Homeलाइफस्टाइलChandipura Virus: क्या है चांदीपुरा वायरस जो बच्चों को बनाता है शिकार,...

Chandipura Virus: क्या है चांदीपुरा वायरस जो बच्चों को बनाता है शिकार, जानें सब कुछ

और पढ़ें

Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Chandipura Virus: बरसात का मौसम शुरू होते ही कई तरह के वायरस एक्टिव हो जाते हैं। इन्हें मे से एक है चांदीपुरा वायरस, जिसने गुजरात में अबतक 6 लोगों की जान ले ली है।

ये वायरस इतना खतरनाक है कि 24 घंटे के अंदर ही जान ले सकता है।

क्यों कहते हैं चांदीपुरा वायरस

चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है, इसका पहला मामला साल 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था।

इसका नाम चांदीपुरा इसलिए पड़ा क्‍योंकि इसका सबसे पहला मामला महाराष्‍ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में हुआ था।

यह उस एक ही जगह में आइसोलेट वायरस था। फ्लू और जापानीज इंसेफेलाइटिस के संयुक्‍त लक्षणों वाला यह वायरस बच्‍चों को संक्रमित करता है।

खास बात है कि तब से लेकर अभी तक इस वायरस का कोई भी केस दुनिया के किसी और देश में नहीं मिला है।

लेकिन, महाराष्‍ट्र से निकलकर यह आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में भी फैला।

mosquito

आइए जानते हैं इस वायरस के लक्षण, कारण और इसका इलाज

क्या है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी है जिससे बुखार, फ्लू और तीव्र एन्सेफलाइटिस हो सकता है। जो मौत का कारण भी बन सकता है।

कैसे फैलता है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं यह वायरस मुख्य रूप से मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाइज के जरिए फैलता है।

चांदीपुरा वायरस के लक्षण

Chandipura Virus
Chandipura Virus

24 घंटे में हो सकता है जानलेवा
इस वायरस की सबसे खतरनाक बात ये है कि इसके लक्षण जल्दी बढ़ सकते हैं, जिससे शुरुआत के पहले 24 घंटों के भीतर न्यूरोलॉजिकल हानि और संभावित रूप से घातक ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस हो सकता है।

चांदीपुरा वायरस इतना खतरनाक है कि इसकी मृत्युदर 75% तक है।

ये भी पढ़ें- Panipuri Cause Cancer: पानीपुरी खाने वाले हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसर!

बच्चों के लिए खतरनाक
9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। खास तौर पर यह ग्रामीण क्षेत्रों में इस वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है।
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चांदीपुरा वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं।
इसलिए यह वायरस शिशुओं और वयस्क के लिए बेहद घातक है।

sick-kid
sick-kid

क्या करें और क्या न करें
इस वायरस से बचने का एक ही तरीका है कि मच्छरों से बचा जाए
बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं
ऐसी जगह न जाएं जहां मच्छरों के काटने की आशंका हो

चांदीपुरा वायरस का इलाज
चांदीपुरा वायरस का कोई खास इलाज नहीं है, ऐसे में सावधानी ही इसका इलाज है।
बीमारी के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें और शुरुआती इलाज शुरू कर दें।

ये भी पढ़ें- Stag Beetle: दुनिया का सबसे कीमती कीड़ा; कीमत 75 लाख, जानें क्यों है इतना महंगा

- Advertisement -spot_img

ताजा खबरें

Breaking News : 16 October

Breaking News : 15 October