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देव उठनी एकादशी: क्यों 4 महीने तक सोते हैं भगवान विष्णु, कौन संभालता है जगत का भार?

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Dev Uthani Ekadashi: देव उठनी एकादशी का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इसे देव उत्थान एकादशी या देव प्रबोदिनी एकादशी भी कहते हैं।

माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसके बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

इस साल देव उठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जा रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों भगवान विष्णु 4 महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं?

इसलिए 4 महीने तक सोते हैं भगवान विष्णु

पुराणों के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु से कहा- ‘हे नाथ! आप जागते हैं तो दिन-रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष के लिए सो जाते हैं।

इस दौरान असुरी शक्तियां विश्व का विनाश कर देती हैं। अत: आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का मौका मिल जाएगा।

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लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्काराए और बोले- ‘देवी’! तुमने ठीक कहा है।

मेरे जागने से सब देवों को और खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी सेवा से जरा भी अवकाश नहीं मिलता।

इसलिए, तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में चार मास के लिए शयन किया करूंगा।

उस समय तुम्हारा और देवगणों का अवकाश होगा।

बतलाया चार्तुमास का महत्व

आगे विष्णु जी ने कहा- मेरी यह निद्रा अल्प निद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी।

मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी, उत्सवप्रद और पुण्य देने वाली होगी।

इस काल में जो भी भक्त मेरी सेवा करेंगे और आनन्दपूर्वक उत्सव आयोजित करेंगे, मैं उनके घर में तुम्हारे साथ निवास करूंगा।

तभी से चार्तुमास की परंपरा शुरू हुई और कार्तिक माह की देव उठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु जागते हैं तो विशेष पूजा कार्यक्रम होते हैं।

4 महीने तक पाताल में रहते हैं भगवान विष्णु

एक अन्य कथा के अनुसार जब विष्णु जी ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती मांगी तो राजा ने इसे स्वीकार कर लिया।

तब प्रभु ने मात्र दो पग में ही आकाश और पृथ्वी को नाप लिया था, ऐसे में राजा बलि ने तीसरा पग अपने सर पर रखने को कहा, उनकी ये भक्ति देख नारायण बहुत प्रसन्न हुए और राजा से मनचाहा वर मांगने को कहा।

इस पर राजा बलि ने श्री हरि से प्रार्थना कि ‘वह उनके साथ पाताल लोक में ही निवास करें। उनके वर को पूर्ण करते हुए श्रीहरि पाताल लोक में ही रहने लगे।

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यह देख माता लक्ष्मी परेशान हो गईं फिर उन्होंने राजा बलि को भाई मानकर राखी बांधी और उन्हें विष्णु जी को मुक्त करने को कहा।

तब भगवान विष्णु ने समस्या का हल निकालते हुए कहा कि ‘वे 4 माह तक यानी देव शयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकादशी तक पाताल लोक में ही रहेंगे और बाकी समय लक्ष्मी जी के साथ क्षीर सागर में रहेंगे।

चार्तुमास में शिव जी संभालते हैं सृष्टि का भार

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु सृष्टि (दुनिया) के संचालक है। ऐसे में जब वो 4 महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं तो सृष्टि के संहारक भगवान भोलेनाथ उनका कार्यभार संभालते हैं और विश्व की देखभाल करते हैं।

कहते हैं कि यह 4 महीने शिव परिवार पर जगत की संपूर्ण जिम्मेदारी होती है। इसलिए सावन मास शिव जी को सर्मर्पित होता है तो भादो और अश्विन माह श्री गणेश और मां दुर्गा को।

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योगनिद्रा से जागने के बाद श्रीहरि वापस अपना कार्यभार संभालते हैं।

देव उठनी एकादशी शुभ मुहूर्त

देव प्रबोधिनी एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी।

ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।

देव उठनी एकादशी पर क्या करें

  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराएं, फल-फूल, मिठाई और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
  • भगवान विष्णु का मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय या कोई अन्य मंत्र जपें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती करें।
  • रात में भजन कीर्तन के साथ पूजा-पाठ करें और फिर प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ें।

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देव उठनी एकादशी का महत्व

  • देव प्रबोदिनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्य शुरु होते हैं।
  • इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं। इस एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व हैं।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  • इस दिन शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के सामने घी के दीपक जलाने चाहिए।
  • दिवाली के 11 दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को छोटी दिवाली भी कहते हैं।
  • इस दिन तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से किया जाता है।
  • कहते है ये दिन इतना शुभ होता है कि बिना मुहूर्त देखे ही इस दिन लड़के-लड़की की शादी करवा सकते हैं और लोग ऐसा करते भी हैं।
  • देवउठनी एकादशी पर किए गए व्रत एवं पूजन से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

(All Image Credit FreePik)

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