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मैहर: रहस्यों से भरा है मां शारदा का ये मंदिर, सदियों से अमर भक्त आल्हा करते हैं सर्वप्रथम पूजन

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जगतजननी मां भगवती की आराधना का पर्व है चैत्र नवरात्रि। इन नौ दिनों में मां के 9 रूपों की आराधना की जाती है माना जाता है कि नवरात्रि के पर्व पर मां जगदम्बा की स्तुति और पूजन करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही वजह है कि गृहस्थ हों या साधक नवरात्रि पर मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखकर उनका पूजन और भजन करते हैं। नवरात्रि का हर एक दिन मां के एक रूप को समर्पित माना जाता है लेकिन नौ दिनों में देश के तमाम देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है और पूरे मनोयोग के साथ भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए जतन करते हैं। मां भगवती के शक्तिपीठों में से एक है मैहर के त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मां शारदा का मंदिर जहां नवरात्रि के पर्व पर लाखों की तादाद में भक्त उनके दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। आइए जानते है मां शारदा की महिमा और इस मंदिर के इतिहास और चमत्कारों के बारे में

ये है मध्य प्रदेश का मैहर जिला जो मां शारदा की नगरी के नाम से विश्व विख्यात है। यहां के त्रिकुट पर्वत पर विराजी हैं मां शारदा जो सदा अपने भक्तों पर विशेष कृपा की अनवरत वर्षा करती आ रही हैं और यही वजह है कि मां शारदा के दर्शन और उनकी कृपा पाने रोजाना हजारों भक्त यहां आते हैं। खासतौर पर नवरात्रि के पर्व पर तो भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। जाहिर है कि मां शारदा की महिमा ही कुछ ऐसी है कि भक्त बरबस ही उनके दर्शनों के लिए खिंचे चले आते हैं। इस चमत्कारिक मंदिर के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं और मंदिर का इतिहास खुद मां शारदा की महिमा का यशोगान करता प्रतीत होता है। आइए जानते हैं सबसे पहले इस मंदिर के इतिहास के बारे में

Maa Sarada Mandir

मैहर के मां शारदा मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि माता सति के अंग जहां-जहां गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हुए हैं और त्रिकुट पर्वत माता सती का हार गिरा था इसलिए इस स्थान का नाम मैहर पड़ा यानि माई का हार। मैहर का शारदा मंदिर मां के 52 शक्तिपीठों में से एक है। ये मंदिर दसवीं सदी में प्रकाश में आया और बताया जाता है कि आदिगुरू शंकराचार्य ने सबसे पहले यहां पूजा अर्चना की थी। बाद में ये मंदिर मैहर राजघराने के आधिपत्य में आया और फिर मैहर राजपरिवार के पुजारी को मंदिर के पूजा अर्चना का कार्य सौंपा गया। राज परिवार की पांचवी पीढ़ी आज पूजा अर्चना कर रही है। हालांकि मंदिर का संचालन सरकार के अधीन हो चुका है। इसके प्रशासक जिला कलेक्टर हैं। शारदा प्रबंध समित मंदिर का संचालन कर रही है और इस मंदिर में प्रधान पुजारी राज परिवार के बड़े पुत्र होते हैं।

Maa Sarada Mandir

मंदिर से जुड़ी आस्था,कथाएं और चमत्कार
मैहर में मां शारदा साक्षात विराजी हैं भक्तों में इसका गहरा विश्वास है। बताया जाता है कि मां शारदा ने अपने भक्त आल्हा की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हे अमरता का वरदान दिया था। बताते हैं कि आज भी रोज प्रात: काल आल्हा ही मां की सबसे पहले पूजा करते हैं। इस बात की पुष्टि मंदिर के पुजारी और कई भक्तों ने की है। वो बताते हैं कि सुबह जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तो साफ दिखाई देता है कि कुछ देर पहले ही माई की पूजा की गई है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर आल्हा खंड के नायक आल्हा ऊदल दो सगे भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। महोबा से आकर आल्हा ऊदल ने ही सबसे पहले जंगल के बीच मां शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर की तलहटी में 12 साल तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें प्रसन्न होकर अमर होने का आशीर्वाद दिया था।

Maa Sarada Mandir

मंदिर पहुंचने के रास्ते
मां शारदा देवी के दर्शन के लिए भक्त 1063 सीढ़िया चढ़कर पहुंचते हैं। यहां पर प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी दर्शन करने आते हैं। भक्त सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं 2007 से रोपवे की सुविधा भी यहां उपलब्ध है।

साल में दो बार मेला
यहां साल में दो बार शारदेय नवरात्रि औऱ चैत्र नवरात्रि में नौ दिन का भव्य मेला लगता है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि मेला लगा और अब शारदेय नवरात्रि मेला शुरू हो गया है. प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा देवी भक्त यहां पहुंचते हैं. भक्त मंदिर परिसर में अपनी मन्नतों का रक्षा सूत्र बांधते हैं. मन्नत पूरी होने पर धोक देने परिवार सहित आते हैं। जो भी यहां आता है उसपर दैवीय कृपा बरसती है।

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