Parliament Winter Session: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिए संसद के शीतकालीन सत्र (विंटर सेशन) की तारीखों की घोषणा की।
सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा।
इस 19-दिवसीय सत्र के दौरान दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कुल 15 बैठकें आयोजित होंगी।
संसद का यह शीतकालीन सत्र अन्य सत्रों की तुलना में छोटा रहने वाला है।
इसका कारण यह है कि जल्द ही बजट सत्र भी शुरू होना है।
पिछले वर्षों में भी ऐसा हुआ है, जैसे 2013 में यह सत्र केवल 14 दिनों तक ही चला था।

इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
इस सत्र में बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों पर चर्चा होने की संभावना है।
साथ ही, 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) पर भी बहस हो सकती है, जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है।
सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाना चाहती है, जिनमें जन विश्वास बिल और दिवाला एवं शोधन अक्षमता बिल प्रमुख हैं।
इससे पहले, संसद का मानसून सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा चुका है, इसलिए इस सत्र में कानून निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
हंगामे और महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा था मानसून सत्र
पिछला मानसून सत्र 21 जुलाई से 11 अगस्त तक चला था और यह कई उतार-चढ़ाव और विवादों से गुजरा।
मानसून सत्र की शुरुआत ही एक बड़े राजनीतिक भूचाल के साथ हुई, जब सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के तत्कालीन उपसभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
वह बीच सत्र में इस्तीफा देने वाले देश के पहले उपराष्ट्रपति बने।
इसके बाद, बिहार में ‘सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट’ (SIR) या किसी अन्य मुद्दे को लेकर विपक्ष का हंगामा पूरे सत्र पर छा गया।

सिर्फ 37 घंटे ही कार्यवाही हो सकी
21 जुलाई से शुरू हुआ यह विरोध सत्र के आखिरी दिन तक जारी रहा, जिसके चलते सदनों का कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ।
लोकसभा में निर्धारित 120 घंटे के मुकाबले सिर्फ 37 घंटे ही कार्यवाही हो सकी, जबकि राज्यसभा में मात्र 41 घंटे चर्चा हुई।
इसके बावजूद, दोनों सदनों ने मिलाकर 27 विधेयक पारित किए।
मानसून सत्र की प्रमुख झलकियां: ऑपरेशन सिंदूर बहस से लेकर महाभियोग तक
मानसून सत्र में कई ऐसी घटनाएं हुईं जो सुर्खियों में रहीं:
ऑपरेशन सिंदूर पर तीखी बहस:
29 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे से अधिक समय तक गर्मागर्म बहस हुई।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने ही इसमें हिस्सा लिया और एक-दूसरे पर जोरदार हमले किए।

‘मेंटल बैलेंस’ विवाद:
इसी दिन राज्यसभा में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर “मेंटल बैलेंस खोने” का आरोप लगा दिया, जिसके बाद नड्डा को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी।
न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग:
12 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ एक महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया, जिस पर 146 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।

गृह मंत्री पर फेंके गए कागज के गोले:
20 अगस्त को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तीन आपराधिक कानून संशोधन विधेयक पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए कागज के गोले फेंके।
इन विधेयकों में एक विवादास्पद प्रावधान था जिसमें कहा गया था कि कोई भी गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री पद से हट जाएगा।
इन विधेयकों को बाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया।



