Pakistan Troubling Indian diplomats: भारत पर पाकिस्तान का जोर नहीं चला तो वो अब पाकिस्तान में मौजूद भारतीय डिप्लोमैट्स को परेशान करने पर उतर आया है।
खबर है कि इस्लामाबाद में तैनात भारतीय अधिकारियों के घरों में गैस सप्लाई रोक दी गई है।
साथ ही स्थानीय वेंडर्स को भी हिदायत दी गई है कि वे भारतीय डिप्लोमैट्स को गैस सिलेंडर न बेचें।
इसके अलावा, मिनरल वाटर और अखबारों की सप्लाई भी बंद कर दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की योजना का हिस्सा है। इसके तहत पाकिस्तान बदले की छोटी-छोटी कार्रवाइयां कर रहा है।
यह फैसला भारत द्वारा पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में लिया गया है।
भारत ने भी पाकिस्तानी राजनयिकों के अखबार बंद किए
इसके जवाब में भारत ने भी दिल्ली में तैनात पाकिस्तानी राजनयिकों को अखबार पहुंचाना बंद कर दिया है।
यह कदम दोनों देशों के बीच चल रही “डिप्लोमैटिक टिफ़-टैक” का हिस्सा है।

इससे पहले भी पाकिस्तान ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय राजनयिकों को इसी तरह प्रताड़ित किया था।
उस समय, भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया और अन्य अधिकारियों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा परेशान किया गया था।
क्या है वियना कन्वेंशन?
- वियना कन्वेंशन एक तरह का अंतरराष्ट्रीय “डिप्लोमैटिक रूल बुक” है, जो देशों के बीच राजनयिक रिश्तों को आसान बनाता है।
- 1961 और 1963 की कन्वेंशन सबसे खास हैं। 1961 का कन्वेंशन राजदूतों और दूतावासों को सुरक्षा देता है। राजदूत को “इम्यूनिटी” मिलती है न उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और न ही उनकी तलाशी ली जाएगी।
- दूतावास एक “सेफ जोन” है, जहां बिना इजाजत कोई घुस नहीं सकता।
- 1963 का कन्वेंशन कांसुलर अधिकारियों के लिए है, जो विदेश में अपने नागरिकों की मदद करते हैं, जैसे पासपोर्ट बनाना या जेल में फंसे लोगों की सहायता।
- दोनों देशों को एक-दूसरे के राजदूतों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है।

पाकिस्तान ने किया वियना कन्वेंशन का उल्लंघन?
पाकिस्तान का यह कदम वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (1961) का सीधा उल्लंघन है।
इसके आर्टिकल 25 के मुताबिक, मेजबान देश को राजनयिक मिशन के सुचारू संचालन के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं।
गैस, पानी और अखबार जैसी बुनियादी चीजें रोककर पाकिस्तान ने साफ तौर पर इस नियम को तोड़ा है।

पाकिस्तान का पुराना रिकॉर्ड: राजनयिकों को परेशान करने की रणनीति
- 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी भारतीय राजनयिकों को फर्जी फोन कॉल, स्टाकिंग और सुरक्षाकर्मियों द्वारा परेशान किया गया था।
- अप्रैल 2024 में, भारतीय हाई कमीशन के बाहर भारत-विरोधी प्रदर्शन हुए, जहां भीड़ ने गेट फांदने की कोशिश की।
- पाकिस्तानी एजेंसियां अक्सर भारतीय अधिकारियों पर निगरानी और धमकाने की कोशिश करती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत का पाकिस्तान को जवाब
22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी।
7 मई की रात, भारतीय सेना ने PoK के कोटली, मुजफ्फराबाद और मुरीदके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया।
इस ऑपरेशन का लक्ष्य लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कैंप थे।
पाकिस्तान ने इन हमलों को स्वीकार नहीं किया, लेकिन स्थानीय सूत्रों ने बताया कि 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।

परमाणु धमकी पर भारत का जवाब
पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में सिंधु नदी पर बांध बनाने की धमकी देते हुए कहा था कि वे मिसाइल दागेंगे।
भारत ने इसका जवाब देते हुए कहा कि “परमाणु ब्लैकमेल पाकिस्तान की पुरानी आदत है, लेकिन हम झुकेंगे नहीं।”
Statement by Official Spokesperson⬇️
🔗 https://t.co/aEi9bMFOHi pic.twitter.com/AGyyGNu8gv— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) August 11, 2025
पूरी खबर पढ़ें-
भारत का मजाक उड़ाने के चक्कर में खुद ट्रोल हुए असीम मुनीर, पाकिस्तान को कहा था- “कबाड़ से भरा डंपिंग ट्रक”
क्या पाकिस्तान की रणनीति काम करेगी?
ऐसे कदमों से पाकिस्तान न सिर्फ नियम तोड़ता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में तनाव भी बढ़ाता है।
वियना कन्वेंशन दुनिया के लिए एक “शांति का पुल” है, और इसे तोड़ना यानी डिप्लोमेसी के खेल में फाउल करना!
पाकिस्तान का यह कदम उसकी कूटनीतिक कमजोरी को दिखाता है।
बजाय आतंकवाद पर रोक लगाने के, वह भारतीय राजनयिकों को परेशान करके अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाल रहा है।
लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह ऐसी हरकतों से प्रभावित नहीं होगा।
अब देखना है कि भारत इस “गैस-पानी वाले युद्ध” का किस तरह जवाब देता है।
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