Homeलाइफस्टाइलकेक से कैंसर का दावा: जितना खूबसूरत और टेस्टी, उतना ही खतरनाक

केक से कैंसर का दावा: जितना खूबसूरत और टेस्टी, उतना ही खतरनाक

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।
Cancer From Cake: कोई भी बर्थडे पार्टी या इवेंट केक के बिना अधूरा माना जाता है, बच्चों को तो केक बेहद पसंद होता है।

लेकिन जब यहीं केक, कैंसर का कारण बन जाए तो क्या आप तब भी इसे खाना पसंद करेंगे? शायद नहीं

मगर सवाल ये है कि ऐसा कैसे हो सकता है? तो आइए जानते हैं पूरा मामला…

कर्नाटक में केक में मिला कैंसर का केमिकल

स्थानीय रूप से बनने वाले केक में इस्तेमाल होनी वाली सामग्रियों से कैंसर होने का खतरा हो सकता है।

दरअसल, हाल ही में कर्नाटक के फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी डिपार्टमेंट की जांच में केक के सैंपल में ऐसे केमिकल मिले हैं जो कैंसर पैदा करते हैं।

फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी डिपार्टमेंट ने दुकानों से केक के कुछ सैंपल लिए थे, जिनकी जांच में पता चला है कि केक में आर्टिफिशियल रंगों का यूज किया जा रहा है।

ये रंग सेहत के लिए खतरनाक हैं और कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं।

Cancer from cake, cake, cancer, red velvet cake, black forest cake, cancer chemical in cake, Karnataka,केक के 12 नमूनों में पाए गए कैंसर होने वाले तत्व

स्वास्थ्य अधिकारियों ने 235 में से 223 केक के नमूनों को खाने के लिए सुरक्षित पाया, जबकि 12 नमूनों में कैंसर होने वाले वाले तत्व पाए गए।

इनमें से ज्यादातर में खतरनाक कृत्रिम रंग जैसे कि एल्यूरा रेड, सनसेट येलो FCF, पोंसेउ 4R, टार्ट्राजिन और कारमोइसिन का इस्तेमाल हो रहा था।

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ये कलर रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट जैसे केक में ज्यादा मौजूद थे।

राज्य के खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियामक ने एक बयान में कहा कि कृत्रिम रंगों के अधिक उपयोग से न केवल कैंसर का जोखिम बढ़ता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच सकता है.

इससे ज्यादा कलर मिलाया तो कैंसर का खतरा

1kg केक में 100 mg से अधिक कलर नहीं मिलाना चाहिए, खासतौर पर सनसेट येलो FDF को तो किसी भी हाल में इससे ज्यादा नहीं मिलाना चाहिए।

अगर ऐसा करते हैं तो इससे कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

ऐसा इसलिए क्योंकि अगर इन केमिकल को ज्यादा मिलाया जाता है तो जब कोई व्यक्ति केक खाएंगा तो उसके शरीर में केमिकल की मात्रा बढ़ेगी. इससे कैंसर का रिस्क बढ़ेंगा।

ये इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारी का भी कारण बन सकता है।

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सबसे खतरनाक रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट केक

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट केक में अधिक रंगों के इस्तेमाल के कारण यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक है।

गौर करने वाली बात ये है कि ये दोनों ही केक देखने में बेहद सुंदर होते है और खाने में भी बेहद टेस्टी होते हैं।

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क्या सभी केक खाने वालों को होगा कैंसर?

अब हर व्यक्ति ने कभी न कभी तो केक खाया ही होगा, तो क्या केक खाने से सभी को कैंसर हो सकता है?

इस बारे में एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं, जानिए…

इस रिपोर्ट का ये मतलब नहीं है कि सभी केक खाने वालों को कैंसर हो सकता है या जिन्होंने पहले केक खाया है उनको कैंसर का खतरा है।

इस बीमारी का रिस्क तभी होगा जब आपके केक में जरूरत से ज्यादा केमिकल मिलाया जा रहा हो या आप कई सालों से केमिकल वाले केक खा रहे हों।

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केक में केमिकल की जांच कैसे करें

अब सवाल उठता है कि केक में केमिकल है इस बात की जांच कैसे की जाए? तो इसके लिए एक्सपर्ट्स ने कुछ सुझाव दिए हैं…

अगर केक का रंग ज्यादा चमकदार है, या इसमें अजीब सी स्मैल आ रही है, तो इसमें केमिकल हो सकता है।

अगर केक की पैकेजिंग पर किसी तरह के केमिकल का नाम दिया गया है, तो पढ़ें की ये केमिकल किस लिए मिलाया गया है।

केक के पैकेज पर किसी प्रमाणीकरण एजेंसी की मुहर है, तो यह सुरक्षित है।

अगर नहीं है तो ऐसा केक लेने से बचें, इसमें केमिकल हो सकता है।

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कृत्रिम रंगों का उपयोग करने वालों को चेतावनी

कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता विभाग ने स्थानीय बेकरियों को ऐसे केक बेचने पर चेतावनी भी दी, जिनमें हानिकारक रसायनों और कृत्रिम रंगों की अत्यधिक मात्रा होती है.

कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन पर बैन

इससे पहले कर्नाटक में कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन पर भी बैन लग चुका है क्योंकि इनमें रोडामाइन बी केमिकल मिलाया जा रहा था।

इस केमिकल से खाने की चीजों को लाल रंग दिया जाता है। ये केमिकल शरीर में कैंसर का कारण बन सकते हैं।

इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 7 साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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