केंद्र और राज्य दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार है इसलिए वोटिंग प्रतिशत में इजाफे का फायदा उसे मिलता दिखाई दे रहा है। यदि इस बार 11 की 11 सीटों पर बीजेपी आ जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, विकास जैसे जनता के मुद्दे चुनाव से गायब हैं, लेकिन वो कहते हैं जनता सब जानती है और 4 जून को फैसला हो जाएगा कि इस बार राम नाम सत्य किसका होगा।
एक बार फिर से श्याम रंगीला वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सुर्खियों में हैं, लेकिन कोई करामात दिखा पाएं ऐसा तो मुश्किल ही नजर आता है।
तीसरे चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की रैली में एक तीन से दो निशाने साधे। उन्होंने कांग्रेस के बहाने पाकिस्तान पर भी हमला बोला।
रामनिवास रावत बीजेपी में क्यों आए? कांग्रेस में ऐसी कौन सी कलह ने रावत का मन खट्टा किया? मान-मनौव्वल से भी आखिर क्यों रामनिवास नहीं माने? आइए इन तमाम बिंदुओं पर डालते हैं एक नजर...
कुल जमा चुनाव में एक दूसरे को घेरने और तोहमत लगाकर वोटर्स को रिझाने का ये सिलसिला सियासत में नया नहीं है, लेकिन मोदी के हालिया बयान ने इस सियासत की रिवायत को नई हवा दे दिया है, कहना गलत नहीं होगा।
सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार पलटी मार आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए हैं। नीतीश कुमार राजनीति की इंजीनियरिंग बखूबी जानते हैं। इसके बाद सवाल ये है कि क्या वे बीजेपी के लिए जरूरी हैं या फिर मजबूरी बन गए हैं। या फिर नीतीश खुद मोदी-शाह की राजनीति में फंस गए हैं।