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जानें बीजेपी ने मध्य प्रदेश के किसी नेता को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा

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MP Rajya Sabha Seat Candidature : मध्यप्रदेश में राज्यसभा की खाली एक सीट से बीजेपी ने केंद्रीय राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन को प्रत्याशी बना दिया है।

इसके साथ ही उन सभी नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया जिनके नाम की चर्चा थी कि वो राज्यसभा जा सकते हैं।

वहीं अब सवाल ये उठ रहे है कि भाजपा ने मध्य प्रदेश के किसी नेता को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा ?

एमपी में भाजपा के कद्दावर नेताओं के राजनीतिक भविष्य का क्या होगा ?

जॉर्ज कुरियन को प्रत्याशी बनाने के क्या मायने हैं ?

9 राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों पर 3 सितंबर को चुनाव होंगे।

मध्यप्रदेश की खाली एक राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी ने एमपी के किसी नेता को मौका ना देते हुए बाहरी नेता को प्रत्याशी बनाकर एक बार फिर सभी को चौंका दिया है।

भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार देर शाम 8 राज्यों के लिए 9 कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा की।

George Kurian Nomination
George Kurian Nomination

केरल के जॉर्ज कुरियन को बीजेपी मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेज रही है।

वे मोदी कैबिनेट में मत्स्य पालन, पशुपालन-डेयरी विभाग के राज्य मंत्री हैं।

कुरियन ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।

एमपी विधानसभा में बीजेपी का बहुमत देखते हुए जॉर्ज कुरियन निर्विरोध चुने जाएंगे।

कांग्रेस के पास राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए संख्याबल नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

जॉर्ज कुरियन मध्यप्रदेश से पहले क्रिश्चियन सांसद हैं।

इसे बीजेपी की केरल में ईसाई समुदाय के बीच पैठ बढ़ाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।

कुरियन को क्यों कहते हैं केरल के ‘सरकार’

जॉर्ज कुरियन को जब मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था उस वक्त भी कई लोगों ने आश्चर्य जताया था।

क्योंकि जॉर्ज किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे, तब से ही चर्चा थी कि उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है।

एमपी से इससे पहले मप्र से बीजेपी ने दक्षिण भारत के चार नेताओं को राज्यसभा भेजा है।

इनमें जॉर्ज कुरियन के गुरु और पूर्व केंद्रीय मंत्री ओ राजगोपाल का नाम भी शामिल है।

कुरियन चार महीने के अंदर मध्यप्रदेश से राज्यसभा जाने वाले दूसरे बाहरी सांसद हें।

George Kurian
George Kurian

इसी साल अप्रैल महीने में तमिलनाडु बीजेपी के नेता एल मुरुगन भी एमपी से राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए थे।

कुरियन को एमपी से राज्यसभा भेजकर बीजेपी ने अपने साउथ इंडिया कनेक्शन को और ज्यादा स्ट्रॉन्ग किया है।

केरल के कोट्टायम के रहने वाले जॉर्ज कुरियन को उनके पुराने दोस्त ‘सरकार’ कहकर बुलाते हैं।

जब वे कॉलेज में पढ़ते थे तब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाने के अपने सपनों की बातें करते थे।

उनके इन सपनों से तंग आकर दोस्तों ने उनका नाम ‘सरकार’ रख दिया था। जल्द ही ये नाम वायरल हो गया।

MP के किसी नेता को क्यों नहीं भेजा राज्यसभा ?

गुना से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद जून में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दिया था।

सिंधिया की इस सीट से राज्यसभा के लिए एमपी के कई नेता कतार में थे, लेकिन बीजेपी ने जॉर्ज कुरियन को चुना।

इसी के बाद से सवाल उठा कि बीजेपी ने एमपी के किसी नेता को क्यों नहीं चुना ?

MP Rajya Sabha Seat Candidature
MP Rajya Sabha Seat Candidature

बीजेपी टारगेट के आधार पर काम करने वाली पार्टी है। पार्टी का फोकस खास तौर पर दक्षिण भारत के राज्य केरल पर है।

बाहरी राज्य के नेता को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने से इस एक पद के कई दावेदारों के बीच जो अंतर्विरोध की स्थिति थी उसे भी पार्टी ने खत्म किया है।

पिछले 5 सालों में कांग्रेस के कई दिग्गजों ने बीजेपी जॉइन की और सीधे सरकार में शामिल होकर पद पाया और पावरफुल हो गए।

कांग्रेसियों को अचानक मिले पावर से बीजेपी के कई दिग्गजों में नाराजगी देखी गई, इसलिए फैसला केन्द्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया गया था।

वहीं मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 230 में से 163 सीटें जीतने के बाद बीजेपी ने लोकसभा की सभी 29 सीटें जीती हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि बाकी राज्यों की तुलना में मप्र में बीजेपी ज्यादा मजबूत है।

इसलिए प्रदेश के किसी नेता को राज्यसभा में न भेजने का पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।

केपी यादव-नरोत्तम मिश्रा का क्या होगा ?

भाजपा के इस फैसले से एमपी के कई नेताओं को झटका लगा है।

सवाल उठ रहे हैं कि गुना के पूर्व सांसद केपी यादव का अब क्या होगा ?

नरोत्तम मिश्रा और जयभान सिंह पवैया को कहां एडजस्ट किया जाएगा ?

लोकसभा चुनाव में केपी यादव की जगह सिंधिया को उम्मीदवार बनाया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तब चुनावी जनसभा में कहा था कि गुना को दो नेता मिलेंगे।

शाह के बयान से माना जा रहा था कि सिंधिया की जगह  केपी यादव को मौका मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ।

फिलहाल केपी के पास सत्ता और संगठन में फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं है।

सियासी जानकारों की मानें तो अब यादव को पांच साल लोकसभा चुनाव का इंतजार करना होगा।

इसके अलावा दूसरा विकल्प ये है कि उनको निगम मंडल या संगठन में एडजस्ट किया जा सकता है।

MP Rajya Sabha Seat Candidature
MP Rajya Sabha Seat Candidature

इसी तरह विधानसभा चुनाव हार गए नरोत्तम मिश्रा के पास भी कोई खास जिम्मेदारी नहीं है।

पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर कहा जा रहा है कि वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की रेस में बने हुए हैं।

इसके अलावा भाजपा के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया और कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का नाम भी चर्चा में था। लेकिन इन्हें भी झटका लगा है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश के नेता 1-2 साल के लिए राज्यसभा नहीं जाना चाहते थे।

शायद ये कारण भी हो सकता है कि speबीजेपी ने प्रदेश से बाहरी उम्मीदवार को राज्यसभा के लिए चुना है।

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