Ekadashi 2024: एकादशी पर क्यों नहीं खाते चावल? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

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Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी और इसके व्रत का बहुत महत्तव है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिनसे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख आती है लेकिन इस व्रत के कुछ नियम भी है, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। ऐसा ही एक नियम है इस दिन चावल न खाने का। ये बात तो सभी को मालूम है कि एकादशी के दिन न सिर्फ व्रत करने वालों तो बल्कि सभी को चावल खाने की मनाही होती है। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग एकादशी के दिन भोजन में चावल को शामिल करते हैं, वो नरकगामी कहलाए जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे कारण क्या है। अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे एकादशी के दिन चावल न खाने का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…

चावल न खाने का धार्मिक कारण
एकादशी के एक दिन पहले और एकादशी (ekadashi aur chawal) के दिन चावल खाने की मनाही होती हैं। कथाओं के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है। इस कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है। इसलिए एकादशी को भोजन के रूप में चावल ग्रहण करने से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।

Milled rice in a bowl and a wooden spoon on the black cement floor.

एकादशी के दिन चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण
एकादशी के दिन चावल ना खाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि चावल में जल की मात्रा ज्यादा होती है, वहीं जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है और चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। चावल को खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है, इससे मन विचलित और चंचल होने लगता है। जिससे व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। यही वजह है कि एकादशी के दिन चावल और उससे बनी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।

a sack of rice seed with white rice on small wooden spoon and rice plant

द्वादशी को चावल खाने से होगा ये
धार्मिक कथाओं के अनुसार जो लोग एकादशी के दिन चावल ग्रहण करते हैं उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है। हालांकि द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। इसलिए व्रत करने वालों को एकादशी के अगले दिन द्वादशी को चावल खाने को कहा जाता है।

Top view of raw rice inside bag and plate on grey surface

एकादशी पर करें दान
एकादशी के दिन वैसे तो सभी को दान करना अच्छा माना गया है, लेकिन व्रती को इस दिन सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, जूता, आसन, पंखा, छतरी और फल इत्यादि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश का दान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है।

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