Lying on Ladli Behna Yojana: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जिन्हें हम प्यार से महाकाल के मोहन कहते हैं। इस गलतफहमी में कोई ना रहे कि वे सिर्फ सहज हैं सरल है हंसमुख हैं।
ये सारी खूबियां तो उनमे हैं ही, लेकिन जबसे उन्होंने शिव का डमरू छोड़कर मुरली थामी है, उसके सुर सिर्फ उन्हें ही सुनाई दे रहे हैं जिन्हें वो सुनाना चाहते हैं।
बिलकुल ताजी करामात है जब मोहन की मुरली की धुन पर शिव के गले से उतरकर भुजंग उनकी छाती पर लोट गए। हैरत में पड़ गए ना आप।
अब सुनिए शिव कथा विस्तार से जो मोहन के मुखारबिंद से क्या निकली अच्छे-अच्छे पॉलिटिकल पंडितों के दिलोदिमाग को हिलाकर रख गई है।
दरअसल मोहन यादव ने नागपुर में एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में जब ये खुलासा किया कि लाड़ली बहना योजना (Lying on Ladli Behna Yojana) शिवराज सिंह चौहान की नहीं बल्कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्बा सरमा की योजना है जिसे शिवराज मध्य प्रदेश में लाए।
मोहन यादव के इस खुलासे ने एकाएक सूबे की सियासत को बेहद गरमा दिया है। मोहन यादव के इस सच का सीधा अर्थ है कि शिवराज ने झूठ की बुनियाद पर लाड़ली बहना योजना की तामीर की।
झूठ भी ऐसा कि रात को सपना आया, मैने अपनी पत्नी को बताया। अब हम क्या बताएं आप खुद ही सुन चुके होंगे कि शिवराज सिंह चौहान क्या-क्या कहते थे योजना के बारे में।
जिस सफाई से शिवराज सिंह चौहान ने इस झूठ को इमोशन की चाशनी में पगाकर प्रदेश की एक करोड़ 25 लाख बहनों के सामने परोसा।
सियासत की हांडी में पके इस पकवान ने बीजेपी के अरमान पूरे भी किए और विधान सभा से लेकर लोक सभा चुनाव तक लाड़ली बहनों ने बीजेपी को भरपूर आशीर्वाद दिया।
लेकिन अब यही लाड़ली बहना योजना मोहन सरकार के गले की हड्डी बन चुकी है। 4 लाख करोड़ का कर्ज है राज्य सरकार पर और इस एक अदद योजना ने सूबे को और कर्जदार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
अब सवाल ये है कि मोहन यादव सूबे की कमान संभालने के 7 महीने बाद ही क्यों बोले कि ये योजना शिवराज की नहीं थी। तो इसका भी जवाब यही है कि इंतजार किया जा रहा था लोक सभा चुनाव का।
दूसरे ये भी कि जिनके इशारे पर तीसरी पंक्ति से उतरकर पहली सफ में मोहन यादव आए और मुख्यमंत्री बनाए गए तो उन्हीं के इशारे का इंतजार भी था और जैसे ही इशारा हुआ निशाना साध दिया गया
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या मोहन यादव इस योजना (Lying on Ladli Behna Yojana) से पिंड छुड़ाना चाहते हैं या शीर्ष नेतृत्व शिवराज का पानी उतारना चाहता था इसलिए मोहन यादव ने ये बयान दिया।
सवाल ये भी कि संघ के मुख्यालय नागपुर में ही ये बात क्यों कही मोहन यादव ने। सवाल ये भी कि आखिर क्या वजह है कि जिन शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव को अपने कार्यकाल में मंत्री बनाया वो सीधे-सीधे उनपर ही अटैक कर रहे हैं।
कुल जमा इन तमाम बातों का जवाब एक ही शख्स के पास है और वो हैं खुद शिवराज सिंह चौहान कि आखिर कौन सच्चा है कौन झूठा। इंतजार यही है कि मोहन के इस वार का किस प्यार से जवाब देते हैं शिवराज।