Piyush Pandey Passes Away: भारतीय विज्ञापन जगत के स्तंभ और बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री पीयूष पांडे का गुरुवार, 23 अक्टूबर को मुंबई में निधन हो गया।
वह 70 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि वह एक गंभीर संक्रमण से पीड़ित थे।
उनके निधन की खबर की पुष्टि उनके करीबी दोस्त और बिजनेसमैन सोहेल सेठ ने की, जिन्होंने सोशल मीडिया पर शोक जताते हुए उन्हें एक “महान रचनात्मक प्रतिभा”, “सच्चा देशभक्त” और “शानदार इंसान” बताया।

देश को दिए कई यादगार स्लोगन
पीयूष पांडे ने चार दशकों से भी लंबे अपने करियर में भारतीय विज्ञापन उद्योग को नई दिशा और भाषा दी।
उन्हें ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे राजनीतिक नारे, ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ जैसे देशभक्ति गीत और ‘हर घर कुछ कहता है’, ‘कुछ खास है’ जैसे घर-घर में पहचाने जाने वाले स्लोगन्स के लिए याद किया जाएगा।
We might get dozens of patriotic songs, but #MileSurMeraTumhara will always remain an emotion ❤️
Composed by Pt Bhimsen Joshi, the national integration song was first telecast on #IndependenceDay 1988.
Do you rem it?Had to shorten the original video to fit. गुस्ताख़ी माफ़ pic.twitter.com/7klrAy55tx
— Mimansa Shekhar (@mimansashekhar) August 14, 2023
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर शोक जताते हुए लिखा, “पीयूष पांडे क्रिएटिविटी के लिए जाने जाते थे… मैं उनके साथ हुई बातचीत को सालों तक संजोकर रखूंगा। उनके दुनिया से जाने से बहुत दुखी हूं।”


जयपुर से शुरू हुआ था सफर
- पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर, राजस्थान में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
- उनके पिता एक बैंक कर्मचारी थे।
- वह नौ भाई-बहनों में से एक थे, जिनमें उनके भाई और मशहूर फिल्म निर्देशक प्रसून पांडे तथा बहन और जानी-मानी गायिका-अभिनेत्री इला अरुण शामिल हैं।
- पीयूष ने अपनी स्कूली शिक्षा जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से पूरी की और इसके बाद दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
- दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने लंबे समय तक क्रिकेट भी खेला, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।
- महज 27 साल की उम्र में उन्होंने अपने भाई प्रसून के साथ मिलकर रेडियो जिंगल्स बनाने शुरू किए और इस तरह विज्ञापन जगत में उनकी यात्रा शुरू हुई।
- साल 1982 में वह विश्वप्रसिद्ध विज्ञापन एजेंसी ओगिल्वी से जुड़े और यहीं से उनकी प्रतिभा ने पंख फैलाने शुरू किए।
Advertising is nothing but common sense ~ #PiyushPandey pic.twitter.com/iEkX7H41Yy
— Superastar Raj (@NagpurKaRajini) October 24, 2025
विज्ञापन जगत के वो स्लोगन्स जो बन गए मुहावरे
पीयूष पांडे ने ऐसे कैंपेन बनाए जो सिर्फ उत्पाद नहीं बेचते थे, बल्कि लोगों की भावनाओं से जुड़ जाते थे और भारतीय समाज का हिस्सा बन गए।
उनकी कुछ सबसे यादगार रचनाएँ इस प्रकार हैं:
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फेविकोल – “जोड़ तोड़ नहीं सकता”: साल 2007 का वह ट्रक वाला विज्ञापन आज भी लोगों के जेहन में है। एक ट्रक के ऊपर बैठे लोग ऊबड़-खाबड़ सड़क पर भी गिरते नहीं हैं, क्योंकि वे फेविकोल से चिपके हुए हैं। इस विज्ञापन ने एक साधारण गोंद को एक ऐसे ब्रांड में तब्दील कर दिया, जिस पर हर कोई भरोसा करता है।

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कैडबरी डेयरी मिल्क – “कुछ खास है”: क्रिकेट वाला यह विज्ञापन भारतीयों के क्रिकेट के प्यार को दर्शाता है। एक बच्चा छक्का लगाने के बाद खुशी से नाच उठता है और पूरा मोहल्ला उसके साथ झूमने लगता है। “कुछ खास है” की लाइन ने चॉकलेट को खुशियों के साथ जोड़ दिया।
Indian advertising loses its north star today The heartbeat of Indian communication #PiyushPandey , the man who shaped how brands spoke, felt, and belonged in India has passed away. A legendary creative force who bought millions together ♥️
Om Shanti
Some of his iconic… pic.twitter.com/sdaKkKKypN— ExtraSpiceAni (@ShrivastavAni) October 24, 2025
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एशियन पेंट्स – “हर घर कुछ कहता है”: इस 2002 के विज्ञापन ने दीवारों को सिर्फ रंगने की चीज नहीं, बल्कि यादों और भावनाओं का घर बना दिया। यह कैंपेन इतना लोकप्रिय हुआ कि एशियन पेंट्स बाजार में अग्रणी बन गया।
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हच (वोडाफोन) – पग डॉग वाला विज्ञापन: 2003 में आए इस विज्ञापन में एक पिल्ला एक बच्चे का पीछा करता है, जो मोबाइल कनेक्टिविटी के विश्वास और दोस्ती के संदेश को दर्शाता है। “भाई, हच है ना!” जैसी लाइनें घर-घर पहुंच गईं।

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पल्स पोलियो – “दो बूंद जिंदगी की”: इस जनहित अभियान ने पोलियो ड्रॉप्स को हर बच्चे तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। यह स्लोगन आज भी लोगों की जुबान पर है।
पीयूष पांडे जी का भारतीय टेलीविजन के लिए बनाया गया अब तक का सबसे शानदार विज्ञापन। ॐ शांति। #PiyushPandey pic.twitter.com/YcdT4HtG8P
— DK Rajpurohit (@DeviSin61134860) October 24, 2025
‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे स्लोगन भी दिए
पीयूष पांडे ने 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का ऐतिहासिक नारा दिया।
इस साधारण, बोलचाल की भाषा में लिखे गए नारे ने जनता के बीच जबरदस्त जोश पैदा किया, जो हर किसी की जुबान पर बैठ गया।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि इस विशाल अभियान को डिजाइन करने में उनकी टीम को महज 50 दिन लगे।
इस दौरान उन्होंने 200 से अधिक टीवी विज्ञापन, 100 से ज्यादा रेडियो जिंगल्स और रोजाना 100 से अधिक प्रिंट विज्ञापन तैयार किए।

सम्मान और विरासत
- पीयूष पांडे ने ओगिल्वी इंडिया में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और क्रिएटिव ऑफिसर वर्ल्डवाइड जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
- वह कान्स लायंस फेस्टिवल में ज्यूरी प्रेसिडेंट बनने वाले पहले एशियाई थे।
- भारत सरकार ने उनके अतुल्य योगदान के लिए 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
- 2024 में उन्हें LIA (लंदन इंटरनेशनल अवार्ड्स) लीजेंड अवार्ड से भी नवाजा गया।

पीयूष पांडे का जाना भारतीय विज्ञापन जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
हालांकि, वह अपने पीछे वो स्लोगन्स, विज्ञापन और यादें छोड़ गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को रचनात्मकता और भावनाओं से जुड़ी कहानियां बनाने की प्रेरणा देते रहेंगे।
उनकी विरासत हर उस विज्ञापन में जिंदा रहेगी, जो सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि एक एहसास बेचता है।
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