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‘One Nation One Election’ बिल लोकसभा में पेश, पक्ष में 269 तो विरोध में पड़े 198 वोट

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Manish Kumar
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One Nation One Election Bill: नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन यानी 17 दिसंबर, मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश किया।

‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर विधेयक लाना भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था।

विपक्षी दलों के लगातार विरोध के बाद भी केंद्र सरकार ने ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक लोकसभा में पेश किया है।

ऐसे में लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तीखी नोंकझोंक औऱ बहस देखने-सुनने को मिलने वाली है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार के लिए ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक को पारित करवाना इतना आसान नहीं होगा।

‘एक देश एक चुनाव’ बिल पेश होने के बाद सांसदों को इस पर बोलने का वक्त दिया गया।

कई पार्टियों की आपत्ति के बाद बिल को दोबारा पेश करने को लेकर वोटिंग हुई और ज्यादा वोट पड़ने के बाद बिल पेश किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजना चाहिए। कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं।

पर्ची से वोट पड़ने के बाद दोबारा पेश हुआ बिल –

मंगलवार 17 दिसंबर 2024 के 12:10 बजे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल पेश किया।

विपक्षी सांसदों ने बिल का विरोध किया, जिसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने बिल पेश करने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई।

इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला। बिल के पक्ष में 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े। इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर विपक्ष को आपत्ति है तो पर्ची से वोटिंग करवाने का सुझाव दिया।

इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे तो वह पर्ची के जरिये भी अपना वोट संशोधित कर सकता है।

इसके बाद पर्ची से बिल को लेकर वोटिंग कराई गई। इस बार ज्यादा सांसदों ने वोट डाला।

बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 मत पड़े। इसके बाद 1:15 बजे कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दोबारा बिल पेश किया।

केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ने केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े 3 कानूनों में संशोधन का बिल भी पेश किया है।

इसमें द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट- 1963, द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली-1991 और द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट-2019 शामिल हैं।

इसके जरिये जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भी संशोधन किया जा सकता है।

One Nation One Election Bill: सरकार ने कहा- खर्च में आएगी कमी –

बता दें कि बिल पेश होने से पहले केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने कहा था कि आजादी के बाद से चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभाओं के 400 से ज्यादा चुनाव करा चुका है।

अब हम एक देश, एक चुनाव का कॉन्सेप्ट लाने जा रहे हैं।

एक हाईलेवल कमेटी इसका रोडमैप बना चुकी है।

इससे प्रशासनिक क्षमता बढ़ेगी, चुनाव संबंधी खर्च में कमी आएगी और नीतिगत निरंतरता को बढ़ावा मिलेगा।

One Nation One Election Bill: ‘एक देश एक चुनाव’ बिल पर किसने क्या कहा –

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।

भारत राज्यों का संघ है। आप विधानसभाओं का कार्यकाल कम नहीं कर सकते।

संघवाद का मूलभूत सिद्धांत है कि संविधान में केंद्र और राज्य बराबरी के हकदार हैं।

आप राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को संसद के कार्यकाल के अधीन कैसे कर सकते हैं?

शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एक देश, एक चुनाव पावर को सेंट्रलाइज (केंद्रीकृत) करने जैसा है।

लोकसभा में संविधान पर दो दिन चर्चा हुई, राज्यसभा में अभी भी चल रही है। ऐसे में संविधान पर हमला दुर्भाग्यपूर्ण है।

चुनाव प्रक्रिया में छेड़छाड़ करके केंद्र सरकार अपनी ताकत और बढ़ाना चाहती है।

वहीं, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ देश के प्रगति के लिए है।

5 साल में एक बार चुनाव होगा। पहले भी ऐसा ही हुआ करता था।

1952 से पहले चुनाव ऐसे ही होते थे। कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग कर दी थी।

इस पर बात करें, लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह भारत के संविधान और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक हमला है।

इसका पुरजोर विरोध कांग्रेस पार्टी और INDIA गठबंधन करेगा।

यह बिल भाजपा की मंशा व्यक्त करता है कि वो किस प्रकार से भारत के चुनाव की निष्पक्षता को छिनने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत में निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग है।

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