Sachin Sarjerao Khilari Paralympic: Paralympic 2024 में भारत के लिए मेडल की बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।
4 सितंबर को महाराष्ट्र के सचिन सरजेराव खिलारी ने पेरिस पैरालंपिक में शॉटपुट में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता।
इसे के साथ भारत को मिलने वाले मेडल्स की संख्या 21 हो चुकी है जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
सचिन सरजेराव खिलारी ने पुरुषों की शॉटपुट एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16.32 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल जीता।
सचिन ने दूसरे कोशिश में बेस्ट थ्रो फेंका। उन्होंने मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
Hats off to Sachin Khilari for winning the silver medal in the Men’s Shot Put F46 event at the #Paralympics2024. Your success is a shining example of excellence and determination, inspiring young athletes. Best wishes for your future endeavours. pic.twitter.com/z8uQEQaefR
— Amit Shah (@AmitShah) September 4, 2024
कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने टोक्यो पैरालंपिक में जीता गोल्ड मेडल बरकरार रखा।
क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने कांस्य पदक जीता।
सचिन का सिल्वर मेडल पेरिस पैरालंपिक में एथलेटिक्स में भारत का 11वां मेडल है।
पीएम मोदी ने दी बधाई (PM Modi congratulated)
पीएम मोदी ने सचिन को बधाई देते हुए X पर लिखा- #Paralympics2024 में सचिन को उनकी अविश्वसनीय उपलब्धि के लिए बधाई!
शक्ति और दृढ़ संकल्प का शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने पुरुषों की शॉटपुट F46 स्पर्धा में रजत पदक जीता है। भारत को उन पर गर्व है।
Congratulations to Sachin Khilari for his incredible achievement at the #Paralympics2024! In a remarkable display of strength and determination, he has won a Silver medal in the Men’s Shotput F46 event. India is proud of him. #Cheer4Bharat pic.twitter.com/JNteBI7yeO
— Narendra Modi (@narendramodi) September 4, 2024
क्या है एफ46 कैटेगरी (What is F46 category)
पैरा एथलेटिक्स स्पर्धाओं में एफ46 श्रेणी उन लोगों के लिए है जिनकी एक या दोनों भुजाओं की गतिविधि मामूली रूप से प्रभावित है या जिनके हाथ-पैर नहीं हैं।
इन एथलीटों को कूल्हों और पैरों की ताकत से थ्रो करना होता है। ऐसे एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।
Brilliant start of the day!!!
for our Sachin Khilari in Men’s Shot Put -F46 Final
That flying high#ParalympicGamesParis2024 #Cheer4India
India’s medal tally goes up to 21 pic.twitter.com/cxAA0DS0jx
— Payal M/પાયલ મેહતા/ पायल मेहता/ পাযেল মেহতা (@payalmehta100) September 4, 2024
महाराष्ट्र से पैरालंपिक तक (Maharashtra to Paralympics)
34 साल के सचिन के लिए महाराष्ट्र से पैरालंपिक तक का सफर बेहद मुश्किल भरा था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने जोश और जज्बे की बदौलत यहां तक पहुंचे।
किसान परिवार से है संबंध (Belongs to a farmer family)
सचिन महाराष्ट्र के सांगली जिले के अटपडी तालुका के कार्गनी गांव से ताल्लुक रखते हैं, जो अनार की खेती के लिए मशहूर है।
उनके परिवार के पास 18 एकड़ की जमीन थी।
वह बचपन से अपने किसान पिता सरजेराव रंगनाथ खिलारी से पेड़ और मिट्टी की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं।
उनके पिता महाराष्ट्र कृषि रत्न पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।
9 साल की उम्र में हुए हादसे का शिकार
सचिन 9 साल की उम्र में दुर्घटना का शिकार हो गए थे, जिससे उन्होंने कोहनी की मांसपेशियां गंवा दी।
दरअसल, साइकिल से फिसलने के कारण उसका बायां हाथ टूट गया और इसे ठीक होने में काफी वक्त लगा।
लेकिन जब उनका फ्रैक्चर ठीक हुआ तो उन्हें गैंगरीन नाम की बीमारी हो गई। जिससे उनके बाएं हाथ ने काम करना बंद कर दिया।
पुणे से ली इंजीनियरिंग में डिग्री, जेवलिन थ्रो खेला
इन सारी मुश्किलों के बावजूद सचिन ने हार नहीं मानी और पुणे के एक कॉलेज से उन्होंने इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
पुणे में ही सचिन ने पहली बार एथलेटिक्स ट्रैक देखा।
उन्होंने कोच अरविंद चौहान से ट्रेनिंग लेनी शुरू की और डिस्कस और जेवलिन थ्रो में जीत हासिल की।
! Sachin Khilari strikes silver in the Men’s Shot Put – F46 event at the Paris Paralympics 2024, claiming India’s 21st medal!
With an incredible throw of 16.32 meters, he becomes the first Indian male shot putter in 30 years to win a Paralympic… pic.twitter.com/GiSh3RzDl4
— The Bharat Army (@thebharatarmy) September 4, 2024
पुणे में किराए के घर पर रहते हुए सचिन ने भाला फेंक (एफ 46 श्रेणी) में भाग लेना शुरू कर दिया।
2017 में जयपुर नेशनल्स में 58.47 मीटर की थ्रो के साथ उन्होंने गोल्ड जीता, लेकिन सचिन के लिए और मुश्किलें इंतजार कर रही थीं।
2019 में दिल्ली में पैरा नेशनल में गोल्ड जीतने के बाद कंधे में चोट लगने के कारण खिलाड़ी को जेवलिन छोड़ना पड़ा।
कोच ने दी Shot Put (गोला फेंक) खेलने की सलाह
ऐसे में कोच सत्य नारायण ने उन्हें फोन कर गोला फेंक में हिस्सा लेने की नसीहत दी।
हालांकि, शॉटपुट में जाने का मतलब यह था कि सचिन के पास थ्रो से पहले अपने बाएं हाथ को ब्लॉक के रूप में इस्तेमाल करने का विकल्प नहीं था।
इसलिए उन्होंने अपने कंधे का इस्तेमाल किया और छाती से ताकत लगाने की कोशिश की।
A stellar throw & a well-deserved Silver Medal for Sachin Khilari in Men’s Shot Put F46 at the #Paralympics2024! Your effort embodies the true spirit of sportsmanship & perseverance, making Bharat proud!
Under the visionary leadership of the PM Shri @narendramodi ji, Bharat is… pic.twitter.com/hlLNiQpwpx
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 4, 2024
पैसों की कमी और संघर्ष भरे दिन (Lack of money and struggle days)
एक इंटरव्यू में सचिन ने बताया था – ‘2013, 2015 और 2016 में महाराष्ट्र में भयंकर सूखा पड़ा।
ऐसे में जब मैंने 2016 में पैरा खेलों में भाग लेने का निर्णय लिया, तो मुझे पैसे की भी चिंता थी क्योंकि खेती से होने वाली कमाई लगभग शून्य थी।
सुबह 2 बजे से प्रैक्टिस, 6 घंटे टीचिंग (Practice at 2 am, teaching for 6 hours)
सचिन ने आगे बताया कि वो तड़के सुबह दो बजे प्रैक्टिस करने के लिए जाते थे।
फिर पैसों के लिए दिन में 6 घंटे UPSC के स्टूडेंट्स को भूगोल की कोचिंग देते थे।
लेकिन इन सबके बीच सचिन ने अपने खेल को कभी नहीं छोड़ा और न ही हिम्मत हारी।
सचिन की ये कहानी हर किसी के लिए एस मिसाल और प्रेरणा है।