MP Assembly: मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र पांच दिन ही चल पाया। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
आपको बता दें कि ये मानसून सत्र 19 जुलाई तक चलना था, लेकिन चला सिर्फ 5 जुलाई तक। पिछले दो दशक में एक बार भी बजट सत्र पूर्ण अवधि तक नहीं चल सका है।
शुक्रवार को भी बजट पर चर्चा हुई शोर शराबा हुआ और विपक्ष की आपत्तियां और अनुदान मांगों के बाद बजट पारित कर दिया गया। विधानसभा (MP Assembly) का यह सत्र अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया।
बता दें कि इस सत्र में 14 बैठकें होना थी, लेकिन बीच में ही सत्र स्थगित हो गया। आइए आपको बताते हैं किस सत्र में सबसे ज्यादा बैठकें हुईं।
- 2004 में जून-जुलाई में हुए बजट सत्र में 37 में से 18 बैठकें हुईं थीं
- 2011 में कुल प्रस्तावित 40 बैठकों में से 24 बैठकें हुईं थीं
- 2015 में कुल 24 बैठकों में से मात्र 7 बैठकें ही हुईं थीं
- सत्रों की अवधि भी लगातार घटती जा रही है
- 2004 के बाद से यह सबसे छोटा बजट था
- 2022 और 2023 में 13-13 बैठकों के सत्र आए थे जो पूरी अवधि तक नहीं चले
- 2020 में कमलनाथ सरकार में 17 बैठकों का बजट सत्र 2 बैठकों में ही खत्म हो गया था
बता दें कि बजट सत्र में विभिन्न प्रस्ताव आते हैं और इन प्रस्तावों पर विधायक अपने सुझाव रखते हैं, लेकिन सत्र बीच में खत्म हो जाने से विधायकों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता।
इस बार भी नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि विपक्ष पर सदन नहीं चलने देने के आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार विपक्ष ने हंगामा किया।
सदन चलने में विपक्ष ने भले ही असहयोग नहीं किया, इसके बावजूद सत्र बीच में ही समाप्त कर दिया गया।
कुल जमा देखा जाए किसी भी विधायक के लिए विधानसभा ही वो एक स्थान है जहां वो अपनी बात रखता है, समस्याएं रखता है और अपने क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
ऐसे में सत्र जब पूरी अवधि तक नहीं चलते तो कई विधायकों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता। बहरहाल सत्र अब छोटे होते जा रहे हैं।
लिहाजा होना यही चाहिए कि विधानसभा के सत्र तय अवधि तक चलें, लेकिन इसके लिए पक्ष और विपक्ष दोनों को ही अपनी जिम्मेदारी समझना होगी तभी बात बनेगी।