Rahul Gandhi MYH Hospital: इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव अस्पताल (MYH) के नवजात गहन देखभाल इकाई (NICU) में दो नवजात शिशुओं की मौत का मामला गंभीर राजनीतिक विवाद बन गया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को ‘हत्या’ करार देते हुए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है।
वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के बीच पोस्टमॉर्टम को लेकर परस्पर विरोधी बयानों ने मामले में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
राहुल गांधी का तीखा हमला: ‘हादसा नहीं, हत्या है’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखकर इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई।उन्होंने लिखा,
“इंदौर में मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत…यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है।” उन्होंने कहा कि यह घटना “भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील” है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी बुनियादी जिम्मेदारी निभाने में विफल रही है। उन्होंने लिखा,
“हेल्थ सेक्टर को जानबूझकर प्राइवेट हाथों में सौंपा गया – जहां इलाज अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है, और गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल अब जीवनदायी नहीं, मौत के अड्डे बन चुके हैं।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव पर तंज कसते हुए आगे लिखा-
“PM मोदी और MP के मुख्यमंत्री को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। आपकी सरकार ने देश के करोड़ों गरीबों से स्वास्थ्य का अधिकार छीन लिया है – और अब मां की गोद से बच्चे तक छिनने लगा है।
मोदी जी, यह आवाज़ उन लाखों मां-बाप की तरफ से उठ रही है जो आज सरकारी लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। क्या जवाब देंगे? हम चुप नहीं रहेंगे। ये लड़ाई हर गरीब, हर परिवार, हर बच्चे के हक़ की है।”

क्या हुआ था? जानिए पूरी घटना
मामला MYH के NICU का है, जहां मंगलवार और बुधवार को दो नवजात शिशुओं की मौत हुई।
शुरुआती खबरों में दावा किया गया कि रविवार को इन शिशुओं को चूहों ने कुतर दिया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
यह खबर सुनकर हर कोई हैरान रह गया। हालांकि, प्रशासन ने इस दावे से इनकार किया।
इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह और अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव ने बताया कि मंगलवार को मरने वाला बच्चा खंडवा की लक्ष्मीबाई का और बुधवार को मरने वाला बच्चा देवास की रेहाना का था।
उनका दावा था कि मौत का कारण चूहे नहीं बल्कि अन्य बीमारियां थीं।
उन्होंने यह भी कहा कि रेहाना के बच्चे का पोस्टमॉर्टम परिवार की सहमति के बाद नहीं हुआ, जबकि दूसरे बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चूहे के काटने का जिक्र नहीं है।
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पोस्टमॉर्टम को लेकर भ्रम: किसका बयान सही, प्रशासन का या पुलिस का?
मामले में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब पुलिस और प्रशासन के बयानों में विरोधाभास सामने आए।
- अस्पताल पुलिस चौकी के एक पुलिसकर्मी ने कहा कि लक्ष्मीबाई के नवजात का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और शव को अंतिम संस्कार के लिए एनजीओ को सौंप दिया जाएगा।
- वहीं, संयोगितागंज थाना प्रभारी ने देर रात पुष्टि की कि उस बच्चे का पोस्टमॉर्टम अभी तक हुआ ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर परिजन नहीं आते हैं तो गुरुवार को पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा।
इस विरोधाभास ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया कि क्या कलेक्टर और सुपरिटेंडेंट को अस्पताल प्रशासन ने गलत जानकारी दी थी?
एक पड़ताल में पता चला कि CMO के दफ्तर के रजिस्टर में भी उलट-पुलट थी।
एक वार्ड बॉय ने पहले कहा कि पोस्टमॉर्टम हो गया है, लेकिन बाद में उसने कहा कि अभी नहीं हुआ है।

तुरंत की गई कार्रवाई और जांच के आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। अब तक की गई कार्रवाई इस प्रकार है:
- दो नर्सिंग ऑफिसर – आकांक्षा बेंजामिन और श्वेता चौहान को निलंबित कर दिया गया है।
- नर्सिंग सुपरिटेंडेंट मारग्रेट जोजफ को हटा दिया गया है।
- कई डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को शोकॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) जारी किए गए हैं।
- अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल (कीट नियंत्रण) की जिम्मेदारी निभा रही private एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और उसे टर्मिनेट करने का नोटिस दिया गया है।
- एक उच्च-स्तरीय जांच समिति बनाई गई है, जो जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।
- मानव अधिकार आयोग ने भी इस मामले की संज्ञान लेते हुए एक महीने में रिपोर्ट मांगी है।
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इस घटना को ‘गंभीर’ बताते हुए कहा कि तुरंत कार्रवाई की गई है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि “भ्रष्टाचार से बीजेपी नेताओं का पेट भर रहा है” और यह व्यवस्था चूहों से भी ज्यादा दोषी है।

इंदौर की यह दुखद घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में गहरे पैठे गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है।
एक ओर जहां एक बच्चे के शव का भविष्य अनिश्चित है और पोस्टमॉर्टम को लेकर भ्रम की स्थिति है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर सच्चाई क्या है और दोषी कौन है?
जनता की नजरें अब गठित जांच समितियों की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे उम्मीद है कि इस दुखद घटना की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।


