भोपाल। इस बार लोकसभा का चुनावी परिदृष्य अलग ही रंग में रंगा नजर आ रहा था। सत्ताधारी दल अपनी जीत सुनिश्चित मान उतना एग्रेसिव नजर नहीं आ रहा जिस एग्रेशन के लिए वो जाना जाता है तो विपक्षी दल खासतौर से कांग्रेस भी हथियार डाल चुनाव लड़ने की मुद्रा मे दिखाई दे रहा था।
हां, राहुल गांधी जरूर भाजपा को आड़े हाथ लिए हुए थे। ऐसा ही जा रहा था इस बार का चुनाव तभी अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतीत की किताब में दबे एक ऐसे पत्ते को हरा कर दिया है जिसने इस चुनावी रण को हंगामाखेज बना दिया है।
आइए पहले जानते हैं पीएम मोदी का वो बयान जिसने सियासत में एक तरह का भूचाल ला दिया है –
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में बांट देगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।
पीएम मोदी ने रैली में कहा कि ये शहरी-नक्सली मानसिकता मेरी माताओं और बहनों का मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि वे माताओं और बहनों के साथ गोल्ड का हिसाब करेंगे, उसके बारे में जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को अल्पसंख्यकों को बांट देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब है कि ये संपत्ति एकत्र कर किसे बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, ये संपत्ति उनको बांटेंगे। ये संपत्ति घुसपैठियों को बांटेंगे, क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों को दिया जाएगा? क्या आपको यह मंजूर है?
पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2006 में दिए उस बयान का जिक्र कर कांग्रेस पर हमला बोला है जिसमें बकौल मोदी मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।
आइए अब सुनते है पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का बयान जिसको लेकर पीएम मोदी ने राजस्थान में कांग्रेस पर निशाना साधा है।
मनमोहन सिंह ने नौ दिसंबर 2006 को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना और विकास पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की 52वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं बहुत स्पष्ट हैं. कृषि, सिंचाई एवं जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हमारी प्राथमिकताएं हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। हमें ये सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों को विकास में समान भागीदारी मिले। संसाधनों पर पहला हक उन्हीं का होना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि योजना आयोग निश्चित रूप से ऐसे कार्यक्रमों को खत्म करने के लिए उनकी समीक्षा करेगा, जिनका अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। लेकिन हम इस तथ्य से बच नहीं सकते कि आगामी भविष्य में केंद्र के संसाधनों का विस्तार होगा और राज्यों की जिम्मेदारियां बढ़ेगी।
उन्होंने कहा था कि 11वीं पंचवंर्षीय योजना ऐसे पड़ाव पर शुरू हो रही है, जब हमारे देश की आर्थिक क्षमता ने हमारे संस्थापकों के सपनों को साकार करना संभव बनाया है। एक ऐसे भारत का सपना, जो समृद्ध और न्यायसंगत हो। एक ऐसा भारत जो समावेशी हों। एक ऐसा भारत जो प्रत्येक नागरिक को अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करने का अवसर दे। 11वीं पंचवर्षीय योजना से यकीनन वह सपना पूरा होगा। यह हमारे लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा।
कांग्रेस पहले ही कर चुकी है खंडन –
हालांकि कांग्रेस ने उस वक्त भी मनमोहन सिंह के बयान का स्पस्टीकरण किया था और कहा था कि मनमोहन सिंह का तात्पर्य अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण से था। इधर पीएम मोदी ने राजस्थान में कांग्रेस पर खुला हमला बोला और कहा कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी।
विपक्षी नेताओं ने बीजेपी-मोदी को लिया आड़े हाथों –
इधर क्रिया की बहुत तेज प्रतिक्रिया हुई है राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे और असदुद्दीन ओवैसी तक ने पीएम मोदी और बीजेपी को आड़े हाथों लिया है। खरगे ने मोदी के बयान को हेट स्पीच करार दिया है तो ओवैसी कह रहे हैं कि पीएम मोदी की एक ही गारंटी है मुसलमानों को गाली दो और वोट बटोरो। राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी के झूठ का स्तर बहुत गिर गया है।
कुल जमा चुनाव में एक दूसरे को घेरने और तोहमत लगाकर वोटर्स को रिझाने का ये सिलसिला सियासत में नया नहीं है, लेकिन मोदी के हालिया बयान ने इस सियासत की रिवायत को नई हवा दे दिया है, कहना गलत नहीं होगा।