Software Engineer Harshali Kothari: ब्यावर की रहने वाली 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी ने अपने जीवन में एक बहुत बड़ा फैसला लिया है।
बेंगलुरु की एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी में 32 लाख रुपये का सालाना पैकेज छोड़कर, वे अब साध्वी बनने जा रही हैं।
राजस्थान की छोरी हर्षाली 3 दिसंबर को जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण करेंगी।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से साध्वी बनने का सफर:
हर्षाली कोठारी (Software Engineer Harshali Kothari) अजमेर के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में करियर बनाया।
उनकी काबिलियत के कारण उन्हें बेंगलुरु की एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिली।
लेकिन, दुनिया की भौतिक सुख-सुविधाओं के बीच, हर्षाली का मन आध्यात्म की ओर खिंचता चला गया।
हर्षाली ने बताया कि करियर के दौरान वे हमेशा कुछ खालीपन महसूस करती थीं।
जैन धर्म के प्रवचनों से प्रभावित होकर उन्होंने दीक्षा लेने का फैसला किया।
उनका मानना है कि सच्चा सुख आत्मा की शांति में है, न कि भौतिक साधनों में।
हर्षाली ने क्या कहा:
हर्षाली ने बताया कि चार साल पहले, कोरोनाकाल के दौरान, वह आचार्य रामलाल जी महाराज के चातुर्मास आयोजन में सम्मिलित हुई थीं।
उस दौरान जैन रीति-रिवाजों और अनुशासित जीवनशैली से वे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने मोह-माया और दुनियादारी को त्यागने का निर्णय ले लिया।
परिवार का समर्थन:
आपको बता दें 3 भाइयों की इकलौती बहन हैं हर्षाली, जिस वजह से उनके माता-पिता भावुक हैं।
हर्षाली के इस फैसले में उनके परिवार ने पूरी तरह से साथ दिया है।
उनके माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी के इस निर्णय पर गर्व है।
वे मानते हैं कि हर्षाली का यह कदम दूसरों के लिए प्रेरणा बनेगा।
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दीक्षा समारोह की तैयारी:
3 दिसंबर को अहमदाबाद में एक भव्य समारोह के दौरान हर्षाली साध्वी बनेंगी।
इस दौरान देशभर से जैन धर्म के अनुयायी और साधु-साध्वी मौजूद रहेंगे।
युवाओं के लिए संदेश:
हर्षाली का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी को अपने जीवन का सही उद्देश्य समझना चाहिए।
उन्होंने बताया कि उनका यह निर्णय केवल एक व्यक्तिगत कदम नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धता और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
हर्षाली का यह साहसिक कदम समाज में आध्यात्मिकता और सादगी की नई मिसाल पेश करता है।