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CPR कैसे बचाता है लोगों की जान, जानें इसे देने का सही तरीका

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

CPR का मतलब है, कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation)। जब किसी व्यक्ति के दिल की धड़कन रुक जाती है। तो उस व्यक्ति की जान बचाने के लिए प्राथमिक उपचार के तौर पर सीपीआर दिया जाता है। क्योंकि हार्ट ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, कार्डिएक अरेस्ट के बाद तुरंत सीपीआर देने से पीड़ित के बचने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो सकती है। इसलिए इसे जीवनरक्षक तकनीक भी कहते हैं।

सीपीआर (CPR) क्या है ?

किसी पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश हो जाए। तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। खासतौर पर बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घुटने पर सीपीआर से पीड़ित को आराम पहुंचाया जा सकता है। इसे कार्डिएक अरेस्ट के दौरान दिए जाने वाला फर्स्ट एड कहा जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के रिसर्च के अनुसार प्रत्येक मिनट सीपीआर में देरी होने से जीवित रहने की संभावना लगभर 10 प्रतिशत कम हो जाती है।

Image Credit: ©freepik
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सीपीआर देने से पहले की प्रक्रिया (What happens before CPR?)

यदि कोई व्यक्ति सांस नहीं ले पा रहा हो, तो घबराए नहीं, सबसे पहले एंबुलेंस को कॉल करें। फिर मरीज को समतल जगह पर लिटा दें। मरीज को पूरी तरह से खुले वातावरण में रखें, मतलब उसके आस-पास हवा आने दें। फिर प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित करता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। ऐसा आप 10 सेकेंड तक सुनें।

अगर जीभ पटल गई है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है। उनकी गर्दन के किनारे को महसूस करके नाड़ी की जांच करें। यदि आपको नाड़ी महसूस न हो तो सीपीआर करें। सीपीआर में मुख्य रूप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन।

कार्डिएक या दिल का दौरा- किसमें देते हैं सीपीआर

दिल का दौरा पड़ने पर सीपीआर देने के जरूरत नहीं पड़ती। क्योंकि दिल का दौरा पड़ने की परिस्थिति में मरीज बोलने और सांस लेने में सक्षम होता है। ऐसे में उस तुरंत अस्पताल पहुंचाना चाहिए। लेकिन जब किसी का दिल धड़कना बंद कर देता है। तो उसे कार्डिएक अरेस्ट कहते हैं। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त नहीं पहुंचता। इस दौरान बिना इलाज के मिनटों में ही किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है। इसलिए कार्डिएक अरेस्ट में सीपीआर देना जरूरी होता है।

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कैसे दिया जाता है सीपीआर (How To Give CPR)

सीपीआर देने के लिए सही तकनीक का पता होना चाहिए। ऐसा कोई भी व्यक्ति जो सही तरीका जानता है,तो वो सीपीआर दे सकता है। सीपीआर देने के दौरान अपने हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता है। समय में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए मेट्रोनोम ऐप का उपयोग किया जा सकता है। जोर से गिनना भी याद रखना महत्वपूर्ण है। इससे आपको संकुचन पर नजर रखने में मदद मिलेगी। हर एक पुश के बाद छाती को वापस सामान्य स्थिति में आने दें। सीपीआर की इस विधि को हैंड्स ओनली कहा जाता है। इसमें मुंह से सांस देना शामिल नहीं होता।

माउथ टू माउथ ब्रीथ (Rescue breath as follow)

माउथ टू माउथ ब्रीथ देने के लिए पहले व्यक्ति के सिर को थोड़ा पीछे झुकाते हुए और उसकी ठुड्डी को ऊपर की ओर झुकाते हुए उसकी नाक को चुटकी से बंद करें।
अपना मुंह उनके मुंह पर बंद करें और उसमें सांस भरें ताकि उनकी छाती ऊपर उठ जाए। यदि व्यक्ति की छाती ऊपर नहीं आती है, तो जांचें कि क्या उसके मुंह में कुछ है।
कुल मिलाकर दो सांसें दें और दबाव डालने के लिए वापस जाएं। जब आप सीपीआर कर रहे हों, तो किसी को व्यक्ति को पुनर्जीवित करने में मदद के लिए एईडी लाना चाहिए।

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सीपीआर प्रक्रिया में पंप कितनी बार करें

सीपीआर देने की प्रक्रिया के दौरान 30 चेस्ट पंप और 2 सांसों के सेट को दोहराएं। जब तक व्यक्ति फिर से सांस न लेने लगे या मदद न आ जाए, तब तक छाती को दबाना और बचाव सांसें एक चक्र में देते रहें। वैसे अगर 3 मिनट से कम समय में सीपीआर नहीं दिया जाता है और रक्त संचार सही नहीं होता है। तो रोगी की मृत्यु हो सकती है। यदि उसे सीपीआर या तत्काल चिकित्सा सहायता दी जाती है तो उच्च संभावना है कि मरीज को बचाया जा सकता है।

सीपीआर देने के बाद क्या करें ?

सीपीआर प्राप्त करने वाले व्यक्ति की देखभाल करने के बाद, उन्हें जल्द से जल्द अस्पताल ले जाएं। यदि व्यक्ति जीवित रहता है, तो यह देखें कि ऑक्सीजन की कमी से किसी अंग की कोई क्षति तो नहीं हुई। वो कार्डिएक अरेस्ट का कारण भी निर्धारित करेंगे और व्यक्ति को जिस भी इलाज की आवश्यकता होगी। वो प्रदान करेंगे। वैसे कार्डिएक अरेस्ट से बचे कई लोग कोमा में रहते हैं, लेकिन लगभग आधे लोग जाग जाते हैं।

आप इस तस्वीर में भी देख सकते हैं कि कैसे सीपीआर की प्रक्रिया को किया जाता है

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कब सीपीआर नहीं देना चाहिए?

अगर कोई मरीज सांस ले रहा है, होश में है और जीवित होने का कोई भी संकेत दे रहा है तो उस व्यक्ति को सीपीआर नहीं देना चाहिए।

सीपीआर का महत्व ?

दिल का दौरा पड़ने पर पहले एक घंटे को गोल्डन ऑवर माना जाता है इसी गोल्डन ऑवर में आप मरीज की जान बचा सकते हैं। उसे सीपीआर दीजिए । क्योंकि कभी कभी मेडिकल सुविधाएं पहुंचने में देर हो जाती है। ऐसे में सीपीआर के जरिए मरीज की जान बचाई जा सकती है। दरअसल पीड़ित को 3 से 5 मिनट तक सांस नहीं आती तो उसके ब्रेन सेल्स डेड होना शुरू हो जाते हैं। अगर किसी पीड़ित को 10 मिनट तक सांस नहीं आ रही हो और प्राथमिक उपचार के तरह उसे कृत्रिम सांस न दे पाएं तो मरीज को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

कोई भी सीपीआर सीख सकता है
सीपीआर कोई भी सीख सकता है और सभी को सीखना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आप किसी व्यक्ति की जान बचा सकते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट है कि 70 प्रतिशत अमिरीकी कार्डियक इमरजेंसी की स्थिति में असहाय महसूस करते हैं । क्योंकि वो नहीं जानते कि सीपीआर को कैसे दिया जाता है।

नोट- यह एक सामन्य जानकारी है इसके बारे में उचित जानकारी ले किए हार्ट स्पेशल और कार्डिएक अरेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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