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जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 पर नई ‘जंग’, जानिए पूरी कहानी

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Jammu-Kashmir And Article 370: जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में आर्टिकल 370 की बहाली को लेकर भाजपा विधायकों के बीच हंगामा, झूमाझटकी हुई।

नौबत हाथापाई तक जा पहुंची थी।

लोकतंत्र के मंदिर में हालात ऐसे हो गए कि मार्शलों को बीच-बचाव करना पड़ा।

आतंकवाद और अलगाववाद से ग्रस्त देश के सबसे संवेदनशील केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अभी नई सरकार ने कामकाज संभाला ही है कि आर्टिकल 370 को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया।

जम्मू-कश्मीर में पत्ता भी हिलता है तो इसकी चर्चा देशभर में तो होती ही है, पड़ोसी देश में भी होती है।

मौजूदा दौर में ये घटनाक्रम इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भारत में दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

तो क्या है पूरा विवाद? आर्टिकल 370 क्या है? कब इसे लागू किया गया? क्यों किया गया? कब इसे हटाया गया और क्यों हटाया गया?

इन सारे सवालों का जवाब आपको मिलेगा इस लेख में…

1947 ये वो साल था जब भारत विभाजन के दर्द से कराह रहा था।

ऐसे समय में रियासतों के एकीकरण की भी चुनौती सामने थी।

हम सब जानते हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किस तरह से रियासतों में बिखरे हुए भारत को एक डोर में पिरोया।

यही वो समय था जब जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि वो किस तरफ जाएं।

इसी ऊहापोह के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया।

ऐसे हालात में जम्मू-कश्मीर रियासत के पास पाकिस्तान के कबाइलियों के हमले से बचाव का एक ही रास्ता था, भारत में रियासत का विलय।

Jammu-Kashmir And Article 370: विशेषाधिकार और दुष्परिणाम –

इसी विशेष अधिकार का बाद में विस्तार हुआ।
साल 1954 में धारा 35A जोड़ी गई, जिससे राज्य को अधिकार मिला कि वह खुद तय करे कि वहां का स्थायी निवासी कौन होगा।
यहां तक तो ठीक था, लेकिन उसके बाद इस विशेष अधिकार के दुष्परिणाम सामने आने लगे।
या यूं कह लें कि इसकी आड़ में नई साजिश रची जाने लगी थी।
90 के दशक के अंत में बीजेपी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई।
लेकिन, गठबंधन की सरकार के कारण प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आर्टिकल 370 को हटाने की हिम्मत नहीं दिखा पाए।

Jammu-Kashmir And Article 370: वाजपेयी के दिल को छलनी करता था आर्टिकल 370 –

कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी जब भी जम्मू-कश्मीर जाते थे तो प्रसन्न दिखते थे, लेकिन आर्टिकल 370 रूपी बाण हमेशा उनके दिल को छलनी किए रहता था।

चुभे भी क्यों नहीं, आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर के विकास में और सुरक्षा में बाधक जो बन रहा था।

अटलजी अपनी सियासत में एक राष्ट्र, एक विधान के लक्ष्य को सबसे ऊपर रखते थे।

उसके बाद 10 साल कांग्रेस की मिली-जुली सरकार चली।

2014 के चुनाव में बीजेपी बंपर वोट से जीती।

लगभग तीन दशक बाद देश में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई।

प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल में कई ऐतिहासिक और सख्त फैसले लिए।

Jammu-Kashmir And Article 370: दूसरे कार्यकाल में चलाई आर्टिकल 370 पर कैंची –

यही वजह थी कि जनता ने उन्हें दूसरी बार फिर मौका दिया।

2019 में वो दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दो महीने के भीतर ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 पर कैंची चला दी।

अब अटल जी का सपना पूरा हो गया था। आर्टिकल 370 के हटने के बाद, जम्मू-कश्मीर में कई बदलाव हुए।

केंद्र सरकार ने वहां कई विकास योजनाओं को लागू किया।

अब देश के किसी भी हिस्से का व्यक्ति वहां जमीन खरीद सकता है।

हालांकि, कुछ लोग अब भी इसे जम्मू-कश्मीर की पहचान के खिलाफ मानते हैं।

लेकिन, आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत का स्वर्ग कहे जाने वाला केंद्र शासित ये प्रदेश अब खुशहाली की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

यहां आम लोगों के जीवन में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

ये थी आर्टिकल 370 की पूरी कहानी, एक ऐसा विशेष अधिकार जिसने दशकों तक जम्मू-कश्मीर के भविष्य को अंधेरे में कैद रखा।

आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में नए सूरज का उदय हुआ।

Jammu-Kashmir And Article 370: पाकिस्तान की भी बोलती बंद –

शांति बहाली के प्रयास भी सार्थक हो रहे हैं। पाकिस्तान की भी बोलती लगभग बंद हो गई है।

ऐसे सुधरते माहौल में क्या फिर से आर्टिकल 370 की वापसी का राग अलापना जायज है।

क्या एनसी और बाकी पार्टियों को इस मुद्दे को अभी ठंडे बस्ते में नहीं डाल देना चाहिए।

क्या इसका झारखंड़ और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से भी कोई कनेक्शन है।

इन सवालों पर आपकी क्या राय है। हमें कमेंट कर जरूर बताएं।

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