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Lactose Intolerance: आखिर क्यों इसकी वजह से लोग नहीं खा पाते दूध और उससे बने पदार्थ, जानें लक्षण और इलाज

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

दूध-दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स सदियों से हेल्थ के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं, चाहे बड़े हो या बच्चे, महिला हो या बुजुर्ग। सबके खाने में डेयरी प्रोडक्ट्स जरूर शामिल होते हैं। लेकिन दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दूध या अन्य डेयरी प्रोडक्ट सूट नहीं करते हैं, या कह सकते हैं उन्हें इनसे एलर्जी है। मेडिकल भाषा में इसे लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहते हैं। मतलब वे इसे पचा नहीं पाते हैं। लैक्टोज इन्टॉलरेंस क्या होता है, कौन इसका शिकार हो सकता है और इसके लक्षण और इलाज क्या है, जानेंगे इस आर्टिकल में…

लैक्टोज क्या है –
दूध में शुगर होता है जिसे लैक्टोज कहते हैं। हालांकि लैक्टोज इन्टॉलरेंस कोई बीमारी नहीं है पर यह आपके लिए असहज और असह्य हो सकती है। हमारे शरीर में एक एंजाइम ‘लैक्टेज‘ होता है जो शरीर को शुगर एब्जॉर्ब करने में मदद करता है। यह एंजाइम छोटी आंत में होता है पर कुछ लोगों को यह नहीं होता है या बहुत कम होता है। जिन्हें लो लैक्टेज होता है वे डेयरी प्रोडक्ट पचा नहीं पाते हैं यहां तक की दूध से बनी मिठाईयां भी।

लो लैक्टेज से क्या होता है –
जिन्हें लैक्टेज एंजाइम की कमी है उनकी छोटी आंत में दूध का शुगर, लैक्टोज , ब्रेक डाउन नहीं हो पाता है। यह नीचे कोलन में जा कर वहां बैक्टीरिया से मिलता है और फरमेंट करता है जिसके चलते गैस, डकार , दस्त और उल्टी या मिचली की शिकायत होती है।

Front view smiley girl having a delicious breakfast

लैक्टोज इन्टॉलरेंस किसे हो सकता है –
यह शिकायत दुनिया भर में करोड़ों लोगों को है, खास कर वयस्कों को। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि लगभग 40 % लोगों में 2 से 5 साल के बाद लैक्टेज एंजाइम बनना बंद हो जाता है या बहुत कम हो जाता है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है या कुछ अन्य बीमारियों के चलते भी।

सिम्पटम्स –
दस्त (डायरिया) , मिचली , उल्टी , पेट में दर्द या क्रैम्प (ऐंठन), गैस और डकार।

डायग्नोसिस –
आप स्वयं कुछ सप्ताह के लिए डेयरी प्रोडक्ट खाना बंद करके देखें। सिम्प्टम खत्म होने के बाद दोबारा डेयरी प्रोडक्ट्स खाना शुरू करके देखें। जरुरत के मुताबिक डॉक्टर की सलाह भी लें। सिम्प्टम के आधार पर डॉक्टर आपको भोजन में डेयरी प्रोडक्ट कुछ दिनों के लिए बंद करने की सलाह देकर उसका परिणाम देखेंगे।

इसके अतिरिक्त निम्न टेस्ट की सलाह दे सकते हैं –

1. हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट –
आपको एक ड्रिंक पीने को कहा जायेगा जिसमें लैक्टोज हाई लेवल में होगा। कुछ कुछ समय के अंतराल पर आपकी सांस में हाइड्रोजन की मात्रा नापी जाएगी। अगर आके द्वारा छोड़ी गयी सांस में हाइड्रोजन की मात्रा अधिक हुई तो इसका मतलब आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस है।

2. लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट –
हाई लेवल लैक्टोज ड्रिंक पीने के दो घंटे बाद आपका ब्लड टेस्ट किया जायेगा। अगर ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा में वृद्धि नहीं हुई तो इसका मतलब आप लैक्टोज नहीं पचा पा रहे हैं और आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस है।

Girl having breakfast before school

उपचार –
अगर लैक्टोज इन्टॉलरेंस कुछ निहित कारणों से हो तब उपचार के बाद ठीक हो सकता है हालांकि इसमें महीनों लग सकते हैं। अन्यथा इसके लिए कुछ उपाय हैं –

-मिल्क और अन्य डेयरी प्रोडक्ट खाना कम कर इन्टॉलरेंस रेगुलेट किया जा सकता है। लैक्टेज एंजाइम का पाउडर दूध में मिला कर ले सकते हैं।

-अक्सर ऑटिस्म से ग्रस्त बच्चों को डॉक्टर ग्लूटेन फ्री (बिना गेहूं वाला) और केसिन फ्री (डेयरी फ्री , Casein डेयरी प्रोडक्ट में मौजूद प्रोटीन को कहते हैं) खाना खाने की सलाह देते हैं। ग्लूटेन और केसिन पेट में इन्फ्लेमेशन बढ़ाते हैं जिसका असर ब्रेन पर भी पड़ता है और ऑटिज्म के सिंप्टम और खराब हो सकते हैं .

-आजकल अन्य लैक्टोज फ्री मिल्क भी उपलब्ध हैं – सोया मिल्क , राइस मिल्क , आलमंड मिल्क , कोकोनट मिल्क , कैश्यु (काजू) मिल्क , हेम्प सीड मिल्क , ओट मिल्क , गोट मिल्क , पी नट मिल्क और हेजल नट मिल्क। इनमें कुछ के दूध से दही , पनीर और मिठाईयां भी बन सकती हैं।

-डेयरी मिल्क का निकटतम वैकल्पिक मिल्क सोया मिल्क है, यह अन्य विकल्प की तुलना में सस्ता भी होता है।

नोट- ये जानकारी सिर्फ आलेखों के आधार पर है। ऊपर बताए गए किसी भी टिप्स को फॉलो करने से पहले किसी हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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