भोपाल। देश में आम चुनाव चल रहे हैं, लेकिन चुनाव का वैसा शोर सुनाई नहीं दे रहा जैसा सुनने की हमें आदत है। वजह साफ है कि बीजेपी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है और विपक्षी किला लड़ाने के मूड में नहीं हैं।
ऐसा नहीं है कि सियासत में कुछ चटखारे लेकर सुनने-सुनाने लायक नहीं है। बहुत कुछ ऐसा घट रहा है जो हैरत में डाल रहा है, चौंका रहा है। दरअसल कांग्रेस के रणछोड़दासों ने सियासी चर्चाओं की इन दिनों लज्जत बढ़ा रखी है।
एक ही सवाल सबके दिमाग मे सुबह-सवेरे ही कौंध जाता है कि आज कौन कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुआ। बहरहाल दलबदल के सियासी आइने में ताजा-ताजा सुर्खरू हुए हैं रामनिवास रावत जिन्होंने एक पखवाड़े से चल रही तमाम अटकलों को सही साबित करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है।
रामनिवास रावत बीजेपी में क्यों आए? कांग्रेस में ऐसी कौन सी कलह ने रावत का मन खट्टा किया? मान-मनौव्वल से भी आखिर क्यों रामनिवास नहीं माने? आइए इन तमाम बिंदुओं पर डालते हैं एक नजर…
- रामनिवास रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं
- 6 बार के विधायक हैं रामनिवास रावत
- मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे
- जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से नाराज थे रावत
- जीतू पटवारी से काफी सीनियर लीडर है रावत
- लोकसभा सीट का टिकट नहीं मिलने से भी नाराज थे
- कांग्रेस में उपेक्षा के चलते बीजेपी में जाने का मन बनाया
- पिछले दिनों मुरैना में पीएम की सभा मे रावत के बीजेपी की सदस्यता लेने की हवा उड़ी
- पीएम की सभा में रावत ने सदस्यता नहीं ली तो इन अटकलों पर विराम लगा
- कांग्रेस आलाकमान ने रावत को मनाने की पूरी कोशिश की
- आलाकमान से बात के बाद रावत दिग्विजय सिंह की सभा में प्रचार के लिए पहुंचे
- रावत का फिर मन बदला और बीजेपी में जाने का मन बना लिया
- रावत को बीजेपी की सदस्यता दिलाने बीजेपी ने खास दिन चुना
- जिस दिन भिंड में राहुल गांधी की सभा थी, उसी दिन रावत को सदस्यता दिलाई गई।
देखा जाए तो रावत सरीखे कई कांग्रेसी नेता अपने सियासी भविष्य को सुरक्षित रखने बीजेपी के संरक्षण में जा चुके हैं और कई जाने की तैयारी में हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
लेकिन, सवाल ये भी है कि कांग्रेस नेताओं का बीजेपी में शामिल होना समझ में आता है कि उन्हें कहीं तो ठौर-ठिकाना चाहिए, लेकिन बीजेपी की आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वो कांग्रेस नेताओं के लिए पलक पांवड़े बिछाए बैठी है।