Archana Kamath In Paris Olympics: कर्नाटक की रहने वाली 24 साल की Table Tennis Player अर्चना कामथ (Archana Kamath) 5 अगस्त को पेरिस ओलंपकि में अपना पहला गेम (डेब्यू) खेला।
लेकिन यहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि ओलंपिक तक की जर्नी कई मुश्किल पड़ावों से गुजरी है, जिसमें अदालत से लेकर मेंटल ट्रामा तक शामिल है।
डॉक्टर माता-पिता की खिलाड़ी बेटी
अर्चना गिरीश कामथ का जन्म 17 जून, 2000 को कर्नाटक की डॉक्टर फैमिली में हुआ था। उनके माता-पिता, गिरीश और अनुराधा कामथ दोनों ही डॉक्टर हैं और आई स्पेशलिस्ट हैं। अर्चना की शुरुआती पढ़ाई बेंगलुरू में ही हुई है।
9 साल की उम्र में लगा टेबल टेनिस का चस्का
एक इंटरव्यू में अर्चना ने बताया था कि 9 साल की उम्र में पहली बार टेबल टेनिस से उनका सामना तब हुआ, जब वह मैंगलोर में अपने एक चाचा से मिलने जा रही थी, जिनके घर में एक पिंग पोंग टेबल था। उनके भाई अभिनव इस खेल के प्रति अधिक उत्साहित थे और अर्चना के साथ ही प्रैक्टिस करते थे।
कामथ ने बताया, “वह मुझसे ज्यादा खेल से लगाव रखते थे और मैं बस वहीं रह गई। लेकिन, वह मेरे लिए बहुत अच्छे थे। कभी-कभी वो जानबूझकर मुझसे हार जाता था, ताकि मैं रोऊं नहीं।”
शुरुआती सक्सेस
कामथ ने कम उम्र में ही डिस्ट्रिक और स्टेट चैंपियनशिप में अपना कमाल दिखाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2011 में उन्होंने स्टेट चैंपियनशिप में अंडर-12 और अंडर-18 के खिताब जीते। 2 साल बाद उन्होंने कर्नाटक राज्य रैंकिंग टेबल टेनिस टूर्नामेंट में सभी आयु वर्गों में अभूतपूर्व 30 खिताब जीते।
नवंबर, 2014 में वह 14 साल और 5 महीने की उम्र में अंडर-21 राष्ट्रीय खिताब जीतने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं।
कामथ ने 2018 में अपना पहला सीनियर राष्ट्रीय खिताब जीता। उन्होंने सेमीफाइनल में मनिका बत्रा को हराया और फाइनल में पश्चिम बंगाल की कृतिका सिन्हा रॉय पर 1जीत हासिल की।
यूथ ओलंपिक 2018
घरेलू स्तर पर सफलता मिलने के बाद ब्यूनस आयर्स में 2018 यूथ ओलंपिक में वो चौथे स्थान पर रही जिससे उन्हें विश्व स्तर पर पहचान मिली और उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
उन्होंने अजरबैजान की जिंग निंग को 4-3 से हराकर टेबल टेनिस में युवा ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में प्रवेश करने वाली पुरुष और महिलाओं में पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। अंतिम चार के मुकाबले में वह रोमानिया की एंड्रिया ड्रैगोमैन से 11-8, 11-13, 9-11, 5-11, 9-11 से हार गईं।
कॉमनवेल्थ गेम्स और अदालत
अर्चना के इस खूबसूरत सफर में बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया जब CoA द्वारा प्रशासित टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (TTFI) ने 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए टीम की घोषणा की, जिसमें मनिका बत्रा, अर्चना कामथ, श्रीजा अकुला और रीथ रिश्या के साथ दीया चितले को स्टैंडबाय के रूप में रखा गया था।
लेकिन अर्चना को तब बड़ा झटका लगा जब चयन के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा करने के लिए दीया चितले को टीम में शामिल कर लिया गया और अर्चना कामथ को टीम से बाहर कर दिया गया।
इस फैसले से अर्चना बुरी तरह शॉक्ड हो गईं और यह जानते हुए भी कि यह उनके करियर के लिए एक बुरा कदम हो सकता है, उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया और कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन उनकी ये अपील खारिज कर दी और पैडलर को 2022 CWG से बाहर होना पड़ा।
2 साल तक मेंटल ट्रामा से जूझी अर्चना
किसी को भी नहीं समझ आया कि गलती किसकी थी, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर तेजी से आगे बढ़ रहे खिलाड़ी के लिए यह निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण था।
इसके बाद अर्चना 2 साल तक सेल्फ डाउट (आत्म-संदेह) और लो कॉन्फिडेंस से जूझती रही। कामथ, मनिका बत्रा के साथ दुनिया की चौथी सर्वश्रेष्ठ महिला युगल जोड़ी के रूप में रैंक की गई थीं, लेकिन इस फैसले के बाद हालात बिल्कुल बदल गए।
परिवार बना सपोर्ट सिस्टम
कॉमनवेल्थ गेम्स वाले मामले के बाद अर्चना अपने खेलने के उद्देश्य पर सवाल उठाती रही। इस मुश्किल भरे दौर में उनके माता-पिता और भाई उनका सपोर्ट सिस्टम बने।
मनोवैज्ञानिक शांतनु कुलकर्णी के सहयोग से वो अपने दिमाग को शांत कर सकी और दोबारा खेलने के लिए तैयार हो गई। अर्चना ने मायूसी से पीछे छोड़ने के लिए खुद को खेल में डुबो दिया और जितना हो सके उतना कठिन प्रशिक्षण किया। यही एकमात्र तरीका था जिससे वह इस कठिन समय से बाहर निकल सकी।
कामथ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, “अगर मैं कहूं कि मेरे मन में कभी खेल छोड़ने के विचार नहीं आए तो ये झूठ होगा। मेरे सामने थोड़ा मुश्किल समय आया, लेकिन मैं बस आगे बढ़ने की कोशिश करती रही। कुछ न कुछ करती रही और खुद को निराश नहीं होने दिया।”
अदालत से ओलंपिक तक
2022 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद कामथ ने अपना ट्रेनिंग बेस बदल दिया और पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए कठिन संघर्ष किया। जिसकी बदौलत वो 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए भारतीय टेबल टेनिस टीम का हिस्सा बनीं।
स्क्रॉल को दिए इंटरव्यू में कामथ ने कहा था, “जब मुझे पहली बार ओलंपिक टीम में शामिल होने की खबर मिली, तो मुझे इस बात की बेहद खुशी थी कि मेरे माता-पिता मेरे साथ मौजूद है। उन्होंने मेरे करियर में बहुत योगदान दिया और मेरी सफलता के लिए बहुत प्रयास किए हैं। लेकिन आखिर में उनके लिए सबसे बड़ी बात यह थी कि मैं खुश थी।”
आक्रामक खेल शैली पसंद
कामथ कद में भले ही छोटी हो, लेकिन उन्हें आक्रामक खेल पसंद हैं। एक इंटरव्यू में कामथ ने बताया था, “मुझे आक्रमण करना पसंद है, मैं हर गेंद पर प्रहार करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि जिस तरह से पुरुष खेलते हैं, उसे भी वैसे ही खेलना पसंद है। मेरा दृष्टिकोण यह है कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। दूसरी ओर, वे एक छोटी लड़की से हारना नहीं चाहते हैं।”
प्रेरणास्रोत
अर्चना कामथ बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल (Saina Nehwal) को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं, बकौल अर्चना “मेरी आदर्श भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल हैं। उन्होंने देश के लिए जो किया है, वो उन्हें महान बनाता हैं। वह सच में कड़ी मेहनत करती हैं।”
अगर अर्चना ओलंपिक में टेबल टेनिस का मुकाबला जीत जाती हैं तो करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं और अगर वो न भी जीत पाएं तो उनका ये सफर कई उभरते खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
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