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इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट, अप्रैल में मंजूरी मिली तो सिंहस्थ 2028 से पहले चलेगी रैपिड रेल

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Indore-Ujjain Metro in Simhastha 2028: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इच्छा हैं कि सिंहस्थ 2028 से पहले इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हो जाए।

इससे उज्जैन सिंहस्थ में आने वाले 15 श्रद्धालुओं की सुविधा मिलेगी।

फिलहाल, इस मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए DPR बनाई जा रही है।

मेट्रो अफसरों की माने तो दिसंबर तक रिपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगी।

अगर अप्रैल में इसे मंजूरी मिलती है, तो इंदौर से उज्जैन के बीच रैपिड मेट्रो चलेगी।

इंदौर-उज्जैन कनेक्टिविटी को मिलेगा नया आयाम

इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन चलाने का मध्य प्रदेश सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट तेजी से आकार ले रहा है।

रैपिड रेल से इंदौर-उज्जैन कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए मेट्रो रेल सेवा शुरू करने की योजना बनाई गई है।

इस प्रोजेक्ट की DPR (Detailed Project Report) दिसंबर तक तैयार हो जाएगी।

इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा।

अनुमान है कि अप्रैल तक इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल सकती है, जिसके बाद पटरी बिछाने का काम शुरू होगा।

प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि मार्च-अप्रैल 2025 तक सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएगी, ताकि 3 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो सके।

कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद फंडिंग और निर्माण एजेंसी तय होते ही निर्माण कार्य की शुरुआत की जाएगी।

यदि समय पर काम शुरू हो गया तो मेट्रो चलाने में कोई अड़चनें नहीं आएगी।

वहीं इस समय सीमा में काम पूरा होने के बाद सिंहस्थ 2028 तक इंदौर-उज्जैन मेट्रो ट्रेन की सेवा शुरू हो जाएगी।

जिससे यात्रियों को तेज़ और सुविधाजनक यात्रा का लाभ मिलेगा।

मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो बना रहा DPR

इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो के लिए दिल्ली मेट्रो डीपीआर बना रहा है, फिजिबिलिटी स्टडी पहले ही हो चुकी है।

इंदौर-उज्जैन के बीच कितनी दूरी है, कितने स्टेशन बनेंगे, कितनी संभावित लागत होगी आदि की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में शामिल रहेगी।

बता दें कि 2022-23 में दिल्ली मेट्रो द्वारा की गई फिजिबिलिटी स्टडी को आधार बनाते हुए इस प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार की जा रही है।

उम्मीद जताई जा रही है कि इस परियोजना की कुल लागत 1,000 से 1,500 करोड़ रुपए के बीच हो सकती है।

इंदौर-उज्जैन के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 55 Km है और इसके आसपास से ही मेट्रो गुजर सकती है।

हालांकि, मेट्रो के कम स्टेशन होने के कारण लागत में भी कमी आएगी।

इस मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत 2 से 3 स्टेशन बनाए जाएंगे।

इंदौर-उज्जैन के अलावा बीच में एक स्टेशन और बन सकता है।

इसके अलावा, रैपिड रेल के रूप में इस मेट्रो प्रोजेक्ट में इंटरसिटी कनेक्टिविटी पर जोर दिया जाएगा, ताकि यात्रा का समय कम किया जा सके।

सर्वे कर चुका DMRC, एक तिहाई होगा ट्रैफिक

सरकार ने सिंहस्थ से पहले इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए तैयारी की है।

इसके चलते दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) इंदौर के लवकुश चौराहा से उज्जैन महाकाल तक रूट का मौका मुआयना कर चुकी है।

टीम ने स्टेशन, डिपो और अन्य सुविधाओं के लिए जगह देखी थी।

दोनों शहरों के बीच एलिवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है।

इंदौर और उज्जैन का करीब 75 प्रतिशत ट्रैफिक सड़क मार्ग से ही आना-जाना करता है।

हजारों लोग इंदौर-उज्जैन में अप-डाउन करते हैं। इससे सड़क पर ट्रैफिक का दबाव बना रहता है।

कई बार हादसे भी हो चुके हैं। ऐसे में इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो बेहतर कनेक्टिविटी का बड़ा विकल्प हो सकता है।

दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलने के बाद सड़क मार्ग का ट्रैफिक एक तिहाई रह जाएगा।

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