Parashuram Aurangzeb Comparison: विक्की कौशल स्टारर फिल्म छावा में दिखाई गई औरंगजेब की क्रूरता ने जो विवाद शुरू किया है वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
एक तरफ पूरे महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। जिससे नागपुर में हिंसा भी भड़क गई।
दूसरी तरफ जबलपुर की एक महिला कांग्रेस नेत्री ने भगवान परशुराम को औरंगजेब से ज्यादा क्रूर बताने वाली पोस्ट शेयर कर दी।
हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस नेत्री ने माफी मांग ली और कहा कि उन्होंने गलती से ये पोस्ट शेयर की थी।
उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।
क्या लिखा था विवादित पोस्ट मे
दरअसल पूर्व महिला नगर कांग्रेस अध्यक्ष रेखा विनोद जैन ने सोशल मीडिया पर कथाकार मणिका मोहिनी की पोस्ट शेयर की थी जिसमे लिखा था औरंगजेब ने अपने भाई का सिर काटकर अपने पिता को भेंट किया था।
जबकि परशुराम ने अपनी माता का सिर काटकर अपने पिता को भेंट किया था।

इस विवादित पोस्ट में ये भी लिखा है कि औरंगजेब क्रूर था, कोई उसे आदर्श नहीं मानता।
मुसलमान भी अपनी संतान का नाम औरंगजेब नहीं रखते। लेकिन हिंदुत्व के ठेकेदार परशुराम के मंदिर तक बनवाते हैं।
औरंगजेब सांप्रदायिकता के लिए कलंकित है, जबकि परशुराम जातिगत घृणा के प्रतीक हैं
पोस्ट पर विवाद बढ़ने पर पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने उसे डिलीट कर दिया।
रेखा जैन के खिलाफ पुलिस में भी मामला दर्ज किया गया है।

पार्टी ने जारी किया नोटिस
जबलपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने भी रेखा के पोस्ट पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
पार्टी की फटकार के बाद रेखा जैन ने तुरंत यू-टर्न लेते हुए माफी मांग ली और सफाई दी कि फेसबुक पर पोस्ट देखते समय यह गलती से शेयर हो गया था
क्या सच में परशुराम जी ने काटा था मां का सिर
इस पोस्ट के सामने आने के बाद कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहा है कि आखिर ऐसी तुलना क्यों की गई?
क्या सच में परशुराम ने अपनी मां का सिर काटा था। क्योंकि कथाओं में भी इस बात का जिक्र आता है।
आइए जानते हैं भगवान परशुराम के बारे में…
भगवान विष्णु के छठे अवतार
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने पापी और अधार्मिक राजाओं का अंत करने के लिए परशुराम जी के रूप में धरती पर छठवां अवतार लिया था।
ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी पृथ्वी पर ही निवास करते हैं।

ऐसे ‘राम’ बनें परशुराम
भगवान परशुराम के बचपन का नाम राम था।
कथाओं के अनुसार उन्होंने भगवान शिव कठिन तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें युद्ध कला का ज्ञान और कई अस्त्र भेंट किए।
इन सभी अस्त्र-शस्त्र में से भगवान परशुराम को फरसा सबसे अत्यधिक प्रिय था।
इस फरसे को ही परशु (कुल्हाड़ी) कहा जाता है।
हमेशा अपने साथ फरसा रखने की वजह से ही इन्हें परशुराम कहा जाने लगा।

भगवान परशुराम ने इसलिए किया था माता का वध
(Why Parshuram Bhagwan killed his mother?)
मान्यताओं अनुसार जब एक बार परशुराम की माता रेणुका स्नान करके आश्रम को लौट रही थीं तो उन्होंने गन्धर्वराज चित्रकेतु को जलविहार करते देखा।
जिससे उनके मन में विकार उत्पन्न हुआ और वे खुद को नहीं रोक पाईं।
जब उनके पति महर्षि जमदग्नि को ये बात पता चली तो उन्होंने क्रोध में आकर अपने सभी पुत्रों से बारी-बारी अपनी मां का वध करने के लिए कहा, लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया।
तब उन्होंने अपने पुत्रों को उनकी विचार शक्ति नष्ट होने का श्राप दे दिया।
फिर जब उनके पुत्र परशुराम वहां आए तब जमनग्नि ने उनसे यह कार्य संपन्न करने के लिए कहा।
पिता की आज्ञा मानते हुए उन्होंने तुरंत अपनी मां का वध कर दिया।

पिता से मांगा माता को पुनर्जीवित करने का वरदान
यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम से कोई वर मांगने के लिए कहा।
तब परशुराम ने अपनी माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा।
साथ ही ये वरदान भी मांगा कि जो कुछ भी हुआ है उसके बारे में किसी को भी कुछ याद न रहे।
साथ ही अपने लिए अजेय होने का भी वरदान मांगा। महर्षि जमदग्नि ने उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करने का वरदान दिया।

21 बार धरती को क्षत्रियविहीन किया!
कथाओं के अनुसार परशुराम भगवान ने 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन किया था। लेकिन ये बात पूरी तरह से सत्य नहीं है।
दरअसल भगवान परशुराम ने सिर्फ हैहय वंश के क्षत्रियों का ही नाश किया था।
यह पूरी कथा राजा सहस्त्रार्जुन से जुड़ी है जिनके साथ इनके पिता जमदग्नि ॠषि का कई बातों को लेकर विवाद था।
पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
चारों युग में परशुराम का जिक्र
-सतयुग में भगवान परशुराम का जिक्र तब आता है जब गणेशजी ने परशुराम को भगवान शिव के दर्शन करने से रोक दिया था।
तब क्रोधित होकर परशुराम जी ने उन पर परशु से प्रहार कर दिया था जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया था।

-त्रेतायुग में जब सीता स्वयंवर के समय श्रीराम ने शिव जी का धनुष उठाया और वह टूट गया तो परशुराम स्वयंवर के स्थान पर पहुंचे और शिव जी का टूटा धनुष देखकर क्रोधित हो गए।
इसके बाद भगवान राम ने परशुराम जी को बताया कि वे भगवान विष्णु का ही अवतार हैं, तब परशुराम जी का क्रोध शांत हुआ।
-द्वापर युग में उन्होंने झूठ बोलने के दंड स्वरूप कर्ण की सारी विद्या उस समय पर विस्मृत हो जाने का श्राप दिया जब उन्हें उनकी विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी। इसी श्राप के कारण महाभारत युद्ध में कर्ण की हार हुई थी।
-कल्कि पुराण में बताया गया है कि परशुराम जी ही कलयुग के कल्कि अवतार के गुरु भी होंगे।