Economic Survey 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया है।
इसमें सरकार इस वित्त वर्ष यानी 2024-25 में देश की GDP का अनुमान और महंगाई समेत कई जानकारियां होती है।
लेकिन, आखिर ये इकोनॉमिक सर्वे पेश करना सरकार के लिए जरूरी क्यों होता है?
इसे कौन तैयार करता है या पहला इकोनॉमिक सर्वे कब पेश हुआ था?
जानेंगे इकोनॉमिक सर्वे से जुड़े सारे सवालों के बारे में –
GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 18वीं लोकसभा और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी।
इससे एक दिन पहले शुक्रवार 31 जनवरी को उन्होंने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया।
इस सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान जताया गया है।
वहीं, GST कलेक्शन 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, दिसंबर 2023 में महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई।
बीते महीने महंगाई घटकर 5.22% रह गई, इससे पहले नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी।
वहीं 4 महीने पहले अगस्त में महंगाई 3.65% पर थी।
1950-51 में पेश हुआ था पहला इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और भविष्य की चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
इसमें अर्थव्यवस्था की वृद्धि, महंगाई, सरकारी नीतियों और विकास दर का आकलन किया जाता है।
इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है।
भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था।
हालांकि, 1964 के बाद से सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया।
तब से ही बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी किया जाता है।
इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है।
इकोनॉमिक डिवीजन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे
भारत एक ऐसा देश है, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है।
ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है, जिसमें पूरा हिसाब-किताब रखा जाता है।
साल खत्म होने के बाद इसे ही देखकर पता चलता है कि कितना कमाया और कितना बचाया?
फिर इसी के आधार पर आम आदमी तय करता है कि आने वाले साल में उसे कितना खर्च करना है और कितनी बचत करनी है?
ऐसा ही सिस्टम देश के लिए भी होता है।
हमारे देश का इकोनॉमिक सर्वे वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के तहत इकोनॉमिक डिवीजन तैयार करता है।
यह मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की देखरेख में तैयार किया जाता है।
वर्तमान में इस पद पर डॉ. वी अनंत नागेश्वरन हैं।
सरकार के लिए जरूरी नहीं हैं सर्वेक्षण की सिफारिशें
इकोनॉमिक सर्वे कई मायनों में जरूरी होता है।
ये एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन की तरह काम करता है।
इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है।
हालांकि, सरकार के लिए सर्वे को पेश करना और इसमें दिए गए सिफारिशों को मानना अनिवार्य नहीं है।
अगर सरकार चाहे तो इसमें दिए सारे सुझावों को खारिज कर सकती है।
फिर भी इसकी अहमियत है क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है।