PR Sreejesh Retired: पेरिस। भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक 2024 में स्पेन को 2-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है।
गुरुवार को स्पेनिश टीम ने 18वें मिनट में पेनाल्टी स्ट्रोक पर पहला गोल दागा और 1-0 की बढ़त बनाई।
भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने 30वें मिनट में मिले पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल करके भारत को 1-1 की बराबरी दिलाई।
फिर 33वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर पर गोल करके 2-1 की बढ़त हासिल कर ली।
ब्रॉन्ज मेडल मैच में मिली जीत के असल हीरो अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह रहे।
PR Sreejesh Retired: हॉकी टीम ने रचा इतिहास –
भारतीय हॉकी टीम ने लगातार दूसरा ओलिंपिक मेडल जीता है। इससे पहले भारतीय टीम ने 1972 में लगातार दो ओलंपिक गेम्स में हॉकी का मेडल जीता था।
PR Sreejesh Retired: साथियों ने दी शानदार विदाई –
टी-20 वर्ल्ड कप में जैसे रोहित शर्मा की टीम राहुल द्रविड़ के लिए खेली थी, ठीक वैसी ही विदाई भारतीय हॉकी टीम ने गोलकीपर पीआर श्रीजेश को दी।
इधर स्पेन को 2-1 से हराकर भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और उधर साथी खिलाड़ियों ने पीआर श्रीजेश के सजदे में सिर झुका लिया और उन्हें अपने कंधों पर उठा लिया।
केरल के 36 साल के इस जोशीले गोलकीपर को ऐतिहासिक विदाई मिली जिसकी शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।
PR Sreejesh Retired: ओलंपिक के पहले ही कर दिया था संन्यास का ऐलान –
बता दें कि ओलंपिक शुरू होने से पहले ही भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने ऐलान कर दिया था कि ये उनका आखिरी इंटरनेशनल टूर्नामेंट होगा।
इसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने भी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर श्रीजेश को शानदार देना ही अपना एकमात्र लक्ष्य बना लिया था।
जर्मनी ने सेमीफाइनल में भारतीय टीम का यह सपना तोड़ा तो ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए मुकाबले में खिलाड़ियों ने स्पेन से इसका बदला ले लिया।
PR Sreejesh Retired: ‘स्ट्रॉन्ग वॉल’ कहे जाते हैं गोलकीपर पीआर श्रीजेश –
अपने 18 साल लंबे करियर में ‘मजबूत दीवार’ की तरह उभरे केरल के श्रीजेश को भारतीय हॉकी इतिहास का महानतम गोलकीपर कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
स्पेन के खिलाफ इस मैच में हॉकी टीम में ‘स्ट्रॉन्ग वॉल’ कहे जाने वाले गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने छह में से पांच गोल बचाए।
PR Sreejesh Retired: 2014 एशियाई खेलों में दो पेनाल्टी स्ट्रोक बचाकर बने थे स्टार –
2006 में कोलंबो में हुए दक्षिण एशियाई खेलों के जरिये भारत की सीनियर टीम में एंट्री करने वाले गोलकीपर पीआर श्रीजेश 2011 तक एड्रियन डिसूजा और भरत छेत्री जैसे अनुभवी गोलकीपरों के रहते टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाये थे।
2011 से वे भारतीय हॉकी टीम के अभिन्न अंग बने और 2014 एशियाई खेल फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ दो पेनाल्टी स्ट्रोक बचाकर स्टार बन गए।
इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा और ओलंपिक, विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल, प्रो लीग सभी टूर्नामेंटों में वे टीम के लिए ‘मजबूत दीवार’ बन चुके थे।
खेल रत्न, पद्मश्री, विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीट, एफआईएच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी जैसे सम्मान के साथ-साथ 336 अंतरराष्ट्रीय मैच उनकी उपलब्धियों को बताने के लिए काफी हैं।
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