MMA Fighter Angad Bisht : कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो जिंदगी कदम कदम पर मौका देती है।
ऐसा ही कुछ हुआ अंगद बिष्ट के साथ। जो कभी बनना तो डॉक्टर चाहते थे।
लेकिन, आज उनका मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) की दुनिया में बड़ा नाम है।
Road To UFC के सेमीफाइनल मुकाबला में अंगद
मिक्स्ड मार्शल आर्ट ने भारत में बेहद कम समय में अपनी जगह बनाई है। युवाओं के बीच ये स्पोर्ट्स तेजी से फैल रहा है।
कुछ महीने पहले ही भारत की मिक्सड मार्शल आर्ट्स फाइटर पूजा तोमर ने यूएफसी में फाइट जीतकर इतिहास रच दिया था। वह यह फाइट जीतने वाली पहली भारतीय बनी थीं।
वहीं इस खेल को भारत में प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय उत्तराखंड के एक युवक को भी जाता है।
दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण मिक्स मार्शल आर्ट प्रतियोगिता यूएफसी में अंगद बिष्ट ने भारत का नाम रोशन किया है।
अंगद ने चीन में हुए Road To UFC मुकाबले में अपनी शानदार क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई है।
अब अंगद क्वालीफाइंग फाइट लड़ने के लिए उतरेंगे। भारत के अंगद का मुकाबला कोरिया के डोंगहुन चोई से है।
सीजन 3 के सेमीफाइनल राउंड में 24 अगस्त को लास वेगास के यूएफसी एपेक्स एरिना में फाइट हैं।
इस टूर्नामेंट का हर एक मैच एलिमिनेशन मैच होता है। ये टूर्नामेंट एशिया के शीर्ष एमएमए प्लेयर्स को यूएफसी के साथ अनुबंध के लिए भी रास्ते खोल देता है।
अगर अंगद बिष्ट ये सेमीफाइनल मुकाबला का मुकाबला जीत जाते है तो उनका अगला मुकाबला भारतीय मूल के किरू सिंह सहोता या फिलीपींस के रूएल पैनालेस से हो सकता है।
जो इस साल के अंत या 2025 की शुरुआत में होने की सम्भावना है।
दिलचस्प है अंगद के MMA फाइटर बनने की कहानी
रुद्रप्रयाग के रहने वाले अंगद बिष्ट की मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की दुनिया में आने की उनकी कहानी बेहद दिलचस्प है।
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अंगद के पिता मोहन सिंह बिष्ट की मिठाई की दुकान है।
अंगद का सपना बचपन में डॉक्टर बनने का था। उन्होंने देहरादून में इसकी कोचिंग भी ज्वाइन की थी।
अंगद 18 साल के थे जब उन्होंने उत्तराखंड में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) के लिए एंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया था।
उन्हें पंतनगर मेडिकल कॉलेज में सीट भी मिल गई थी। लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
पढ़ाई के दौरान ही अंगद ने देहरादून में जिम जाना शुरू किया।
धीरे-धीरे उन्हें इसमें मजा आने लगा और फिर अंगद को यूएफसी के बारे में पता चला।
अंगद ने सोच लिया था कि यदि उनकी बॉडी बन जाती है तो फिर वे फाइटर बनेंगे।
MMA फाइट के प्रति अंगद का जुनून इतना था कि डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर वह रिंग में उतर गए।
मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स धीरे-धीरे यह फाइट भारत में अपनी पहचान बना रही है और इसका भविष्य भी उज्ज्वल है।
जहां तक परेशानियों की बात करें तो भारत में ट्रेनिंग की अच्छी सुविधाएं नहीं हैं।
अंगद बिष्ट इस वजह से थाइलैंड और इंडोनेशिया में ट्रेनिंग करते थे।
फिलहाल अंगद बिष्ट देहरादून में म्यूटेंट एम.एम.ए एकेडमी चलाते हैं और युवाओं को ट्रेनिंग देते हैं।
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