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चुनावी सिस्टम पर संदेह करना छोड़ देंगे हमारे राजनेता या फिर कोसा जाएगा EVM!

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नई दिल्ली। माननीय सर्वोच्च अदालत सिर्फ सिस्टम पर शक ही पैदा नहीं होगा बल्कि पूरे सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाएगा। इस बार भी आप देखिए लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आते ही देश में फिर बकैती शुरू हो जाएगी। हमारे चुनावी सिस्टम पर अविश्वास जताया जाएगा।

इस बार भी ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ा जाएगा। इस बार फिर दुनिया भर में हमारे देश को बदनाम किया जाएगा। इस बार भी हमारे लोकतंत्र की साख को बीच चौराहे पर खड़ा किया जाएगा और ये सब कौन करेगा? वो लोग जो ईश्वर को हाजिर नाजिर मान कर सत्य-निष्ठा की प्रतिज्ञा लेते हैं।

विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं। भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखने की कसम खाते हैं। अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करने की शपथ लेते हैं। संविधान और विधि के अनुसार न्याय करने की शपथ लेते हैं।

शपथ का प्रारूप हम इसलिए याद दिला रहे हैं क्योंकि रिजल्ट वाले दिन हमें पूरा विश्वास है कि हमारे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हमारे संविधान की शपथ को अपने दिमाग के किसी कोने में डाल देंगे और अपनी हार पर हर तरफ हाय तौबा मचाएंगे।

इतना ही नहीं जब वो ईवीएम पर सवाल उठाएंगे तब ये भी भूल जाएंगे कि उसी ईवीएम पर जनता के भरोसे के कारण वो कई बार चुनाव जीते हैं। आप कह रहे होंगे कि ये तो हाईपोथेटिकल है, अभी रिजल्ट तो आने दीजिए। हमारे देश के कर्णधारों पर आप ऐसे कैसे आरोप लगा सकते हैं।

तो जनाब हमारे पास इसका ठोस प्रमाण है। इस बार भी देश में चुनाव इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) से ही होंगे, बैलेट पेपर से नहीं। इसके अलावा EVM से VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग भी नहीं होगी। ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है।

खैर देश की सबसे बड़ी अदालत ने वही किया जो देशहित में है। सवालों के घेरे में तो वे हैं, जो ईवीएम अपने चुनावी नफे नुकसान के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

ऐसे लोग ईवीएम पर तब संदेह जताने का झंडा उठा लेते हैं जब पूरा चुनाव कार्यक्रम तय हो जाता है। ऐसे लोग चुनाव के 4 महीने पहले कोर्ट इसलिए नहीं जाते क्योंकि ईवीएम मुद्दा जिंदा रहे। दूसरा जहां-जहां ईवीएम विरोधी चुनाव जीत जाते हैं, वहां खामोशी ओढ़ लेते हैं।

ये वैसा ही जैसे इन दिनों कहा जा रहा है कि संविधान खत्म करने की कोशिश हो रही है। भैया संविधान किसी के बाप की बपौती है जो खत्म कर देंगे। संविधान में सिर्फ संशोधन होता है, वो भी संसद से।

जरा सोचिए हम खुद अपनी संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर दूसरे मुल्कों को सवाल उठाने की मौका नहीं दे रहे हैं।

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