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सरकार ने मीडिया चैनलों के लिए जारी की गाइडलाइन, ‘न दिखाएं सैन्य अभियानों का लाइव प्रसारण’

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ban on live broadcast of military operation: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर हैं। भारतीय सेना भी एक्शन मोड में है।

इसी बीच भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी मीडिया चैनलों, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है।

न करें सैन्य अभियानों का लाइव प्रसारण

इस एडवाइजरी के मुताबिक सभी मीडिया चैनलों, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों का लाइव प्रसारण न करने की सख्त सलाह दी है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी इस परामर्श में कहा गया है कि संवेदनशील सैन्य ऑपरेशन्स की रियल-टाइम रिपोर्टिंग देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकती है।

एडवाइजरी के प्रमुख बिंदु

लाइव कवरेज पर प्रतिबंध:

रक्षा बलों की आवाजाही, आतंकवाद विरोधी अभियान या सीमा पर हो रही कार्रवाइयों का सीधा प्रसारण न करें।

सरकारी ब्रीफिंग का पालन:

संवेदनशील ऑपरेशन्स की जानकारी केवल सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों के आधिकारिक बयान तक सीमित रखी जाए।

सोशल मीडिया को चेतावनी:

अफवाहों और अप्रमाणित सूचनाओं के प्रसार से बचने की हिदायत।

पिछले अनुभवों से सीख

मंत्रालय ने कारगिल युद्ध (1999), 26/11 मुंबई आतंकी हमले (2008) और कंधार विमान अपहरण (1999) जैसी घटनाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि अति-उत्साही मीडिया कवरेज ने अतीत में सुरक्षा बलों की रणनीति को नुकसान पहुंचाया था।

उदाहरण के लिए, 26/11 के दौरान आतंकवादियों ने भारतीय मीडिया के लाइव टेलीकास्ट को देखकर अपनी रणनीति बदल ली थी।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

सुरक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (रिटायर्ड) अमित खन्ना ने कहा, “यह एक समयोचित निर्णय है। दुश्मन अक्सर मीडिया रिपोर्ट्स का इस्तेमाल खुफिया जानकारी के लिए करता है।”

वहीं, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने मीडिया से “देशहित को प्राथमिकता देने” का आग्रह किया।

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नागरिकों से भी किया अनुरोध

मंत्रालय ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे “सतर्कता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी” के साथ काम करें।

इसके साथ ही, नागरिकों से अनुरोध भी किया गया है कि वे सोशल मीडिया पर सैन्य अभियानों से जुड़ी अफवाहों को शेयर न करें।

बात न मानने पर होगी कानूनी कार्रवाई

आतंकवाद विरोधी अभियानों का सीधा प्रसारण करना केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 का उल्लंघन है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सभी टीवी चैनलों को आतंकवाद विरोधी अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों का सीधा प्रसारण न करने की सलाह दी जाती है।

ऑपरेशन समाप्त होने तक मीडिया कवरेज, नामित सरकारी अधिकारी द्वारा आवधिक ब्रीफिंग तक सीमित हो सकती है।

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क्या कुछ बड़ा करने वाला है भारत?

इस आदेश के सामने आने के बाद लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या भारत, पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लेने वाला है?

पहलगाम हमले के बाद लिया फैसला

बता दें कि, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन इलाके में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला दिया।

इस हमले में 27 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। मारे गए लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे।

हमले के बाद सुरक्षाबलों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों की खोज तेज कर दी है।

भारत सरकार ने भी आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए, कई अहम फैसले लिए हैं।

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