Types and Symptoms Of Arthritis: अधिकांश लोग जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्याओं से परेशान रहते हैं।
हड्डियों या जोड़ों में होने वाले इस दर्द को अर्थराइटिस कहा जाता है।
अर्थराइटिस की बीमारी भी दो तरह की होती है।
पहला ऑस्टियो अर्थराइटिस और दूसरा रुमेटाइड अर्थराइटिस।
अर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शुरुआत में ही में ही इसके प्रति यदि सतर्क हो जाएं तो मरीज इस समस्या से खुद का बचाव कर सकता है।
अर्थराइटिस को लेकर विशेष जानकारियां दी है इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉक्टर मनीष लधानिया ने, जो कन्सल्टेन्ट और ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन भी है।

क्यों होता है अर्थराइटिस (Arthritis) –
अर्थराइटिस की समस्या होने के पीछे कई बड़ी वजहें हो सकती हैं, जिनमें लाइफस्टाइल एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
कई लोगों में मोटापे के कारण आर्थराइटिस की समस्या देखी जा रही है।
वहीं खानपान में लापरवाही और कम शारीरिक गतिविधियां होने के कारण भी हड्डियों के दर्द संबंधित समस्या होने लगी है।

हालांकि कुछ लोगों में यह समस्या अनुवांशिक कारणों से भी होती है।
आमतौर पर अर्थराइटिस की बीमारी 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है।
ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या मुख्य रूप से किसी चोट या एक्सीडेंट के कारण होती है।
अर्थराइटिस (Arthritis) के विभिन्न प्रकार –
अर्थराइटिस अलग-अलग तरह से हो सकते हैं, जैसे- ऑस्टियो अर्थराइटिस में घुटनों में दर्द और स्टिफनेस महसूस होने लगती है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस ऑटोइम्यून बीमारी है, जिससे जोड़ों में दर्द सूजन होती है।
वहीं गाउट की समस्या शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण होती है, जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन होती है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक 16 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है, जो बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकता है।
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक क्रॉनिक अर्थराइटिस है, जो रीढ़ की हड्डी में सूजन के कारण होता है।
अर्थराइटिस (Arthritis) बीमारी के लक्षण –
अर्थराइटिस होने पर मरीजों को शरीर में ऐसे स्थान पर बहुत ज्यादा दर्द होता है, जहां दो हड्डियां मिलती है।
इसमें घुटने, कोहनी और उंगलियों में सूजन के कारण काफी तेज दर्द उठता है।

अर्थराइटिस के कारण मरीजों की आंखें, हृदय और त्वचा पर प्रभाव पड़ने के अलावा शरीर का इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होता है।
यदि ऐसे कोई भी लक्षण नजर आए तो ऐसे अस्पताल के विशेषज्ञ को दिखाएं जहां फुल टाईम स्पेशल्टी की सुविधा हो ताकि एक ही जगह सभी सुविधाएं मिल सकें।
लाइफस्टाइल में करें परिवर्तन –
1 – व्यायाम करें – एक्सरसाइज करने से आपके ज्वॉइंट्स एक्टिव रहते हैं और मजबूत बनते हैं।
इससे मांसपेशियां भी मजबूत बनती है, जो वेट बियर करने में मददगार होती हैं, इसलिए रोज थोड़ी एक्सरसाइज करें।

वॉकिंग और रनिंग जैसी आसान एक्सरसाइज मददगार हो सकती हैं, यह वजन कंट्रोल करने में भी मदद करती हैं।
2 – हेल्दी डाइट लें – अपनी दिनचर्या में पोषणयुक्त आहार लेना आवश्यक है जिसमें कैल्शियम, विटामिन-डी, प्रोटीन और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हो।

शरीर में इन जरुर तत्वों के शामिल होने से किसी प्रकार की हड्डियों संबंधित समस्याएं कम होती हैं।
ऐसी चीजों से परहेज करें जो वजन बढ़ाने में जिम्मेदार हो।
3 – धूम्रपान न करें – स्मोकिंग करने से बॉडी के टीशूज डैमेज हो सकते हैं।

यदि स्मोकिंग करते हैं तो कोशिश करें कि स्मोकिंग करने की आदत को छुड़ाएं।