Changing Weather Side Effects: मौसम का बदलाव जहां एक ओर सुहावने मौसम का अहसास कराता है, वहीं दूसरी ओर यह अपने साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी लेकर आता है।
अचानक तापमान में उतार-चढ़ाव, ठंडी-गर्मी का असर और बढ़ती नमी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) पर हमला करती है।
नतीजा यह होता है कि हम जल्दी ही बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो मौसम के बदलते ही बुखार या सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
आइए, जानते हैं बदलते मौसम में होने वाली 6 प्रमुख बीमारियों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में…
1. सर्दी-जुकाम और फ्लू (Common Cold and Flu)
बदलते मौसम की सबसे आम और सामान्य समस्या है सर्दी-जुकाम। यह एक वायरल इन्फेक्शन है जो नाक और गले को प्रभावित करता है।
लक्षण: लगातार छींक आना, नाक बहना, गले में खराश या दर्द, हल्का बुखार, सिरदर्द और शरीर में थकान महसूस होना।
बचाव के उपाय:
- दिन में कम से कम 2-3 लीटर गुनगुना पानी पिएं।
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। अगर जाना जरूरी हो तो मास्क का इस्तेमाल करें।
- हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
- विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे नींबू, संतरा, आंवला आदि का सेवन करें।
2. वायरल बुखार (Viral Fever)
मौसम के बदलाव के साथ वायरल बुखार तेजी से फैलता है। यह बुखार अलग-अलग तरह के वायरस के कारण होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है।
लक्षण: तेज बुखार, शरीर और मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, आंखों में जलन, थकान और कमजोरी।
बचाव के उपाय:
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
- घर और आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- पर्याप्त मात्रा में आराम करें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
- हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करें।
3. एलर्जी और अस्थमा (Allergy and Asthma)
बदलते मौसम में हवा में धूल, परागकण (Pollen) और नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे एलर्जी और अस्थमा के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।
लक्षण: लगातार छींक आना, नाक बहना, आंखों में पानी आना और खुजली, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी।
बचाव के उपाय:
- धूल-मिट्टी वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर निकलते समय मास्क पहनें।
- घर को साफ और धूल-मुक्त रखें। कालीन और गद्दों की नियमित सफाई करें।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं और इनहेलर समय पर इस्तेमाल करें।
- पालतू जानवरों के बहुत करीब जाने से परहेज करें।
4. डेंगू और मलेरिया (Dengue and Malaria)
बरसात के बाद और मौसम बदलने पर मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है।
इस दौरान डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छरजनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
- लक्षण (डेंगू): तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, शरीर पर चकत्ते।
- लक्षण (मलेरिया): ठंड लगकर तेज बुखार आना, पसीना आकर बुखार उतरना, सिरदर्द और उल्टी।
बचाव के उपाय:
- घर के आसपास पानी जमा न होने दें। गमलों, कूलर, टायर आदि में पानी इकट्ठा न रहने दें।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें।
- मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
- मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
5. टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever)
टाइफाइड एक गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो दूषित पानी और खाने के माध्यम से फैलता है। बदलते मौसम में इसके होने का खतरा अधिक रहता है।
- लक्षण: लगातार तेज बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, पेट में दर्द, कब्ज या दस्त।
बचाव के उपाय:
- हमेशा साफ और फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
- बाहर का खुला हुआ या कटा हुआ भोजन खाने से बचें।
- खाना बनाने और खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोएं।
- व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
6. निमोनिया (Pneumonia)
मौसम बदलने पर बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा सबसे अधिक बढ़ जाता है। यह फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है।
- लक्षण: तेज बुखार, ठंड लगकर कंपकंपी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, हरा या पीला बलगम वाली खांसी।
बचाव के उपाय:
- ठंडी हवा और धूप से सीधे संपर्क में आने से बचें।
- गर्म कपड़े पहनकर शरीर को गर्म रखें।
- शरीर को हाइड्रेटेड रखें और पौष्टिक आहार लें।
- धूम्रपान से परहेज करें और प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें।
एक्सपर्ट की सलाह: इम्यूनिटी बढ़ाना है जरूरी
मौसम परिवर्तन के दौरान होने वाली बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा उपाय अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना है।
इस समय फेफड़े संबंधी बीमारियां ज्यादा होती हैं, इसलिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना, मेडिटेशन करना, एक्सरसाइज करना, फलों का ज्यादा सेवन करना और मच्छरों से बचना बेहद जरूरी है।


