Kamada Ekadashi 2024: 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को कामदा एकादशी का व्रत किया जाएगा। यह हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी होगी। इस एकादशी को सभी कामनाओं को पूरी करने वाला माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, इससे भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इससे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन व्रत रखने से मनुष्य को यज्ञयो के समान फल की प्राप्ति होती है।
कब से शुरु हो रही एकादशी तिथी :
-एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अप्रैल शाम 05. 21 मिनट से होगी।
-इसका समापन 19 अप्रैल रात 7. 56 मिनट पर होगा है। उदयातिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा।
-इस दिन दो शुभ योग ध्रुव और वृद्धि योग का भी निर्माण होने जा रहा है, इसलिए यह एकादशी और भी खास है
दशमी से ही शुरू हो जाती है तैयारी
-कामदा एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही यानी दशमी में जौ, गेहूं और मूंग का एक बार भोजन करके भगवान की पूजा करते हैं।
-दूसरे दिन यानी एकादशी को सुबह जल्दी नहाने के बाद व्रत और दान का संकल्प लिया जाता है।
-पूजा के बाद कथा सुनकर श्रद्धा अनुसार दान करते हैं।
-व्रत में नमक नहीं खाते हैं।
-सात्विक दिनचर्या के साथ नियमों का पालन कर व्रत पूरा करते हैं।
-रात में भजन कीर्तन के साथ जागरण किया जाता है।
संतान प्राप्ति के लिए जरूर करें एकादशी का व्रत
संतान प्राप्ति के लिए महिलाओं इस व्रत को जरूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना विधि विधान के साथ करना चाहिए। इसके बाद अपनी मनोकामना भगवान विष्णु से मांगना चाहिए। इस दिन मांगी गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।
भगवान विष्णु को लगाएं ये 5 तरह के भोग
1. दही का भोग
भगवान विष्णु को मीठे दही का भोग कामदा एकादशी के दिन अवश्य लगाना चाहिए। मीठे दही का भोग लगाने से घर का पारिवारिक क्लेश दूर होता है और भगवान विष्णु की कृपा से सदस्यों के बीच मधुरता और प्रेम बढ़ता है।
2. पीले मिष्ठान का भोग
भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है। ऐसे में भगवान विष्णु को कामदा एकादशी के दिन पीले मिष्ठान का भोग अवश्य लगाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं।
3. पंजीरी का भोग
भगवान विष्णु को पंजीरी का भोग भी कामदा एकादशी के दिन लगा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को पंजीरी का भोग लगाने से ग्रह दोष दूर होते हैं और ग्रहों की शुभता के कारण शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
4. सफेद लड्डुओं का भोग
भगवान विष्णु को सफेद लड्डू का भोग भी कामदा एकादशी के दिन लगा सकते हैं। सफेद लड्डू का भोग इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु श्वेत वस्त्र धारण करते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं।
5. पंचामृत का भोग
भगवान विष्णु को कामदा एकादशी के दिन पंचामृत का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है। पंचामृत का भोग लगाने से घर में लक्ष्मी माता का वास होता है और घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगती है।
Kamada Ekadashi Ki Vrat Katha: कामदा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा तब श्रीकृष्ण ने बताया कि ये कथा पहले वशिष्ठ मुनि ने राजा दिलीप को सुनाई थी। भोगिपुरी नामक एक राज्य हुआ करता था। इस राज्य में सभी अप्सरा, किन्नर, गंधर्व आदि निवास किया करते थे। इस राज्य के एक राजा भी थे जिनका नाम पुण्डरीक था। ललित और ललिता नामक गंधर्व जोड़ा राजा एवं सभी गंधर्वों, किन्नरों और अप्सराओं का मनोरंजन किया करता था। एक बार ललित गंधर्व को राजा के दरबार में संगीत मनोरंजन के लिए बुलाया गया। उस दिन किसी कारण से ललित अकेला ही राजा के दरबार पहुंचा जबकि उसकी पत्नी ललिता घर पर ही थी। राजा के दरबार में गायन के बीच ही ललित हो उसकी पत्नी की याद आने लगी।
ललिता की याद आने के कारण ललित के सुर बिगड़ गए और राजा के मनोरंजन में खलल पैदा हो गया, जिसके बाद राजा ने क्रोध में आकर ललित को असुर योनी में भटकने का श्राप दे डाला। ललिता को जब इस बात का पता चला तो वह विन्ध्य पर्वत पर ऋषि ष्यमूक के पास इस श्राप के समाधान हेतु पहुंची। तब ऋषि ने उसे बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत करने से तुम्हारे पति को राक्षसी जीवन से मुक्ति मिल सकती है। ललिता ने वैसा ही किया। ऐसा करने से गंधर्व को राक्षस योनी से मुक्ति मिल गई। इसलिए अनजाने में किए गए अपराध या पापों के फल से मुक्ति के लिए ये व्रत किया जाता है।
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