AMARWARA BY-POLL : लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में क्लीन स्वीप मार चुकी बीजेपी की नजरें अब अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव पर टीक गई है।
लेकिन, कांग्रेस भी मैदान में पूरे दम खम के साथ उतरी है और लोकसभा की हार का बदला लेने के मूड में है।दोनों पार्टियों के लिए ये सीट मानों अब उनकी इज्जत जितनी प्रिय है।
10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव में कहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दोनों दलों का खेल ना बिगड़ दें।
क्यों हो रहें हैं अमरवाड़ा में उपचुनाव ?
सोमवार 8 जुलाई को अमरवाड़ा में चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। 10 जुलाई को मतदान होंगे और 13 जुलाई को परिणाम घोषित हो जाएंगे।
यहां उपचुनाव (AMARWARA BY-POLL) क्यों हो रहें ये भी जान लेतें हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले इसी सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह ने 29 मार्च को बीजेपी का दामन थाम लिया और अपनी विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया।
विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफा स्वीकार करते ही अमरवाड़ा सीट खाली घोषित कर दी जाती है और इसी वजह से अब यहां उपचुनाव हो रहा हैं।
फिलहाल कांग्रेस से भाजपा में आए कमलेश प्रताप शाह को ही बीजेपी ने उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। तो कांग्रेस से इस बार धीरन शाह इनवाती मैदान में हैं।
त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस – बीजेपी को किस से डर ?
कांग्रेस ने खास रणनीति के तहत आंचल कुंड धाम के धीरेन शाह के प्रचार के लिए पूरी पार्टी के साथ पूर्व सांसद नकुलनाथ और कमलनाथ ने मोर्चा संभाला।
बीजेपी उम्मीदवार कमलेश शाह के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत पूरी पार्टी ने जोर लगा दिया। लेकिन इस बार मुकाबला सीधे-सीधे दो पार्टियों के बीच नहीं हैं।
आदिवासी बहुल सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दोनों दलों के वोटरों में सेंध लगाने में जुटी है। फिलहाल पार्टी के उम्मीदवार देवरावेन भलावी पर सबकी नजरें टिकी हैं क्योंकि उनका अपना वोट बैंक तो है ही साथ ही आदिवासी बहुल इस सीट पर गोंगपा का भी प्रभाव है।
अमरवाड़ा सीट पर आदिवासी वोट बैंक का प्रभाव
अमरवाड़ा विधानसभा सीट (AMARWARA BY-POLL) पर आदिवासी वोट बैंक का गहरा प्रभाव है। 2 लाख 34 हजार से ज्यादा वोटरों वाली इस सीट पर करीब 58% वोटर अनुसचित जनजाति के हैं।
पुरुष वोटर 1 लाख 18 हजार से ज्यादा तो वहीं महिला वोटर 1 लाख 16 हजार से ज्यादा हैं।
आंकड़ों के मुताबिक देखें तो करीब 1 लाख 40 हजार ST वोटर हैं। इसके बाद SC वोटर हैं, जिनकी संख्या करीब 21 हजार 167 है।
यहां 6,308 मुस्लिम मतदाता भी हैं। ग्रामीण और शहरी वोटरों का अनुपात देखें तो कुल वोटरों का करीब 93% वोटर ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। यानी इस विधानसभा सीट पर जीत के फैसलें में ग्रामीण आबादी की मुख्य भूमिका रहती है।
विस चुनाव में BJP 164 सीटें जीतें, छिंदवाड़ा की 7 सीटें हारी
विधानसभा चुनाव में बीजेपी भले ही 164 सीटें जीतकर सत्ताधारी पार्टी बन गई, लेकिन कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा जिले की सभी 7 सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा था। इनमें से एक अमरवाड़ा विधानसभा सीट भी थी।
इस सीट पर 72 साल में 14 चुनाव हुए, जिसमें 1990 और 2008 में बीजेपी जीती। 1967 में भारतीय जनसंघ पार्टी ने एक बार चुनाव जीता। वहीं 11 बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की है।
क्या बीजेपी लोकसभा के बाद विधानसभा में भी कांग्रेस का ये किला ढहा पाएगी। क्या कांग्रेस इस क्षेत्र में अपनी साख बरकरार रख पाएगी। या फिर गोंगपा दोनों का खेल बिगाड़ देगी। ये तो 13 जुलाई को चुनाव परिणामों में साफ हो जाएगा।