलक्ष्य में पीएम मोदी लद्दाख के द्रास में वॉर मेमोरियल पहुंचकर पाकिस्तान के खिलाफ जंग में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।
Ladakh के विकास की बात की
पीएम ने यहां शहीदों को नमन किया और श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पीएम ने शहीदों के परिवारवालों से भी मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने Ladakh के विकास के लिए कई बातें कही और योजनाओं का जिक्र भी किया।
सदियां गुजर जाती हैं, पर शहीद अमर रहते हैं
पीएम मोदी ने यहां कहा, “कारगिल विजय दिवस हमें बताता है कि राष्ट्र के लिए दिये गए बलिदान अमर होते हैं। सदियां गुजर जाती हैं। मगर राष्ट्र की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने वाले लोगों के नाम अमर रहते हैं। कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था, हमने ‘सत्य, संयम और सामर्थ्य’ का अद्भुत परिचय भी दिया था।”
बलिदान देने वाले शहीदों को नमन करता हूं
पीएम मोदी ने आगे कहा, “मेरा सौभाग्य है कि कारगिल युद्ध के समय मैं एक सामान्य देशवासी के रूप में अपने सैनिकों के बीच था। मुझे याद है कि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।”
पाकिस्तान पर भड़के पीएम
पाकिस्तान पर भड़कते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत उस समय शांति के लिए प्रयास कर रहा था। बदले में पाकिस्तान ने फिर अपना अविश्वासी चेहरा दिखाया, लेकिन सत्य के सामने असत्य और आतंक की हार हुई”
60 दिन तक चला था कारगिल युद्ध
बात करें कारगिल विजय दिवस की तो सभी भारतीयों के लिए ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत की जीत हुई थी।
परमाणु परीक्षण के बाद था तनाव
दरअसल, उस वक्त भारत और पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था।
पाकिस्तान ने की थी घुसपैठ, नाम रखा “ऑपरेशन बद्र”
लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था।
युद्ध की शुरुआत
प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है।
भारत सरकार ने चलाया ‘ऑपरेशन विजय’
इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे।