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ओलंपिक में इतिहास रचने वाली मनु भाकर की कहानी है FILMY

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Manu Bhaker : मनु भाकर ये वो नाम है जिन्होंने भारत का तिरंगा पेरिस ओलिंपिक में फक्र से ऊंचा कर दिया है।

देश की लाडली मनु पहली ऐसी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने ओलंपिक में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचा है।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि टोक्यो ओलिंपिक में हार के बाद मनु खेल छोड़ना चाहती थीं।

आईए जानतें हैं कैसे मनु भाकर ने अपनी हार को जीत में बदलकर सफलता की कहानी लिखी।

हरियाणवी छोरी ने खत्म किया भारत क 12 साल क इंतजार

स्टार शूटर मनु भाकर ओलिंपिक के इतिहास में शूटिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बन गई हैं।

पेरिस ओलिंपिक में भारत को पहला पदक दिलाने के साथ ही मनु ने भारत का 12 साल का इंतजार खत्म किया है।

खेलों के महाकुंभ ओलंपिक 2024 का गाज 26 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ। जिसका समापन 11 अगस्त 2024 को होगा।

28 जुलाई को मनु ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल मुकाबले ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पेरिस ओलिंपिक में भारत के पदक का खाता खोला।

Manu Bhaker
Manu Bhaker

ओलिंपिक पदक के भारत के 12 साल के इंतजार को खत्म करने के साथ मनु अब भारतीय ओलिंपिक मेडल विजेताओं के एक खास क्लब में शामिल हो गईं, जिसमें पहले सिर्फ चार पुरुष निशानेबाज थे।

बता दे लंदन ओलिंपिक 2012 में विजय कुमार ने पुरुष 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल में रजत जबकि गगन नारंग ने पुरुष 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता था।

जबकि रियो ओलंपिक 2016 और तोक्यो ओलंपिक से भारतीय निशानेबाज खाली हाथ लौटे थे।

इससे पहले, राज्यवर्धन सिंह राठौर (2004), अभिनव बिंद्रा (2008), गगन नारंग (2012) और विजय कुमार (2012) ने भारत के लिए निशानेबाजी में मेडल जीते थे।

मनु ने सुशील कुमार और सिंधु को पीछे छोड़ा

30 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में सरबजीत सिंह के साथ मिलकर मनु ने फिर ब्रॉन्ज मेडल जीता।

भारतीय जोड़ी ने इस इवेंट में दक्षिण कोरिया की जोड़ी को 16-10 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।

हालांकि मनु और सरबजोत की मुकाबले में शुरुआत अच्छी नहीं हुई थी। भारतीय जोड़ी पहला शॉट से हार गई थी।

लेकिन दोनों खिलाड़ी खराब शुरुआत से निराश नहीं हुए और अगला ही शॉट जीत लिया। इसके बाद तो दोनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

वहीं यह पेरिस ओलंपिक में भी भारत का दूसरा मेडल रहा। भारत ने ये दोनों मेडल शूटिंग में ही जीते।

मनु भाकर से पहले ओलंपिक इतिहास में सिर्फ दो भारतीय खिलाड़ी ही ऐसे हुए हैं, जिन्होंने इंडिविजुअल इवेंट में दो मेडल जीते हैं।

Manu Bhaker
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सुशील कुमार ने 2008 और 2012 में कुश्ती में मेडल जीते थे।

इसी तरह स्टार शटलर पीवी सिंधु ने 2016 और 2020 में मेडल जीते हैं।

जहां सुशील और सिंधु ने अपने मेडल अलग-अलग ओलंपिक में जीते थे।

वहीं मनु भाकर ने अपने दोनों मेडल एक ही ओलंपिक में जीते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कॉल कर मनु भाकर को उनकी सफलता के लिए बधाई दी।

टोक्यो ओलंपिक में हार के बाद खेल छोड़ने वाली थी मनु

अब भले ही लोग मनु को स्टार मान रहें हैं। लेकिन एक समय वो भी था जब मनु टोक्यो ओलिंपिक में रोते हुए बाहर निकलीं थीं।

हरियाणा में झज्जर जिले के गोरिया गांव में जन्मी 22 साल की इंडियन शूटर मनु भाकर निशानेबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे होनहार युवा एथलीटों में से एक बन गई हैं।

Manu Bhaker
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स्कूल के दिनों में पढ़ाई को लेकर गंभीर रहने वाली मनु टेनिस, स्केटिंग और बॉक्सिंग जैसे 10 से ज्यादा खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है।

मजह 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया था।

साल 2021 में आयोजित टोक्यो ओलिंपिक 2020 मनु का पहला ओलिंपिक था और इससे उनको बहुत उम्मीदें थीं।

लेकिन इवेंट के दौरान मनु की पिस्टल का लीवर टूट जाने से उसमें खराबी आ गई और वो चूक गई।

Manu Bhaker
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मनु रोते हुए बाहर निकलीं थीं। इसके बाद उन्होंने शूटिंग छोड़ने तक का मन बना लिया था और लगभग 25 दिनों तक अपनी पिस्तौल की ओर देखा तक नहीं था।

मनु ने बताया कि वह डिप्रेशन से गुजरीं थी। उन्‍होंने गीत पढ़कर खुद को तनाव से दूर रखा।

ये उनका शूटिंग के प्रति प्रेम ही था जो उन्होंने इतना बेहतरीन कमबैक किया।

स्टार शूटर मनु भाकर की उपलब्धियां

कॉमनवेल्थ गेम्स में भी मेडल जीत चुकी मनु भाकर के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं।

उनके पास 2 ओलिंपिक, 1 एशियन गेम्स, 2 यूथ ओलिंपिक गेम्स, 5 ISSF जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप और 11 वर्ल्ड कप मेडल हैं।

साल 2017 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु ने 9 पदक जीतकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया। इसी दौरान उन्होंने ओलिंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 हीना सिद्धू का रिकॉर्ड भी तोड़ा था।

Manu Bhaker
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2017 में ही एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में भाकर ने रजत पदक अपने नाम किया।

फिर एक साल बाद 2018 में मनु 16 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल पदक जीतकर सोशल मीडिया सनसनी बन गईं।

इसके बाद भारतीय निशानेबाज अभिषेक वर्मा के साथ मनु की साझेदारी जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में अच्छी साबित हुई। जहां उन्होंने मिक्स टीम 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था।

भारतीय खेलों में उनके योगदान के लिए 2020 में प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

2 माह के संघर्ष के बाद बना था मनु का लाइसेंस 

मनु के शूटिंग से जुड़ने के बाद की यह बात करीब 7 साल पहले की, जब उन्हें एशियाई युवा खेलों में हिस्सा लेने के लिए विदेश जाना था।

.22 बोर की पिस्तौल का लाइसेंस लेने के लिए करीब दो माह से अधिक समय तक प्रशासनिक स्तर पर संघर्ष करना पड़ा।

कारण तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर छुट्टी पर थे और उनकी अनुपस्थिति में जिस एडीसी को लाइसेंस देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

दो माह से अधिक समय के बाद आखिरकार उनके प्रयास सफल हुए और युवा निशानेबाज लाइसेंस पाने में सफल हुईं। उ

ये थी कहानी स्टार शूटर मनु भाकर की। जिन्होंने अपने नाम कई उपब्धि करने के साथ इतिहास के पन्नों में खुद को अमर कर दिया।

भले ही मनु को हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी ये जीत सीख देती हैं कभी ना रुकने की और मेहनत करनें की।

 

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