कमलनाथ की मौजूदगी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और विरोधियों के माथे पर बल लाने के लिए काफी है। बावजूद इसके ऐन चुनाव के वक्त उनका नेपथ्य में चले जाना हजम नहीं हो रहा।
जिस कांग्रेस के भरोसे निशा बांगरे ने अपना करियर दांव पर लगाया उसी कांग्रेस ने एक हाथ बढ़ाकर दूसरे हाथ से उन्हें ठेंगा दिखा दिया और अब जबकि फुल ठगा हुआ महसूस कर रही हैं बांगरे मैडम तो उन्हें वापस नौकरी चाहिए।
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