नई दिल्ली। भाइयों-बहनों, ये दो लफ्ज कानों में पड़ते ही तुरंत ही एक तस्वीर उभरती है जो है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की।
वैसे तो किसी मंच पर कोई भी वक्ता जब अपना भाषण शुरू करता है तो भाइयों-बहनों कहकर ही अपनी बात आगे करता है, लेकिन पीएम मोदी जब इस तरह से संबोधित करते हैं तो उनका अंदाजे बयां औरों से जुदा होता है।
पीएम मोदी के इस अंदाज को कॉपी करके मशहूर हुए कॉमेडियन श्याम रंगीला ने अब राजनीति में भी कदम रख लिया है और सियासत के अखाड़े में टकराए भी तो सीधे पीएम मोदी से।
जी हां, श्याम रंगीला ने वाराणसी से पीएम मोदी के समक्ष चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बताते चलें कि 2022 में आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेकर श्याम रंगीला ने सियासत में कदम रख लिया था, लेकिन अब वो स्वतंत्र रूप से राजनीति के मैदान में हैं।
मोदी को उन्हीं की भाषा में देना चाहता हूं जवाब – श्याम रंगीला
श्याम रंगीला, जो पीएम मोदी की मिमिक्री करने के लिए मशहूर हैं, उनका कहना है कि वो मोदी को उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहते हैं। एक वीडियो जारी कर श्याम रंगीला ने कहा कि सूरत और इंदौर में जिस तरह विरोधियों ने नाम वापस लेकर बीजेपी के लिए मैदान खाली कर दिया है कहीं वैसा ही वाराणसी में ना हो इसलिए वो चुनाव लड़ रहे हैं।
राजस्थान के हैं निवासी रंगीला –
श्याम रंगीला राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा तहसील के मानकथेरी गांव के रहने वाले हैं। श्याम रंगीला का असली नाम श्याम सुंदर है और उनका जन्म 25 अगस्त 1994 को हुआ था।
स्कूल-कॉलेजों के दिनों से ही कॉमेडी किया करते थे रंगीला –
श्याम रंगीला स्कूल-कॉलेज के दिनों से ही कॉमडी किया करते थे और लोगों की मिमिक्री करने में उन्हें महारत हासिल है। इसी काबिलियत की वजह से श्याम रंगीला द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज टीवी शो तक पहुंचे और घर-घर में पहचाने गए।
श्याम जिनकी मिमिक्री करके मशहूर हुए, वो हैं पीएम मोदी और इसी मिमिक्री की वजह से विवादों से भी उनका चोली दामन का साथ रहा है। 2021 में एक पेट्रोल पंप पर श्याम ने पीएम की मिमिक्री करते हुए वीडियो बनाया था और विवादों में घिर गए थे।
इसी तरह पीएम मोदी की जंगल सफारी की तर्ज पर श्याम ने जयपुर के झालाना जंगल में वीडियो बनाया और नीलगाय को चारा खिलाने के फेर में नियमों का उल्लंघन कर बैठे और बाद में माफी मांगना पड़ी।
और अब, एक बार फिर से श्याम रंगीला वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सुर्खियों में हैं, लेकिन जो वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया में शेयर किया है उसे देखें तो रंगीला किसी गंभीर राजनेता की भांति नहीं बल्कि सियासत के मंच पर बतौर मिमिक्री आर्टिस्ट की भूमिका में ही नजर आने वाले हैं।
कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह रंगीला कह रहे हैं, हर किसी को अपनी ही भाषा में जवाब मिलना चाहिए तो इस डॉयलाग की हूबहू नकल तो रंगीला उतार सकते हैं, लेकिन पीएम मोदी की तरह क्या वो वाराणसी के दिल में उतर पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
बाकी देश के हर नागरिक को चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाने का अधिकार है, सो रंगीला भी चुनाव लड़ें तो किसी को ऐतराज नहीं। रंगीला वाराणसी में कौतूहल तो जगा सकते हैं, लेकिन कोई करामात दिखा पाएं ऐसा तो मुश्किल ही नजर आता है।