देश में पढ़े-लिखों की सरकार है। जी हां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल के 80 प्रतिशत मंत्री बेहद पढ़े-लिखे और योग्य हैं।
सियासत का ककहरा सीखने से पहले की उनकी एजुकेशन बताती है कि उन्होंने राजनीति को करियर बनाने से पहले अपना बेस मजबूत किया और फिर जनसेवा के क्षेत्र में आगे आए।
आपको बता दें कि नई मंत्रिपरिषद के 71 सदस्यों में से 11 बारहवीं पास हैं और करीब 57 मंत्री स्नातक या उससे अधिक शैक्षणिक योग्यता रखते हैं।
मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता से पता चलता है कि देश की कमान जिस काबीना के हाथ में है वो देश निरंतर प्रगति पथ पर आगे ही बढ़ेगा।
लेकिन, इसी बीच एक खबर ने देश की जनता को थोड़ा मायूस भी कर दिया जब मोदी कैबिनेट की मंत्री सावित्री ठाकुर ब्लैक बोर्ड पर बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का स्लोगन भी ठीक से नहीं लिख पाईं।
सावित्री ठाकुर मध्य प्रदेश के धार के एक सरकारी स्कूल में स्कूल चलो अभियान को प्रमोट करने पहुंची थीं। उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर लिखा ‘बेटी पड़ाव बेटी बच्चाव’।
सावित्री ठाकुर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री हैं, लिहाजा उस वक्त तो कोई कुछ नहीं बोला, लेकिन उनका ये वीडियो ऐसा वायरल हुआ कि मंत्री महोदया की योग्यता पर सवाल उठ खड़े हुए।
इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ट्वीट करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार पर सवालों की बौछार की है। उन्होंने लिखा है –
- ये कैसा नेतृत्व, क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को अपनी सरकार में सिर्फ रबर स्टैंप मंत्री ही चाहिए?
- जनप्रतिनिधि कैसा होना चाहिए इसका कोई मापदंड तो तय नहीं, पर उसे कम से कम अक्षरज्ञान तो होना ही चाहिए।
- धार की सांसद और केन्द्रीय मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर तो दो शब्द भी नहीं लिख सकतीं!
- समझा जा सकता है कि बच्चों ने भी जब उन्हें गलत लिखते देखा होगा तो उनमें क्या भावना आई होगी!
- उनकी ये अज्ञानता केन्द्र सरकार में कैसा नेतृत्व देगी इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है।
- ऐसा जनप्रतिनिधि चुनने से पहले मतदाताओं को भी सोचना था!
- मोदी सरकार को पढ़े-लिखे नेता नहीं चाहिए जो सवाल उठाएं!
क्योंकि शिक्षा सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नहीं कराती, समाज के उत्थान के प्रति सोच भी बदलती है।
सावित्री ठाकुर अपने अक्षरज्ञान को लेकर ट्रोल की जा रही हैं, लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि सावित्री ठाकुर राजनीति में आने से पहले समाजसेवा के क्षेत्र में काम करती थीं जिसके जरिये उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।
सावित्री ठाकुर 12वीं पास हैं और महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने कई सराहनीय कार्य किए हैं। उमंग सिंघार ये ना भूलें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में सावित्री ठाकुर ने ही उन्हें 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। 2024 में पार्टी ने उन्हें फिर मौका दिया और वो जीतकर आईं।
कुल जमा सियासत में कटाक्ष और तंज कोई नई बात नहीं है। किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया राजनीति का धर्म बन चुका है। बहरहाल सवाल मोदी मंत्रिमंडल की योग्यता का है।
- 80 प्रतिशत मंत्री स्नातक या इससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता रखते हैं
- 10 मंत्री चिकित्सा, इंजीनियरिंग और कानून के क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता रखते हैं
- इन मंत्रियों के पास विशिष्ट स्नातक डिग्री है
- उच्च शिक्षित मंत्रियों में 26 स्नातकोत्तर डिग्रीधारी हैं
- मोदी मंत्रिमंडल के 3 मंत्री डिप्लोमाधारी हैं
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना… ये लाइन है तो एक गीत की है, लेकिन सावित्री ठाकुर को यही सोचकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि उनकी नेतृत्व क्षमता और उनका कृतित्व उनके अक्षरज्ञान से कहीं ज्यादा प्रभावी है जो उनके किरदार से झलकता है।