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क्या है 53 साल पुराना शिमला समझौता? जिसे खत्म करने की धमकी दे रहा है पाकिस्तान

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

What is Shimla Agreement: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए सालों पुराना सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) रद्द कर दिया है।

इसके जवाब में पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते (Shimla Agreement) को खत्म करने की धमकी दी है

पाकिस्तानी मीडिया और विशेषज्ञों का एक वर्ग मांग कर रहा है कि उनकी सरकार शिमला समझौता तोड़कर भारत को जवाब दे।

आइए जानते हैं आखिर क्या है 53 साल पुराना शिमला समझौता और उसके खत्म होने से भारत को क्या नुकसान हो सकता है?

क्या है शिमला समझौता और क्यों हुआ था?

शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई, 1972 को हुआ था।

यह समझौता 1971 के युद्ध के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश अलग देश बना।

इस युद्ध में भारत ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया था।

क्यों कहा जाता है शिमला समझौता?

साल 1972 में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में ये समझौता हुआ था।

उसे समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के Pm जुल्फिकार अली भुट्टो ने 2 जुलाई को इस डील से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए थे।

इसीलिए इसे शिमला समझौता कहा जाता है।

शिमला समझौते के मुख्य उद्देश्य

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना और विवादों को बातचीत से सुलझाना।

समझौते की प्रमुख बातें

  • दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे
  • नियंत्रण रेखा (LoC) को दोनों पक्ष मानेंगे और उसे बदलने की कोशिश नहीं करेंगे।
  •  युद्ध बंदी और कब्जाए गए इलाके वापस किए जाएंगे।

अब पाकिस्तान क्यों तोड़ना चाहता है शिमला समझौता

पाकिस्तान के कुछ हलकों का मानना है कि भारत ने सिंधु जल समझौता तोड़कर उन्हें निशाना बनाया है, इसलिए जवाब में शिमला समझौता भी रद्द किया जाना चाहिए।

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पाकिस्तान पहले भी कर चुका है समझौते का उल्लंघन

पाकिस्तान ने 1999 में कारगिल युद्ध और 26/11 जैसे हमलों के जरिए शिमला समझौते का उल्लंघन पहले ही किया है।

अब औपचारिक रूप से समझौता तोड़ने की बात की जा रही है।

क्या पाकिस्तान को फायदा होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि शिमला समझौता तोड़ने से पाकिस्तान को कोई खास फायदा नहीं होगा, क्योंकि:

  1. भारत पहले से ही पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का शिकार हो रहा है।
  2. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि और खराब होगी।
  3. यदि पाकिस्तान युद्ध की राह पर चलता है, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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भारत पर क्या असर पड़ेगा

  1. भारत पहले ही आतंकवाद की समस्या से से जूझ रहा है, इसलिए शिमला समझौता टूटने से स्थिति ज्यादा नहीं बदलेगी
  2. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पाकिस्तान को आतंक का समर्थक साबित कर चुका है।
  3. भारत के पास सैन्य और कूटनीतिक ताकत है, जिससे वह पाकिस्तान के किसी भी खतरे का मुकाबला कर सकता है।

शिमला समझौता खत्म हुआ तो क्या होगा?

  • पाकिस्तान अगर औपचारिक रूप से शिमला समझौता रद्द करता है, तो दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा।
  • भारत सिंधु नदी का पानी रोककर पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की संभावना बढ़ सकती है, लेकिन भारत द्विपक्षीय बातचीत पर जोर देता रहा है।

कुल मिलाकर पाकिस्तान का शिमला समझौता तोड़ने की धमकी एक प्रतिक्रियात्मक कदम है, जिससे उसे कोई बड़ा लाभ नहीं होगा।

भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है।

अब देखना है कि पाकिस्तान इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाता है।

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