तीसरे चरण की वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की रैली में एक तीन से दो निशाने साधे। उन्होंने कांग्रेस के बहाने पाकिस्तान पर भी हमला बोला।
चुनावी मौसम में बीजेपी और कांग्रेस बोरे बासी को लेकर आमने- सामने है। लोकसभा चुनाव के बीच बोरे बासी को भुनाने के लिए दोनों ही दल अपनी-अपनी कोशिशों में लगे हैं।
बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज, EVM-VVPAT पर्ची का मिलान भी नहीं होगा; सुप्रीम कोर्ट बोला सिस्टम में दखल से बेवजह शक पैदा होगा।
26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग से पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स आईं हैं कि गांधी परिवार की एक और वारिस प्रियंका गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।
पहले चरण के मतदान के पश्चात विंध्य-महाकौशल में कुछ ऐसे सवाल हवाओं में तैर रहे हैं। क्या यह कम वोटिंग बीजेपी के प्रतिकूल जाएगी? क्या इसके लिए कांग्रेस से बीजेपी में आई दलबदलुओं की भीड़ जिम्मेदार है? ये वोटिंग ट्रेंड किसके पक्ष में जाएगा? यही सबसे बड़ा सवाल है जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
बैंड के सदस्यों के लिए उनके फैंस की दीवानगी इस कदर है कि इन्हें छींक भी आ जाए या इनके लव अफेयर, या फिर जिम न जाने जैसी छोटी से छोटी खबर भी वायरल हो जाए तो इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयर 30% तक गिर जाते हैं।
ये वो बागी हैं जो खुलकर बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा भी दोनों दलों में ऐसे छुपे रुस्तम मौजूद हैं जो टिकट ना मिलने से असंतुष्ट हैं। चुनाव में ये भी भितरघाती का किरदार निभा रहे हैं, लेकिन कोई कितना ही दम लगा ले। जनता-जनार्दन जिस प्रत्याशी पर भरोसा जताएगी विजय उसकी होगी।
शादी के सीजन से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी क्यों परेशान हैं, चुनाव आयोग भी चिंतित है क्या, 'शुभ मंगल सावधान' कैसे चुनाव को प्रभावित कर रहा है। देखिए ये खास रिपोर्ट...
राज्य की 5 सीटों पर कांग्रेस के लिए राजनीतिक पंडितों का अनुमान बीजेपी का टारेगट से उलट है, जैसा कि बीजेपी 370 और एनडीए 400 पार का नारा लगा रही है, लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।
देश में आजादी के बाद राजशाही तो नहीं रही, लेकिन राजघरानों का दबदबा सामाजिक तौर के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर भी कायम है। लोकसभा चुनाव 2024 में ही उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक बीजेपी और कांग्रेस के टिकट पर राजे रजवाड़ों के वारिस चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।
सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार पलटी मार आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए हैं। नीतीश कुमार राजनीति की इंजीनियरिंग बखूबी जानते हैं। इसके बाद सवाल ये है कि क्या वे बीजेपी के लिए जरूरी हैं या फिर मजबूरी बन गए हैं। या फिर नीतीश खुद मोदी-शाह की राजनीति में फंस गए हैं।