Taliban Minister Woman Journalist: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के भारत दौरे ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
शुक्रवार को हुई उनकी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को एंट्री से रोके जाने के फैसले ने राजनीतिक घमासान मचा दिया है।
विपक्षी नेताओं ने इस घटना को “हर भारतीय महिला का अपमान” बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सफाई मांगी है।
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अपने आप को इस पूरे मामले से अलग करते हुए स्पष्ट किया है कि इस निर्णय में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
क्या था पूरा मामला?
अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी 9 से 16 अक्टूबर तक सात दिनों के भारत दौरे पर हैं।
इस दौरान शुक्रवार को उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की।
इस मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
मीटिंग के बाद कोई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई, बल्कि मुत्तकी ने अलग से अफगानिस्तान दूतावास में एक मीडिया इंटरैक्शन किया।
भारत में इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान के झंडे के साथ मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस… किसी भी महिला पत्रकार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में नहीं बुलाया गया… pic.twitter.com/FXKfS1zwv8
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) October 10, 2025
महिला पत्रकारों को नहीं मिली एंट्री
यहीं से विवाद शुरू हुआ। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक भी महिला पत्रकार को शामिल नहीं होने दिया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुत्तकी के साथ आए तालिबान अधिकारियों ने ही तय किया था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसे बुलाया जाएगा।
नतीजा यह हुआ कि केवल चुनिंदा पुरुष पत्रकार और अफगान दूतावास के अधिकारी ही वहां मौजूद रहे।
कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि उन्हें प्रवेश ही नहीं दिया गया।
It seems even in New Delhi, female journalists were not allowed to attend Taliban FM Muttaqi’s press conference at the Afghan embassy there.
photo from Hafiz Zia Ahmad’s account#Afghanistan pic.twitter.com/OsdPWkbnHh— Ali Adili (@ali_adili) October 10, 2025
विदेश मंत्रालय (MEA) ने क्या कहा?
विवाद गर्म होने पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने सफाई दी।
MEA ने स्पष्ट किया कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास में आयोजित की गई थी और इसे अफगानिस्तान के मुंबई स्थित काउंसिल जनरल ने आयोजित किया था।
मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि पत्रकारों को बुलाने या प्रवेश देने का निर्णय पूरी तरह से आयोजकों का था और भारत सरकार का इस मामले में कोई हस्तक्षेप या भूमिका नहीं थी।

MEA के अनुसार, अफगान दूतावास भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
विपक्ष का हमला: ‘महिलाओं का अपमान, PM की चुप्पी खोखले दावे’
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है।
प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया।
उन्होंने ट्वीट कर पूछा, “प्रधानमंत्री मोदी जी, कृपया स्पष्ट करें कि तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? क्या आपके महिला अधिकारों के दावे सिर्फ चुनावी नारे हैं?”
उन्होंने आगे लिखा कि भारत की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का इस तरह अपमान होने दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
Prime Minister @narendramodi ji, please clarify your position on the removal of female journalists from the press conference of the representative of the Taliban on his visit to India.
If your recognition of women’s rights isn’t just convenient posturing from one election to…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 11, 2025
राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि जब PM मोदी महिला पत्रकारों को सार्वजनिक मंचों से बाहर रखने की इजाजत देते हैं, तो वे भारत की हर महिला को यह संदेश दे रहे हैं कि वे उनके लिए खड़े नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा कि इस तरह के भेदभाव पर चुप्पी ‘नारी शक्ति’ के नारों की खोखलीपन को उजागर करती है।

पी. चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने हैरानी जताई कि महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया।
उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि जब पुरुष पत्रकारों को पता चला कि उनकी महिला सहकर्मियों को नहीं बुलाया गया है, तो उन्हें तुरंत विरोध स्वरूप वॉकआउट करना चाहिए था।”
I am shocked that women journalists were excluded from the press conference addressed by Mr Amir Khan Muttaqi of Afghanistan
In my personal view, the men journalists should have walked out when they found that their women colleagues were excluded (or not invited)
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 11, 2025
महुआ मोइत्रा
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस घटना को “हर भारतीय महिला का अपमान” करार दिया।
उन्होंने एक तीखा ट्वीट कर कहा, “सरकार ने तालिबान मंत्री को महिला पत्रकारों को बाहर रखने की अनुमति देकर देश की हर महिला का अपमान किया है। यह शर्मनाक और रीढ़विहीन कदम है।”
उन्होंने भारतीय मुसलमानों पर लगने वाले प्रतिबंधों और तालिबान मंत्री को दी गई छूट के बीच विरोधाभास भी दिखाया।
Govt has dishonoured every single Indian woman by allowing Taliban minister to exclude women journalists from presser. Shameful bunch of spineless hypocrites. pic.twitter.com/xxnqofS6ob
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 10, 2025
सोशल मीडिया पर उठे सवाल, पत्रकारिता की आजादी पर चिंता
यह मामला सोशल मीडिया पर तुरंत ट्रेंड हो गया।
#Taliban, #WomenJournalists, #IndiaAfghanistan जैसे हैशटैग के साथ यूजर्स ने अपना गुस्सा जाहिर किया।
ज्यादातर लोगों ने इस फैसले को पत्रकारिता की स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों पर हमला बताया।
कई यूजर्स ने पी. चिदंबरम के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि पुरुष पत्रकारों को विरोध में प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ देनी चाहिए थी।

तालिबान का महिला-विरोधी रिकॉर्ड
इस घटना ने तालिबान के लिंग आधारित भेदभावपूर्ण रवैये पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है।
अफगानिस्तान पर अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद से, वहां की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को लगातार कुचला गया है।
लड़कियों को सेकेंडरी स्कूल जाने से रोका गया है, महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर अकेले यात्रा करने पर पाबंदी है, और उनके काम करने तथा शिक्षा हासिल करने के अधिकारों पर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इस पृष्ठभूमि में, भारत की राजधानी में महिला पत्रकारों के साथ हुआ यह व्यवहार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की सोच को एक बार फिर उजागर कर गया।

कूटनीति बनाम मूल्यों का सवाल
आमिर खान मुत्तकी का भारत दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक कूटनीतिक कदम माना जा रहा था। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुई यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा कर गई है।
सवाल यह है कि कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देते समय क्या देश को अपने मूलभूत लोकतांत्रिक मूल्यों और लैंगिक समानता के सिद्धांतों से समझौता करना चाहिए?
भारत सरकार ने इस मामले में अपनी भूमिका से इनकार कर दिया है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि भारत की धरती पर ऐसा भेदभाव होने देना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी थी।
यह मामला दर्शाता है कि तालिबान के साथ कूटनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाना भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए कितनी बड़ी चुनौती है।


