मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा सीट से छठवीं बार सांसद चुने गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्र में कृषि मंत्री बनाया।
इसके बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, जिससे अब यह सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव होगा।
दूसरी तरफ, शुक्रवार को शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान सीहोर के भैरुंदा में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे।
यहां पर उन्होंने पिता की प्रचंड जीत पर जनता का आभार जताते हुए ऐसा बयान दिया, जो आम जनता से लेकर सियासी गलियारे में भी चर्चा का विषय बन गई है।
भैरुंदा में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्तिकेय ने कहा कि दुनिया ने हमारी बहुत परीक्षा ली है। मैं आपमें, मुझमें और केंद्रीय मंत्री शिवराज जी में कोई फर्क नहीं देखता हूं। हम सब कई जिस्म और एक जान हैं।
पहले हमारे नेता जब मुख्यमंत्री थे, तब भी लोकप्रिय थे। लेकिन, पता नहीं आजकल ऐसा क्यों लगता है कि अब मुख्यमंत्री नहीं रहे तो और ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं।
अब जब इतनी प्रचंड जीत के बाद गए हैं, तो पूरी दिल्ली भी नतमस्तक है। पूरी दिल्ली आज उन्हें जानती है, पहचानती है, उनका सम्मान करती है।
कार्यकर्ता सम्मेलन के इस मौके पर कार्तिकेय की मां साधना सिंह भी उनके साथ रहीं जबकि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
ऊपर दिए गए वीडियो में बोल रहे हैं मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान।
सुना आपने क्या कह गए शिवराज के साहबजादे, इतना गुमान तो इनके पिता को अपने कद्दावर होने का नहीं है जितना बखान कार्तिकेय कर गए यानी सीधे पीएम मोदी को चुनौती क्योंकि दिल्ली उनके पिता के आगे नतमस्तक है इसका अर्थ तो यही निकाला जाएगा।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनके नेता यानी उनके पिता जैसा पावरफुल कोई नहीं, कमाल कर दिया आपने तो अच्छे-अच्छे बड़बोलों की छुट्टी कर दी।
कार्तिकेय चौहान दरअसल बुधनी में आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे जहां उनका बड़बोलापन साफ दिखाई दिया।
गौरतलब है कि बुधनी में उपचुनाव होना है। लिहाजा कार्तिकेय को बुधनी से संभावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा और बुधनी में कार्तिकेय की सक्रियता इस ओर इशारा भी करती है।
लेकिन, अपने पिता के यशोगान में कार्तिकेय ये भूल गए कि उनके भाषण में घमंड और गुरूर के साथ एक तरह की चुनौती का पुट भी शामिल है जो सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी और अमित शाह को दी जा रही प्रतीत होती है।
कार्तिकेय शिवराज सिह चौहान की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी कहे जा सकते हैं, लेकिन उनका बड़बोलापन साफ दिखाता है कि सियासत के अभी वो कच्चे खिलाड़ी हैं।
कब बोलना है, क्या बोलना है, ये उन्हें सीखना होगा और सबसे बड़े टीचर तो खुद उनके पिता हैं, लेकिन अफसोस कि कार्तिकेय को शिवराज सिंह चौहान का कद याद है, सियासी कायदा नहीं वरना इनके भाषण में इतना दंभ सुनाई नहीं देता।
कार्तिकेय के इस एक्शन पर बीजेपी का क्या रिएक्शन होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन साहबजादे पर ये भोपाली मुहावरा बिलकुल फिट बैठता है कि “चाय से ज्यादा केतली गर्म हो रही है”।