Digvijay Singh PM Modi Letter: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीने के बाद हुई दो दर्जन से अधिक बच्चों की मौतों का मामला गहराता जा रहा है।
इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और दवा नियामक प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले को लेकर 25 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कई सवाल उठाए।
पीएम मोदी को लिखा लेटर
दिग्विजय सिंह ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि मामले को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की कि- केंद्र और राज्य स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली की भूमिका की जांच हो।
सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराई जाए।

उन्होंने सवाल उठाया कि स्वास्थ्य को लेकर कमेटियों की बैठकें क्यों नहीं हुई थीं।
साल 2013 से अब तक बैठकें हुईं भी या नहीं?

दवा में जहर की मात्रा सुरक्षित सीमा से 486 गुना अधिक
दिग्विजय सिंह ने भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 2 सितंबर से अब तक परासिया क्षेत्र में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने के बाद 26 बच्चों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि इस सिरप में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक जहरीले तत्व की मात्रा 48.6% थी, जबकि स्वीकृत सीमा मात्र 0.1% है।
यह सुरक्षित सीमा से 486 गुना अधिक है। उन्होंने इसे “सीधा जहर मिलाने” जैसा करार दिया।
जांच से पहले ही दी गई ‘क्लीन चिट’ पर सवाल
पूर्व सीएम ने मध्य प्रदेश सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना के बाद उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बिना कोई ठोस जांच कराए ही इस मामले में ‘क्लीन चिट’ दे दी थी।
दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया, “ऐसे व्यक्ति का इस्तीफा नहीं होना चाहिए था?
स्वास्थ्य मंत्री को तो तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।”
केंद्र सरकार के नियमों पर उठाए सवाल
दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार की नीतियों पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि पहले से ही गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में भारत में बनी DEG युक्त दवाओं से बच्चों की मौतें हो चुकी हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने सबसे चौंकाने वाला आरोप यह लगाया कि केंद्र सरकार ने ‘जन विश्वास अधिनियम 2023’ के तहत खराब गुणवत्ता वाली दवाएं बेचने पर होने वाली जेल की सजा के प्रावधान को हटाकर सिर्फ 5 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान कर दिया है।
भाजपा पर ‘चंदा’ लेकर नियम ढीले करने का आरोप
कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दवा कंपनियों से 945 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।
उन्होंने दावा किया कि इनमें से 35 ऐसी कंपनियां शामिल हैं, जिनकी दवाओं की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी।
दिग्विजय सिंह ने इसे “चंदा दो, धंधा लो” का क्रूर खेल बताया।
भाजपा का पलटवार: ‘इंडी गठबंधन वाले राज्य में दवा कैसे बनी?’
दिग्विजय सिंह के आरोपों पर भाजपा ने त्वरित पलटवार किया है।
भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि दिग्विजय सिंह को यह बताना चाहिए कि जिस दवा का उत्पादन ‘इंडी गठबंधन’ वाले राज्य (यह इशारा तमिलनाडु की ओर है) में हुआ, वहां की सरकार ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की?
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की SIT ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दवा निर्माता कंपनी के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
सरकारी समितियों की निष्क्रियता पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने राज्य और केंद्र स्तर पर स्वास्थ्य समितियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।
उन्होंने पूछा कि राज्य स्वास्थ्य समिति, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री खुद हैं, ने इस गंभीर मामले पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
उन्होंने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) पर भी सवाल उठाए कि उसने सिर्फ 9% दवा कारखानों का ही निरीक्षण किया और उनमें से 36% फेल पाए गए, फिर भी सरकार क्यों सोती रही?


