एक बार फिर से श्याम रंगीला वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सुर्खियों में हैं, लेकिन कोई करामात दिखा पाएं ऐसा तो मुश्किल ही नजर आता है।
तीसरे चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की रैली में एक तीन से दो निशाने साधे। उन्होंने कांग्रेस के बहाने पाकिस्तान पर भी हमला बोला।
कुल जमा चुनाव में एक दूसरे को घेरने और तोहमत लगाकर वोटर्स को रिझाने का ये सिलसिला सियासत में नया नहीं है, लेकिन मोदी के हालिया बयान ने इस सियासत की रिवायत को नई हवा दे दिया है, कहना गलत नहीं होगा।
देश में लोकसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ राजग और विपक्षी इंडी गठबंधन, ईडी की कार्रवाई को अपनी-अपनी तरह से समझाते हुए अपने-अपने वोटर्स को साधने में जुटे हुए हैं।
सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार पलटी मार आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए हैं। नीतीश कुमार राजनीति की इंजीनियरिंग बखूबी जानते हैं। इसके बाद सवाल ये है कि क्या वे बीजेपी के लिए जरूरी हैं या फिर मजबूरी बन गए हैं। या फिर नीतीश खुद मोदी-शाह की राजनीति में फंस गए हैं।