ATM Shortage in India: इन दिनों देशभर के बैंक एक अलग तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं और इस समस्या से उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक को भी अवगत करा दिया है।
यह समस्या है देश भर में एटीएम (ATM) की किल्लत की, जिसे लेकर सभी बैंक परेशान हैं।
बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) और केंद्र सरकार (Government of India) को बताया है कि उन्हें इन मशीनों को हासिल करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी बैंकों ने सरकार से ई-मार्केट प्लेस (E-Marketplace) से खरीद के नियमों को स्पष्ट करने की मांग की है।
सूत्रों के हवाले से ET की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते माह हुई बैठक में बड़े बैंकों के प्रतिनिधियों ने बताया है कि कई मसलों पर बातचीत हुई थी।
इसी दौरान देशभर में बैंकों को हो रही एटीएम की कमी का मसला भी उठाया गया। एटीएम वेंडर्स के पास बैंकों की जरूरतों को पूरा करने लायक प्रोडक्शन कैपिसिटी नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एटीएम वेंडर्स इस किल्लत के लिए वित्त वर्ष 2020 में लागू किए गए मेक इन इंडिया (Make in India) गाइडलाइंस को जिम्मेदार ठहराते हैं।
इस गाइडलाइंस के कारण वेंडर्स को भारत में अपने ऑपरेशंस शुरू करने में काफी समय लग गया।
कई एटीएम वेंडर्स भारत में रजिस्टर्ड भी नहीं हैं इसलिए बैंक चाहते हैं कि खरीद के नियमों को सरकार की ओर से स्पष्ट किया जाए ताकि आगे जाकर उन पर कोई रेगुलेटरी एक्शन न लिया जाए।
बैंक चाहते हैं कि यदि सभी गाइडलाइंस का पालन होता है तो उन्हें एटीएम के लिए इंडिपेंडेंट प्रपोजल जारी करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इस समय बैंक एटीएम में लॉक करने योग्य कैसेट सिस्टम लागू करने जा रहे हैं, लेकिन एटीएम की कमी के चलते बैंकरों के कारोबार पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
बैंक अधिकारियों के मुताबिक, यह बदलाव कई स्टेज में किया जाना था, लेकिन बैंक अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं और इसकी वजह से उनके ऊपर जुर्माना लगाने के साथ ही रेगुलेटरी एक्शन लिए जा सकते हैं।
सीएमएस इंफो सिस्टम्स (CMS Info Systems) के मुखिया मंजूनाथ राव बताते हैं कि बैंक अब एटीएम के अलावा कैश रीसाइकलिंग मशीनें भी लगा रहे हैं और इसकी वजह से GeM पोर्टल पर डिमांड बढ़ने की संभावना है।