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Uttar Pradesh में BJP को क्यों मिलीं कम सीटें, ये रहीं बड़ी वजह

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एक कहावत है जो देश के सियासी परिदृष्य को लेकर हमेशा से कही जाती रही है कि केन्द्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही निकलता है और ये बात इस बार के आम चुनाव से पहले 16 आने सच भी थी।

लेकिन, अबकी बार ये मिथक ऐसा टूटा कि 400 पार का नारा लगाने वाली बीजेपी जीत के बाद भी हारा हुआ महसूस कर रही है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो उत्तर प्रदेश की हार के एक नहीं कई कारण हैं और सबसे बड़ा कारण है यूपी में जीत सुनिश्चित मानना और ऐसे फैसले लेना जो हार का कारण बना।

शीर्ष नेतृत्व ने न तो यहां कार्यकर्ताओं का मन टटोला और ना राज्य सरकार के सुझावों को माना और रही सही कसर मौजूदा और पूर्व विधायकों ने प्रत्याशियों को समर्थन नहीं करके पूरी कर दी।

यूपी में हार के कारण खोजे जा रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ मीटिंग कर चुके हैं और खामियों को दूर करने की जद्दोजहद की जा रही है।

मोटे तौर पर जो खास वजहें यूपी में बीजेपी की गिरे ग्राफ की सामने आईं हैं वो ये हैं…

  • यूपी में इसलिए पिछड़ गई बीजेपी
  • उत्तर प्रदेश में मोदी लहर के प्रभाव में रहे प्रत्याशी
  • मोदी और योगी के भरोसे प्रत्याशियों ने जोर नहीं लगाया
  • प्रत्याशी चयन में शीर्ष नेतृत्व ने गलतियां की
  • दो बार के सांसदों के खिलाफ जनता के असंतोष को भांप नहीं पाया आलाकमान
  • टिकट वितरण में राज्य सरकार के सुझावों को शीर्ष नेतृत्व ने अनदेखा किया
  • राज्य सरकार के प्रत्याशी बदलने के सुझाव को शीर्ष नेतृत्व ने नहीं माना
  • यूपी में बीजेपी के 26 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा
  • जिन 16 सीटों पर उम्मीदवार बदले उनमें से 11 जीतकर आए
  • संगठन और प्रत्याशियों मे तालमेल की कमी साफ दिखाई दी
  • कार्यकर्ताओं का उदासीन रवैया भी एक कारण बना
  • मतदाता पर्ची कम मतदाताओं तक पहुंची
  • सांसदों को पूर्व और वर्तमान विधायकों का सपोर्ट नहीं मिला
  • दलित मतदाता बिचक गए
  • कांग्रेस की 8500 की गारंटी ने भी असर डाला
  • संविधान बदलने की बात का पार्टी ने जवाब नहीं दिया
  • आरक्षण खत्म करने के दुष्प्रचार की काट बीजेपी के पास नहीं थी

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी मात्र 36 सीटों पर सिमट गई। 80 में से 43 सीट कांग्रेस और सपा गठबंधन को मिली।

जाहिर है बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश मे मिला डेंट काफी गहरा है जिसके बाद से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठे तो संघ ने भी आंखे तरेरने में गुरेज नहीं किया।

केन्द्र में एनडीए ने सरकार बना तो ली, लेकिन आने वाले समय में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां पार्टी को फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ेगा।

अब पार्टी उत्तर प्रदेश में कमियों को तलाश कर उन्हें दूर करने के लिए क्या कुछ फैसले करती है, देखना दिलचस्प होगा।

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