Diwali UNESCO World Heritage: भारत के साथ-साथ कई देशों में मनाए जाने वाले प्रकाश, उल्लास और आशा के त्योहार दीपावली को एक विश्वव्यापी सम्मान मिला है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इसे अपनी ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की सूची में शामिल कर लिया है।
यह निर्णय यूनेस्को की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की दिल्ली में चल रही 20वीं बैठक के दौरान लिया गया।
इस ऐतिहासिक पहचान पर पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारतीय सभ्यता की आत्मा बताते हुए इसके वैश्विक महत्व को रेखांकित किया है।
BREAKING
New inscription on the #IntangibleHeritage List: Deepavali, #India.
Congratulations!https://t.co/xoL14QknFp #LivingHeritage pic.twitter.com/YUM7r6nUai
— UNESCO ️ #Education #Sciences #Culture (@UNESCO) December 10, 2025
दिल्ली में आज फिर मनेगी दिवाली
इस खुशी को दोहराने और दुनिया के सामने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए, दिल्ली सरकार ने 10 दिसंबर को विशेष दीपावली समारोह आयोजित करने का फैसला किया है।
दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि इस दिन सभी सरकारी इमारतों को सजाया जाएगा, दिल्ली हाट में विशेष कार्यक्रम होंगे और सबसे भव्य आयोजन लाल किले पर होगा, जहां हज़ारों दीये जलाए जाएंगे।
इसका उद्देश्य दीपावली के ‘अंधकार से प्रकाश की ओर’ जाने के सार्वभौमिक संदेश को वैश्विक पटल पर मजबूती से स्थापित करना है।
आइये साथ मिलकर मनाएं दीपावली त्यौहार के यूनेस्को (UNESCO) की ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची’ में शिलालेख किये जाने का उत्सव |
“Come, let us together celebrate the inscription of the Diwali festival in UNESCO’s Representative List of the pic.twitter.com/8Qj3DcVbyA
— Regional Science Centre Bhopal (@rscbhopal) December 10, 2025
अमूर्त विरासत क्या होती है और क्यों है महत्वपूर्ण?
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में उन परंपराओं, प्रथाओं, ज्ञान और कौशल को शामिल किया जाता है जिन्हें हम ‘छू’ नहीं सकते, लेकिन ‘महसूस’ कर सकते हैं।
ये वो चीज़ें हैं जो एक समुदाय या समाज की पहचान बनाती हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती हैं।
इसमें त्योहार, लोक गीत, नृत्य, शिल्प कौशल, रीति-रिवाज आदि शामिल हैं।
इस सूची में शामिल होने का मतलब है कि उस सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और संरक्षण मिलता है, जिससे उसे भविष्य में बचाए रखने और उसके प्रसार में मदद मिलती है।
दीपावली हुई अब और भी ग्लोबल!
हमारी प्राचीन संस्कृति, लोक परंपराओं तथा जीवन-दर्शन का प्रतीक, प्रकाश के महापर्व दीपावली को @UNESCO द्वारा आधिकारिक रूप से अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Heritage List) की मान्यता मिलना, भारत की आत्मा और उसके जनमानस का वैश्विक सम्मान है।
यह… pic.twitter.com/EXF1mrScpI
— Manohar Lal (@mlkhattar) December 10, 2025
दीपावली से पहले भारत की इन 15 परंपराओं को मिल चुका है यह सम्मान
दीपावली के शामिल होने से पहले ही भारत की 15 समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं यूनेस्को की इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बना चुकी हैं:
- कुंभ मेला
- योग
- वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा
- रामलीला (रामायण का नाट्यमय अभिनय)
- कोलकाता की दुर्गा पूजा
- गरबा (गुजरात)
- मुदियेट्टू (केरल का पारंपरिक नृत्य-नाटक)
- छऊ नृत्य (पूर्वी भारत)
- बौद्ध मंत्र जाप की हिमालयी परंपरा (लद्दाख आदि)
- नवरोज
- संक्रांति, पोंगल, बैसाखी जैसे फसल पर्व
- तिज़ियन (मणिपुर की धार्मिक प्रथा)
- कालबेलिया लोकगीत (राजस्थान)
- राममण (गुजरात की पारंपरिक धार्मिक प्रथा)
- संस्कृत थिएटर, कूडियाट्टम
अब दीपावली के साथ, भारत की इस सूची में कुल 16 अमूर्त विरासतें हो गई हैं।
यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि का एक शानदार प्रमाण है।
✨ #BREAKING
दिवाली को #UNESCO की मान्यतादिवाली – ‘प्रकाश पर्व’ को आधिकारिक रूप से UNESCO की Intangible Cultural Heritage सूची में शामिल किया गया है।
भारत के सांस्कृतिक गौरव को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान।
✨ pic.twitter.com/McZvvQ33NE— Madhurendra kumar मधुरेन्द्र कुमार (@Madhurendra13) December 10, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – “दिवाली हमारी सभ्यता की आत्मा”
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए कहा कि भारत और दुनिया भर के लोग बहुत खुश हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत करीब से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह रोशनी और नेकी का प्रतीक है।”
उन्होंने आशा जताई कि यूनेस्को की इस सूची में शामिल होने से दिवाली की वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी तथा प्रभु श्री राम के आदर्श सभी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

क्या है दिवाली का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व?
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहते हैं, केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि जीवन के गहरे दर्शन का प्रतीक है।
यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की विजय का पर्व है।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में नगरवासियों ने दीप जलाए थे।
- जैन मतावलंबियों के लिए यह महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्ति का दिन है।
- सिखों के लिए यह छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी की मुक्ति का स्मरण दिवस है।
- घरों की सफाई, रंगोली, दीये जलाना, मिठाइयां बांटना, पटाखे फोड़ना और लक्ष्मी-गणेश की पूजा इसकी मुख्य परंपराएं हैं।
पूरे भारत में यह त्योहार विभिन्न रीति-रिवाजों, पूजा-पद्धतियों और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

एक वैश्विक पहचान की ओर बढ़ता कदम
दीपावली का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना निश्चित रूप से भारत के लिए एक गर्व का क्षण है।
यह न केवल इस त्योहार की सार्वभौमिक अपील को मान्यता देता है, बल्कि भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना को भी बल देता है।
जिस तरह एक दीया अनेक दीयों को प्रकाशित कर सकता है, उसी तरह यह मान्यता दुनिया भर में सांस्कृतिक सद्भाव, आपसी सम्मान और शांति के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


